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छत्तीसगढ़-बलरामपुर में मिड डे मील में मिल रहा जानवरों जैसा भोजन

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बलरामपुर.

बलरामपुर जिले का बीजाकुरा गांव जहां 1992 में भूख से मौत की खबर ने देश के प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को यहां आने के लिए मजबूर कर दिया था और इसके बाद देश में खाद्य सुरक्षा को लेकर नियम कानून बनने शुरू हुए लेकिन आज भी इस गांव में बच्चों को दिए जाने वाले मिड डे मील में बड़ा घोटाला किया जा रहा है। यहां बच्चों को मिड डे मील के नाम पर चावल में घटिया किस्म का दाल मिलाकर खिचड़ी के रूप में भरोसा जा रहा है।

बलरामपुर जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित है बीजाकुरा गांव, जहां स्थित सरकारी स्कूल में सबसे अधिक विशेष पिछड़ी जनजाति यानी पंडो जनजाति के बच्चे पढ़ने के लिए पहुंचते हैं लेकिन इस स्कूल में बच्चों को मध्यान्ह भोजन के नाम पर छलावा किया जा रहा है।
बच्चे बेहद ही घटिया भोजन करते हुए मिले, यहां चावल में कुछ दाल मिलाकर दिया गया था और हल्दी का पाउडर इससे खिचड़ी नुमा चावल पीले रंग का दिख रहा था लेकिन खाने में बिल्कुल बे स्वाद वहीं स्थानीय लोगों का कहना था कि यहां शिक्षा विभाग की जिम्मेदार अफसर निगरानी के लिए नहीं आते हैं यही वजह है की मनमाने तरीके से बच्चों को ऐसा घटिया भोजन मिड डे मील के नाम पर परोसा जा रहा है। दूसरी तरफ महिला समूह के सदस्यों का कहना है कि सरकार से इतना कम पैसा मिलता है कि वे मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम चलाने में समर्थ नहीं है। ऐसे हाल में शिक्षक महिला समूह की लापरवाही बता रहें हैं। बीजाकुरा गांव की प्राथमिक पाठशाला में पढ़ने वाले इन बच्चों को अब तक स्कूली ड्रेस तक नहीं मिला है बच्चे यहां फटे पुराने कपड़े पहनकर नंगे पैर स्कूल आने के लिए मजबूर हैं वहीं दूसरी तरफ बच्चों के पास किताब और कॉपी तक नहीं है स्कूल की व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने के कारण अभिभावक भी अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं तो दूसरी तरफ यहां जागरूकता की भी बड़ी कमी है। ऐसे हाल में देखना होगा कि आखिर पांडू जनजाति के इन बच्चों को सही शिक्षा मिल सके इसके लिए जिला प्रशासन के अधिकारी क्या कदम उठाते हैं हालांकि अफसरों का कहना है कि उनके द्वारा यहां की व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा और स्कूलों का जायजा लिया जाएगा।

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