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कांग्रेस सरकार में DMF मद का भयंकर हुआ दुरुपयोग…भाजपा सरकार में मिल रहा संरक्षण…भ्रष्ट अधिकारियों ने गैरकानूनी कार्य को दिया अंजाम…जनपद CEO, RES SDO और इंजीनियर संलिप्त…कलेक्टर के आदेश को PWD ने दिखाया ठेंगा…आदेश के 4 माह भी नहीं हुई जांच…

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मुंगेली जिला खनिज संस्थान न्यास के प्रशासकीय स्वीकृति आदेश के शर्तो के अनुसार निजी भूमि पर नहीं किया जा सकता DMF मद से निर्माण कार्य…

मुंगेली/ मुंगेली जिला भ्रष्टाचार, अनियमितताओं के लिए प्रसिद्ध हो गया हैं, कई विभागों के भ्रष्टाचार को लेकर आये दिन शिकायत होते रहते हैं जो समाचारों की भी सुर्खियां बनी रहती हैं। हाल ही में मुंगेली जिले में डीएमएफ मद से हुए सड़क निर्माण में भारी भ्रष्टाचार देखने को मिला। जिले के खनिज न्यास फंड (डीएमएफ) से खर्च को लेकर अफसरों की मनमानी का मामला सामने आया है। डीएमएफ फंड के पैसों का दुरुपयोग कर मनचाहे जगह पर उपयोग किया गया, जो कि नियम विरुद्ध हैं।

आज हम ऐसे भ्रष्टाचार की बात करेंगे जिसमें एक ग्राम पंचायत ने नगर पालिका क्षेत्र के अवैध कालोनी में डीएमएफ मद से करीब 14.98 लाख रुपये का सड़क निर्माण किया गया हैं और यह सड़क निर्माण भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और सड़क बनते ही कुछ महीनों के भीतर ही यह सड़क भयंकर जर्जर हो गया। जिससे इस सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा हैं। कालोनीवासियों ने बताया कि नगर पालिका, अवैध कालोनी हैं कहकर सड़क नाली नहीं बना रही थी, बड़ी मुश्किल से जब यह सड़क डीएमएफ मद से बना तो यह भी निर्माण के कुछ महीने में उखड़कर जर्जर हो गया, जो दुर्भाग्यपूर्ण हैं। अब इसमें सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता हैं कि अगर इस सड़क का निर्माण कार्य किया गया तो इसकी सतत निगरानी और गुणवत्ता की जांच क्यों नहीं की गई और निगरानी की गई तो किसके द्वारा की गई ? इसका भुगतान कितना, कब और किसके द्वारा किया गया ? यह जांच का विषय हैं। क्षेत्रवासियों का कहना हैं कि यदि जनता की सुविधा के लिए डीएमएफ मद से सड़क निर्माण किया गया तो सड़क निर्माण गुणवत्तापूर्ण किया जाना चाहिए था।
इस सड़क निर्माण भ्रष्टाचार की शिकायत अधिवक्ता स्वतंत्र तिवारी द्वारा कलेक्टर जनदर्शन में दिनांक 02/07/2024 को किया गया था शिकायत में बताया गया था कि नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अवैध कालोनी में डीएमएफ मद से ग्राम पंचायत करही द्वारा 14.98 लाख की लागत से सीसी रोड निर्माण कार्य कराया गया हैं। जानकारी के मुताबिक यह सड़क निर्माण के कुछ माह बाद ही यह सड़क पूरी तरह से जर्जर हो चुका हैं, गिट्टियां निकलकर बिखरी हुई है. जगह-जगह गढ्ढे हो रहे हैं, जिससे धूल भी बहुत ज्यादा होती हैं। सड़क निर्माण होते ही यह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि नगर पालिका द्वारा इस क्षेत्र को अवैध कालोनी मानते हुये कोई सडक नाली नहीं बनाया गया तो फिर ग्राम पंचायत करही किसके आदेश, किस नियम अधिनियम या आधार के तहत नगर पालिका क्षेत्र के अवैध कालोनी में सड़क निर्माण करायेगी ? जबकि पूर्व में जिला प्रशासन को अवैध कालोनी में सड़क नाली संबंधी निर्माण कार्य न करने लिखित में भी दिया जा चुका है. क्योंकि सड़क, नाली, बिजली सहित कई मूलभूत सुविधा कालोनाईजर को नियमानुसार देना चाहिये। नगर पालिका के अवैध कालोनी में ग्राम पंचायत करही द्वारा डीएमएफ मद से जो सड़क बनाया गया है उसमें भ्रष्टचार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा हैं। इससे राज्य शासन को भी भारी आर्थिक क्षति हुई हैं, इस सड़क निर्माण कार्य का जो बोर्ड लगाया गया है वह मुख्य द्वार पर न लगा अंतिम छोर में लगाया गया है ताकि किसी की नजर न पड़े और इस बोर्ड पट्टिका में कार्य प्रारंभ व समयसीमा का कोई उल्लेख नहीं किया गया है जो अपने आप में संदेहास्पद हैं। साथ ही इस सड़क निर्माण में ग्राम पंचायत करही द्वारा क्या मुंगेली नगर पालिका से सहमति या अनापत्ति प्रमाण लिया जाना चाहिए था या नहीं ? और क्या ग्राम पंचायत करही को डीएमएफ मद से नगर पालिका क्षेत्र के अवैध कालोनी में सड़क निर्माण का अधिकार हैं ? यह सब जांच का विषय हैं। मामले में दोषियों पर वैधानिक व कड़ी कार्यवाही करने की मांग की गई थी।
कलेक्टर से शिकायत के बाद दिनांक 10/07/24 को कलेक्टर कार्यालय से ज्ञापन निकाल इस मामले की जांच करने कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण विभाग संभाग मुंगेली को कहा गया, लेकिन लोक निर्माण विभाग मुंगेली बेहद लापरवाह और निष्क्रिय हैं क्योंकि आज 4 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी लोक निर्माण विभाग द्वारा कोई जांच नहीं करने की जानकारी मिली हैं, क्योंकि शिकायतकर्ता को जांच अधिकारियों द्वारा जांच करने या होने के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई हैं और न ही जांच करने के दौरान उपस्थित होने जानकारी दी गई हैं। ऐसे में शिकायतकर्ता ने कहा कि मामले में जांच अधिकारी गुपचुप तरीके से जांच करने की बात कह सकते हैं लेकिन जब तक जांच में शिकायतकर्ता उपस्थित नहीं होगा ऐसी जांच दूषित मानी जाएगी। और इसकी अब उच्चस्तरीय शिकायत की जाएगी।

जिला खनिज संस्थान न्यास नियम 2015 के अनुसार लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता ही प्रबंधकारिणी समिति के पदेन सदस्य होते हैं ऐसे में यह कैसे उम्मीद लगाई जा सकती हैं कि डीएमएफ मद की राशि का दुरुपयोग और निर्माण कार्यो में हुए भ्रष्टाचार की जांच लोक निर्माण विभाग द्वारा निष्पक्ष की जायेगी ?