बीजापुर। कांग्रेस के युवा आयोग के सदस्य अजय सिंह ने प्रेस वार्ता में कहा कि बीजापुर में कुछ लोगों के द्वारा भय का वातावरण निर्मित किया जा रहा है, जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लिखता या बोलता है, उनके खिलाफ नक्सली पर्चा जारी हो जाता है। अजय की मानें तो विधायक और उनके संबंधों में कोई खटास नहीं है, केवल उनके विचार नहीं मिलते। उन्होने कहा कि वे भ्रष्टाचार को हावी होता देख नहीं सकते। उनका दो टूक कहना था कि जिले में हो रहे भ्रष्टाचार के लिए विधायक ही जिम्मेदार है। उनके हाथ कुछ सरकारी दस्तावेज भी लगे है जिसमें विधायक विक्रम मंडावी का उल्लेख है।
उन्होने कहा कि कुछ दिन पहले पत्रकार साथियों के नाम का पर्चा जारी हुआ और पर्चे जारी होने के कुछ दिन बाद नक्सलियों द्वारा उसका खंडन किया गया। प्रशासन उस पर्चे की वास्तविकता को लेकर गंभीर नजर नहीं आई, वहीं पुलिस प्रशासन ने भी अब तक इसकी जांच पूरी नहीं की, जो कि दुर्भाग्यजनक है, इससे स्पष्ट होता है कि इस जिले में भय का वातावरण बनाए जाने का प्रयास किया जा रहा है। आगे उन्होंने कहा कि 2020 में जिपं, नपं और ग्राम पंचायत के चुनाव संपन्न हुए थे। उस बीच एक खबर निकलकर आई थी कि जिपं क्षेत्र जहां से बसंत ताटी चुनाव लड़े थे, वहां पर कांग्रेस के ही कुछ जिम्मेदार कार्यकर्ता नकली नक्सली बनकर क्षेत्र की जनता में भय का वातावरण बनाकर बसंत ताटी के खिलाफ वोट करने की अपील कर रहे थे। इसकी जानकारी जिला कांग्रेस कमेटी और मुझे मिली तो मेरे द्वारा बकायदा जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष को फोन करके इस मामले को संज्ञान में लेकर संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, परंतु आज पर्यंत किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई।
अजय सिंह ने कहा कि वर्तमान में जिले में लगातार भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है, अधिकारी नियम विरूद्ध दबाव में काम कर रहे हैं। सोशल मीडिया में आज से दो साल पहले जिले में बड़े पैमाने पर हैंडपंप के लिए बोर खनन हुआ था। सोसल मीडिया पर कुछ कांग्रेसी नेताओं के नामों का उल्लेख भी किया गया था कि इनसे संपर्क कर बोर खनन करवाए। स्वीकृत बोर से चार गुना अधिक बोर बड़बोला पन के कारण करवा दिया गया और जब भुगतान की बात आई तो जिला प्रशासन ने अपने हाथ खड़े कर दिए। बोर खनन जिन्होंने किया था वो अपने भुगतान केलिए आज भी विभागों के चक्कर काट रहे हैं। ग्राम पंचायत के उपर जब ये बात आई तो कई पंचायतों के सरपंच-सचिवों ने इसका विरोध किया। उनकी आपत्ति थी कि उनसे बिना पूछ बोर खनन कराया गया। पंचायत के सरपंच-सचिव दबाव में आकर भुगतान करने मजबूर हुए। इस तरह बोर खनन की आड़ में हवा हवाई काम कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया।
भाजपा के आरोपों के बाद अजय ने भी पानी टैंकर वितरण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उनका कहना था कि जिले में पानी टैंकर वितरण किया जा रहा है। पानी जरूरी है, टैंकर की व्यवस्था अच्छी पहल है, लेकिन उसकी भी प्रक्रिया होती है, जिसका पालन ना कर प्रशासकीय स्वीकृति मिलने से पहले पानी टैंकर का वितरण हो जाना और उसके बाद प्रशासकीय स्वीकृति मिलना 02.25 लाख का, जबकि मार्केट में पानी टैंकर का रेट 1.25 लाख है, इससे स्पष्ट होता है कि प्रति टैंकर में एक लाख रूपए का भ्रष्टाचार विभाग द्वारा किया गया। इस बारे में संबंधित कार्य एजेंसी से पूछा गया तो इसके पीछे सत्तापक्ष के चंद लोगों के दबाव की बात बाहर आई, इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होने बताया कि भैरमगढ़ में 16 टैंकर और बीजापुर में 04 टैंकर समेत चारों ब्लाक में 25 से 30 टैंकर का वितरण किया गया है।
