रायपुर-मुंगेली/ छत्तीसगढ़ उर्दू अकादमी के बैनर तले मुंगेली में आज दिनांक 22 मार्च को मंडी परिसर में होने वाले सफर-ए-ग़ज़ल/शाम-ए-ग़ज़ल कार्यक्रम का आयोजन रखा गया था, जिससे मुंगेलीवासियों और साहित्यकारों में कार्यक्रम को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया परंतु जैसे ही साहित्य-प्रेमियों और श्रोताओं को यह मालूम चला कि मुंगेली में आयोजित इस मुशायरे कार्यक्रम के अलावा इसमें कवि सम्मेलन भी जोड़ दिया गया हैं तो उनमें मायूसी और नाराजगी भी देखी गई क्योंकि साहित्य-प्रेमियों की माने तो कवि सम्मेलन आये दिन होते रहते हैं और कवि सम्मेलनों में हर विधा के कवि अपनी रचना सुनाते हैं, जिसमें रटा हुआ चुटकीला भी सुनाया जाता हैं, किंतु साहित्यकारों की माने तो मुशायरा इन सबसे हटकर होता है, जिसमें उर्दू के शब्दों का भरपूर उपयोग किया जाता हैं। साहित्यप्रेमियों का कहना था कि जब कार्यक्रम का नाम सफर-ए-उर्दू/शाम-ए-ग़ज़ल रखा गया हैं तो इसमें कवि सम्मेलन जोड़ना उचित नहीं था।
जो कविता लिखता है उसे कवि कहते है जो शायरी लिखता है उसे शायर कहते है और जहाँ पर ये शेर-ओ-शायरी का सम्मेलन या महोत्सव होता है उसे मुशायरा कहा जाता है। मुशायरे के अंतर्गत शेर , ग़ज़ल , रुबाई , किता , कसीदा , मसनवी और नज़्म – आते हैं, जिससे साहित्य-प्रेमियों में मुशायरा सुनने बहुत ज्यादा इच्छा होती हैं, ताकि उन्हें उर्दू एवं नए-नए शब्दों का ज्ञान हो, और सुनने को मिले, पर आज के होने वाले मुशायरे के साथ ही कवि सम्मेलन के आयोजन को जोड़ दिया गया जिससे साहित्य-प्रेमियों में मायूसी और नाराजगी देखी गई। बहरहाल जिनकी साहित्य के प्रति रुचि हैं वे तो इस कार्यक्रम में जाएंगे।