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अखिलेश बनेंगे नेता विपक्ष या आजम, माता प्रसाद, शिवपाल में से किसी को देंगे मौका

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर यह तो साफ कर दिया है कि उनका पूरा ध्यान अब यूपी की सियासत पर होगा। उन्हें सरकार बनाने का भले ही मौका न मिला हो पर वे सदन में भाजपा सरकार को मजबूत विपक्ष की भूमिका का एहसास जरूर कराएंगे। इस इस्तीफे को वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
अखिलेश यादव, मोहम्मद आजम खां, माता प्रसाद पाण्डेय और शिवपाल सिंह यादव वरिष्ठ विधायक हैं। अब देखना होगा कि नेता विरोधी दल कौन होता है? सत्रहवीं विधानसभा में राम गोविंद चौधरी नेता विरोधी दल हुआ करते थे। विधानसभा का चुनाव हारने के बाद 11 मार्च 2022 को उनकी सदस्यता स्वत: समाप्त हो गई है। इसलिए समाजवादी पार्टी को अब नए नेता विरोधी दल का चयन करना है। अखिलेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाकर सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की भूमिका में दिख सकते हैं। अब देखना होगा कि वह स्वयं नेता विरोधी दल बनते हैं या किसी अन्य वरिष्ठ को बनाते हैं।
करहल सीट रखने के पीछे मकसद संदेश देना
अखिलेश करहल विधानसभा सीट से पहली बार विधायक चुने गए हैं। इस सीट को बचाए रखकर अखिलेश ने संदेश देने की कोशिश की है कि पारिवारिक व परंपरागत सीट से उनका सियासी लगाव है और बना रहेगा। आजम खां इस चुनाव में रामपुर से 10वीं बार विधायक चुने गए हैं और जेल में हैं। विधानसभा में उनकी भूमिका जेल से आने के बाद ही शुरू हो पाएगी। अखिलेश यादव वर्ष 2004 में पहली बार और दूसरी बार 2009 में कन्नौज से सांसद चुने गए। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को पूर्ण बहुमत मिलने पर मुख्यमंत्री बनने के लिए अखिलेश ने कन्नौज संसदीय सीट से इस्तीफा दिया था। वह विधान परिषद सदस्य बनकर पांच साल मुख्यमंत्री रहे।
तैयार करेंगे सियासी जमीन
अखिलेश जब सांसद थे तो उनका ज्यादातर वक्त दिल्ली में गुजर रहा था। कई बार उन पर यूपी से दूरी बनाने के भी आरोप लगे। इस्तीफे के सहारे वह यह संदेश देना चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद वो यूपी की सियासत पर ध्यान देंगे। समाजवादी पार्टी का आजमगढ़ की विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रदर्शन रहा है। ऐसे में अखिलेश को भरोसा है कि उपचुनाव में यह सीट फिर से सपा के खाते में ही जाएगी। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद अखिलेश केंद्र की राजनीति करने लगे थे। इसके बाद ऐसा माना गया कि यूपी में विपक्ष कमजोर पड़ गया है। यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। इसलिए अखिलेश वर्ष 2024 के लिए सियासी जमीन को मजबूत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।
सपा के अब तीन सांसद
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के पांच सांसद चुने गए थे। अखिलेश यादव आजमगढ़, मोहम्मद आजम खां रामपुर, शफीकुर्रहमान बर्क संभल, मुलायम सिंह यादव मैनपुरी और डा. एसटी हसन मुरादाबाद से सांसद चुने गए। अखिलेश और आजम खां के इस्तीफा देने के बाद अब उसके तीन सांसद बचे हैं।
पांच कारण, जिनकी वजह से अखिलेश ने यूपी में सियासत का लिया निर्णय
-सपा कार्यकर्ताओं में आत्मविश्वास बनाए रखना
-लोकसभा चुनाव के लिए अभी से जुट जाना
-यूपी में बसपा व कांग्रेस समर्थकों को अपने साथ लाना
-भाजपा व उसकी सरकार के खिलाफ आक्रामक अभियान चलाना
-पार्टी में टूट व बिखराव की संभावना को खत्म करना