नई दिल्ली। चक्रवाती तूफान ‘असनी’ के रविवार या सोमवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के तट तक पहुंचने का अनुमान है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की वेबसाइट के अनुसार, बंगाल की दक्षिण पूर्व खाड़ी और उससे सटे दक्षिण अंडमान सागर पर निम्न दबाव वाले क्षेत्र के 21 मार्च के आसपास चक्रवाती तूफान में बदलने की आशंका है। इसे देखते हुए प्रशासन द्वीपसमूह में स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक व्यवस्था कर रहा है, जिसमें निचले इलाकों से लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना शामिल है।
मौसम विभाग के अनुसार, मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण ने बैठक में प्रशासन की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि निकाले गए लोगों को आश्रय देने के लिए बनाए गए अस्थायी शिविरों में भोजन, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं की पर्याप्त व्यवस्था हो। नारायण ने निर्देश दिया कि खराब मौसम को देखते हुए नौ-परिवहन सेवाओं को तुरंत स्थगित कर दिया जाए। साथ ही मछली पकड़ने वाली किसी भी नाव को समुद्र में जाने की इजाजत नहीं दी जाए। उन्होंने आपदा प्रबंधन विभाग से लोगों के बीच इस संबंध में जागरूकता फैलाने को कहा।
मध्यम बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ने की चेतावनी
मौसम विभाग ने 20 मार्च को अधिकतर स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ने की चेतावनी दी है। विभाग ने कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश और केंद्र शासित प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी बारिश की आशंका जताई है। विभाग ने सभी मछुआरों को अंडमान सागर और उससे सटे दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी में न जाने की सलाह भी दी है।
कैसे पड़ता है तूफान का नाम?
आप लोगों के मन में भी सवाल आता होगा कि इन तूफानों का नाम आखिर पड़ता कैसे है? आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था है, जिसका नाम है कोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड पैसिफिक (ESCAP)। इस संस्था के 13 सदस्य देश हैं जिनमें भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, मालदीव, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, संयुक्त अरब अमीरात और यमन शामिल हैं। हर देश एल्फाबेटिकल आधार पर अगले क्षेत्र में बनने वाले तूफान का नाम रखते हैं। इसलिए इस बार श्रीलंका ने इस तूफान का नाम असनी रखा है।