सिंह ने कोशलनार स्वास्थ्य केंद्र के मामले में कहा कि प्रभारी मंत्री की मौजूदगी में समीक्षा बैठक में इसकी जांच की मांग उन्होंने उठाई थी कि 27 लाख के निर्माण कार्य में 07 लाख रूपए का काम हुआ है, 20 लाख रूपए का गबन हुआ है। इसकी कलेक्टर को लिखित-मौखिक शिकायत की गई थी, बावजूद इसके जांच नहीं हुई, इससे जाहिर है कि सत्ता पक्ष के दबाव में इसमें भ्रष्टाचार किया गया।
अजय सिंह ने कहा कि भैरमगढ़ की महिला एवं बाल विकास अधिकारी के द्वारा एक कांग्रेस के कार्यकर्ता से पैसे लेकर नियुक्ति की बात कही गई थी, बकायदा विधायक ने इसकी शिकायत कलेक्टर से की थी, वे विधायक से पूछना चाहते हैं कि 70 हजार रिश्वत की शिकायत विधायक कलेक्टर से करते हैं, लेकिन 27 लाख के भ्रष्टाचार पर मौन क्यों हैं। अपनी ही पार्टी के खिलाफ मुखर अजय ने एक अन्य मामले का हवाल देते कहा कि पंद्रहवें वित्त की राशि पर विशेषाधिकार जनपद पंचायत, ग्राम पंचायत और वहां की जनता को होता है, वे तय करते हैं कि इस पैसे उन्हें क्या करना हैं, लेकिन वहां पर भी सत्तापक्ष हस्तक्षेप दबाव और सीईओ को निर्देश कर टेंट और बर्तनों का क्रय, साड़ी, कंबल का क्रय किया जाना दुर्भाग्य जनक है। जबकि शासन की सीधी गाइड लाइन है कि इस राशि से जरूरतमंद, मूलभूत सुविधाओं को पूरा करना है, अब साड़ी क्रय कर वितरण करना समझ से परे है। 14 से लेकर 28 लाख के बर्तन एक एक ब्लाक में वितरण दुर्भाग्यजनक है। जनता के पैसों का दबाव में आकर इस तरह बंदरबाट कर अधिकारी वो काम कर रहे, जो उन्हें नहीं करना चाहिए।
उन्होने कहा कि इसी तरह 15 अप्रैल को निविदा प्रपत्र लेने की अंतिम तिथि थी। जिला निर्माण समिति ने ऐसे 30 निर्माण कार्यों के लिए निविदा बुलाई थी, लेकिन कलेक्टर जो डीएमएफ के अध्यक्ष होते है, उनका एक विशेषाधिकार होता है कि निविदा उस पर बुलाए और प्रक्रिया के तहत् निविदा प्रपत्र दे और जिले में विकास कार्य हो, लेकिन उसी काम को दूसरी बार स्वीकृति प्रदान करना कही ना कही भ्रष्टाचार की ओर इंगित करता है।
आश्रम -छात्रावासों में भी खेल सामग्री वितरण में भ्रष्टाचार का आरोप युवा आयोग सदस्य ने लगाया है। आरोप है कि जहां पर 01.98 लाख की लागत से खेल सामग्री का वितरण किया जाना था, जिसमें अंबिकापुर के किसी सप्लायर को यह काम दिया गया और कुल 50 लाख रूपए की खेल सामग्री की सप्लाई हुई, जो स्तरहीन और घटिया है, उनके द्वारा सामान वापस कराया गया। इस तरह एक-एक आश्रम में डेढ़ लाख से दो लाख रूपए का भ्रष्टाचार किया गया। अजय सिंह के मुताबिक जब वित्तीय बजट पेश होता है तो इसकी खबरें प्रकाशित होती है, जिला प्रशासन ने भी डीएमएफ का प्रपोजल पेश किया तो उसकी खबरें आई, लेकिन जनसंपर्क के माध्यम से छोटे-छोटे खबरों को प्रसारित नहीं किया जा रहा, जिसमें कार्यों का आवंटन का प्रचार-प्रसार जैसे मुख्य कार्यबिंदू शामिल है। उन्होंने कहा कि यदि उनके शिकायत पर नियमत: जांच हो जाए तो कई अफसरों को जेल की हवा खानी पड़ेगी।