पेट्रोल-डीजल पर केंद्र और कुछ राज्यों के ‘खेल’ में पब्लिक कहीं खुद को ठगी हुई तो कहीं खुश नजर आ रही है। खासकर उन राज्यों के सीमावर्ती शहरों या कस्बों, जहां पेट्रोल-डीजल पर वैट की दरों में अंतर है। टीकमगढ़ मध्य प्रदेश में पेट्रोल 118.96 रुपये और डीजल 101.89 रुपये प्रति लीटर है। जबकि मात्र 12 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के बानपुर में पेट्रोल 106.05 और डीजल 97.59 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। टीकमगढ़ और बानपुर के बीच पेट्रोल में 12.91 रुपये और डीजल में 4.30 रुपये का अंतर है। ऐसे में राज्य की सीमा से सटे लोग तेल यूपी में भरवा रहे हैं।
इस वक्त राजस्थान के श्रीगंगानगर में पेट्रोल 122.93 रुपये लीटर बिक रहा है। इससे सटे पंजाब में फाजिल्का के गुमजाल की बात करें यह श्रीगंगानगर से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है। यहां महज चार मिनट में पहुंचा जा सकता है।
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों से चारधाम यात्रा हुई महंगी
यहां पेट्रोल 105.32 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से मिल रहा है। यानी आस-पास के इलाकों में ही पेट्रोल की कीमत में करीब 17 रुपये अंतर है।
देवरिया-सीवान
यूपी के देवरिया के सोहनपुर में पेट्रोल 105.37 रुपये का मिल रहा है, जबकि बिहार के सीवान मैरवा में पेट्रोल की कीमत 117.90 रुपये है। यानी दोनों जगहों के बीच की दूरी चंद किलोमीटर है पर पेट्रोल की कीमत में करीब 12.53 रुपये का फर्क है।
बिहार-झारखंड
बिहार के जमुई में पेट्रोल 117.95 रुपये बिक रहा है, जबकि झारखंड के देवघर में 108.39 रुपये प्रति लीटर है। जमुई के रहने वाले हैं तो आप पेट्रोल भरवाने के लिए देवघर निकल जाइए, वहां पर आपको करीब 9 रुपये प्रति लीटर सस्ता पेट्रोल मिलेगा।
झारखंड-बंगाल
झारखंड के धनबाद में पेट्रोल 108.77 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है, जबकि पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में एक लीटर पेट्रोल के लिए 116.26 रुपये लिए जा रहे हैं। अगर आप झारखंड से पेट्रोल लेते हैं तो प्रति लीटर आपको 8.81 रुपये की बचत होगी।
इतना अंतर क्यों है
पेट्रोल-डीजल के रेट में राज्वार अंतर के पीछे टैक्स है। कुछ राज्यों में वैट अधिक है तो कुछ में कम। देश में सबसे ज्यादा पेट्रोल पर टैक्स महाराष्ट्र में वसूला जाता है, यहां 100 रुपये के पेट्रोल पर साढ़े 52 रुपये टैक्स में जाता है. वहीं सबसे कम लक्षद्वीप में 100 रुपये पेट्रोल पर केवल 34.60 रुपये टैक्स के तौर पर ग्राहक भरता है. बता दें, एक्साइज ड्यूटी केंद्र सरकार वसूलती है और वैट का पैसा राज्यों के खातों में जाता है।