रायगढ़ से सुशील पांडेय की रिपोर्ट
.आधा दर्जन से अधिक गांव होंगे प्रभावित
रायगढ। जिले में सबसे बडे आदिवासी जमीन घोटाले की जन्म स्थली कहे जाने वाले कुनकुनी में अब इन्ही आदिवासी जमीनों पर कोयले की राख उगने लगी है। खरसिया के इस कुनकुनी गांव में आदिवासियों को खदेडकर अब यहां उद्योग बोये जा रहे हैं। यहां एक साथ दो उद्योगों की जनसुनवाई कराकर र्प्यावरण विभाग और उद्योग विभाग इस गांव के साथ आधेदर्जन गांवों को बंजर बना देना चाहता है। जहां 1जून को वेदांता कोल एण्ड लाजिस्टिक के विस्तार की जनसुनवाई रखी गई है तो वहीं 3 जून को मेसर्स सार स्टील एण्ड प्राईवेट लिमिटेड की नींव रखने जनसुनवाई करवाई जाएगी।
वर्ष 2015 मे कुनकुनी जमीन घोटाले की संलिप्तता के आरोप मे चार पटवारियों को कलेक्टर ने निलंबित किया था जिसे जिले में 170 ख के तहत एक बडी कारवाई की
शुरुआत मानी जा रही थी लेकिन रसूखदारों ने अपनी पहुंच के दम पर इस घोटाले को ढंक दिया और अपने उद्योग लगाने के नाम पर सैकडो एकड आदिवासी जमीन की बेनामी खरीदी बिक्री कर ली। उस दौरान प्रशासन ने कुनकुनी गांव में 300 एकड आदिवासी जमीन की बेनामी खरीद बिक्री का मामला उजागर किया था। जिसमें एक नाम वेदांता कोल एण्ड लाजिस्टिक्स भी था जिसने रेलवे साईडिंग के नाम पर आदिवासियों की जमीन की अफरातफरी की थी। अब उसी आदिवासी जमीन पर 7 वर्षो से उद्योग चला रही वेदांता को और जमीन की आवश्यकता है ताकि वह अपने उद्योग को और बडा रुप दे सके।
इसी तरह मेसर्स सार स्टील एण्ड प्राईवेट लिमिटेड नाम का एक और उद्योग कुनकुनी गांव में लगने जा रहा है यह प्लांट इतना विशालकाय होगा कि पूरा गांव कोयले के कालिख में समा जाएगा। इस प्लांट में आयरन ओर प्लांट, स्पंज आयरन प्लांट, रोलिंग मिल, कैप्टिव पावर प्लांट जैसे वृहद प्लांट लगाए जाऐंगे। इस नए उद्योग के लगने से केवल कुनकुनी गांव ही नहीं बल्कि खैरपाली, पामगढ नवागढ, बडे डूमरपाली, कुरु, रानीसागर, दर्रामुडा चपले, रजघटा बसनाझर जैसे गांव भी प्रत्यक्ष रुप से प्रदुषित और बर्बाद हो जाएगें। इस तरह आदिवासियों के इस गांव में अब पूरी तरह उद्योगपतियों का कब्जा हो जाएगा।
वेदांता के पास भूजल की अनुमति नहीं, सार भी खोदेगा बोर
वेदांता कोल एण्ड लाजिस्टिक्स पूरी तरह से भूजल पर निर्भर है बिना अनुमति के कई बोर पंप चलाकर यह कंपनी भूजल का दोहन कर रहा है अब जब इस कोलवाशरी का विस्तार होगा तब इसे और ज्यादा भूजल की आवश्यकता होगी। इस कंपनी की अपनी ईआईए रिपोर्ट के अनुसार भी कंपनी के पास भूजल लेने की अनुमति नहीं है ऐसे में किस बिनाह पर पर्यावरण विभाग और संबंधित विभाग इसकी जनसुनवाई करा रहा है यह समझ से परे है। इसी कुनकनी में सार स्टील भी आने वाली है वह भी दर्जनों की संख्या में भूजल का उपयोग करने बोर पंप का खनन करेगी। ऐसे में लोगों को पीने का भी पानी मिलना दुभर हो जाएगा। वहीं जिस तरह से जनसुनवाई की त्यारी हो रही है उससे ऐसे लग रहा मानों प्रशासन ने जैसे कुनकुनी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को पूरी तरह से बर्बाद करने की ठान ली है।
वेदांता और सार स्टील की ईआईए रिपोर्ट फर्जी व एक समान
वेदांता और सार स्टील की जनसुनवाई मई माह में एक दो दिन के अंतराल में रखी गई है ऐसे में दोनो ही प्लांट की ईआईए रिपोर्ट भी एक ही जैसी प्रतीत हो रही है। दोनो के ईआईए रिपोर्ट पर गौर करें तो दोनो की यह रिपोर्ट पूरी तरह से फर्जी है। इनके ईआईए रिपोर्ट में आसपास के 10 किलोमीटर के क्षेत्र में जंगल का न होना वन प्राणियों के रहवास क्षेत्र का न होना बताया गया जबकि कुनकुनी के आसपास के क्षेत्र जंगल होने के साथ ही भालू सहित श्रेणी 1 के जंगली जानवरों का रहवास क्षेत्र है। ऐतिहासिक रामझरना पर्यटन स्थल इसका पहला प्रमाण ळे कि दोनो ही प्लांट ने वन और वन प्राणियों के मामले को छिपाया है । इसी क्षेत्र में आदिमानव द्वारा निर्मित शैलचित्र भी हैं, पूरी तरह से जगली क्षे़त्र को बंजर बताया गया है।