महर्षि यूनिवर्सिटी के कुलपति के अवैध नियुक्ति पर राजभवन द्वारा गठित टीम ने शुरू की जांच…महर्षि यूनिवर्सिटी में भयंकर फर्जीवाड़ा…
निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग का जांच रिपोर्ट के खिलाफ शिकायत की तैयारी…
बिलासपुर संभाग/ शिक्षातंत्र को दागदार करने बिलासपुर के मंगला में स्थित महर्षि यूनिवर्सिटी ने कोई कसर नहीं छोड़ा हैं, अनियमितताओं और फर्जीवाड़े से लबरेज इस महर्षि यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं का भविष्य दांव में लगा हैं, क्योंकि इस महर्षि यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े और अनियमितताओं की लिस्ट लंबी हैं जो कि छात्र संगठन व अन्य के शिकायतों में बखूबी देखने को मिला। लिखित शिकायत में बताया गया था कि
वर्ष 2023 से यह यूनिवर्सिटी खुलेआम नकल कराने, असंवैधानिक रूप से केंद्र संचालित करने, कूटरचित दस्तावेज के सहारे कुलपति नियुक्ति, बिना शिक्षकों के पाठ्यक्रम का संचालन, गैरकानूनी कार्य में संलिप्त हैं। न्यायधानी बिलासपुर के इस महर्षि यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े से हर कोई आक्रोशित हैं। छात्र संगठन द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े मामले में पहले भी शिकायत और आंदोलन किया जा चुका हैं। छात्र संगठन द्वारा किये गए शिकायत को दैनिक भारत-भास्कर ने पूर्व में विस्तार से प्रकाशित किया गया था।
छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की जांच रिपोर्ट पर उठ रहे सवाल…आयोग की रिपोर्ट के बाद राजभवन से क्यों बनी पुनः जांच टीम…राज्यपाल से शिकायत की तैयारी…
विवादों और फर्जीवाड़े के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर के कुलपति डॉ. टी.पी.एस. कांद्रा के नियुक्ति संबंधी शिकायत होने पर छत्तीसगढ़ राज्य निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा इस शिकायत की जांच के लिए दिनांक 13/07/2023 को संशोधित अधिसूचना क्रमांक 10515/शिकायत/185/2023 रायपुर के माध्यम से उल्लेख किया गया कि राजभवन सचिवालय रायपुर से प्राप्त क्रमशः पत्र क्रमांक 3703/5393/ 2023/रास/निजी/यू-11 दिनांक 10/07/2023 एवं क्रमांक 3575/5393/2023 /रास/निजी/यू-11 दिनांक 03/07/2023 के माध्यम से महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी, मंगला, बिलासपुर के कुलपति, डॉ. टी.पी.एस, कांद्रा की नियुक्ति संबंधी शिकायत की जाँच करने हेतु माननीय अध्यक्ष महोदय द्वारा निम्नानुसार सदस्यों की जांच समिति गठित की गई हैं जिसमें प्रो0 बी.एन. तिवारी सेवानिवृत्त प्राध्यापक गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर, डॉ0 पी.के. पांडेय, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा संचालनालय बिलासपुर और डॉ0 वी.एल.गोयल सेवानिवृत्त अतिरिक्त संचालक बिलासपुर का नाम शामिल था। इसमें यह भी उल्लेखित था कि उक्त प्रकरण की जांच करने के साथ ही जांच उपरांत जांच प्रतिवेदन एक सप्ताह के अंदर आयोग को उपलब्ध कराने का कष्ट करें। इसके बाद पुनः छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा दिनांक 26/07/2023 को अधिसूचना क्रमांक 10515/शिकायत/185/2023 रायपुर जारी कर पुनः 3 सदस्यीय जांच टीम गठित किया गया जिसमें पुनः उल्लेख किया गया कि राजभवन सचिवालय रायपुर से प्राप्त क्रमशः पत्र क्रमांक 3703/5393/ 2023/रास/निजी/यू-11 दिनांक 10/07/2023 एवं क्रमांक 3575/5393/2023 /रास/निजी/यू-11 दिनांक 03/07/2023 के माध्यम से महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी, मंगला, बिलासपुर के कुलपति, डॉ. टी.पी.एस, कांद्रा की नियुक्ति संबंधी शिकायत की जाँच करने हेतु लिखा गया हैं प्रकरण की विस्तृत जांच हेतु पुनः माननीय अध्यक्ष महोदय द्वारा निम्नानुसार सदस्यों की जांच समिति गठित की गई हैं जिसमें डॉ0 बी.जी.सिंह कुलपति पं. सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय बिलासपुर, जिलाध्यक्ष प्रतिनिधि जिला-बिलासपुर छग और के.के. चंद्राकर सचिव छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के नाम शामिल थे और नीचे में लिखा था कि प्रकरण की जांच करने साथ ही जांच उपरांत जांच प्रतिवेदन आयोग को उपलब्ध कराने का कष्ट करें।
छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा जारी इस अधिसूचना और संशोधित अधिसूचना में कुछ बातें विचारणीय हैं जैसे अधिसूचना 26/07/2023 को जारी किया गया और संशोधित अधिसूचना 13/07/2023 को जबकि जानकारों की माने तो कोई संशोधित पत्र, सूचना, आदेश या अधिसूचना, बाद में जारी होता हैं। साथ ही इस अधिसूचना और संशोधित अधिसूचना में क्रमांक समान हैं जो विचारणीय हैं, इसके साथ ही पहले जारी 13/07/2023 के अधिसूचना में जांच उपरांत जांच प्रतिवेदन एक सप्ताह के अंदर आयोग को उपलब्ध कराने कहा गया जबकि बाद वाले दिनांक में जारी अधिसूचना में जांच उपरांत जांच प्रतिवेदन आयोग को उपलब्ध कराने समय-सीमा का उल्लेख नहीं किया गया। भले ही छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग इसे लिपिकीय त्रुटि बतादे पर जानकारों की माने तो यह जानबूझकर प्लानिंग से की गई योजना हैं, और कई छात्रों एवं नेताओं ने छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा बनाई गई जांच टीम पर कई सवाल खड़े करते हुए जांच रिपोर्ट को संदेहास्पद बताया जा रहा हैं, उनका कहना हैं कि जांच टीम अचानक क्यों बदल दिया गया ? ऐसे कई सवाल को लेकर छात्रों और छात्र संगठनों में आक्रोश हैं।
छग निजी विश्वविद्यालय द्वारा गठित जांच टीम ने जांच उपरांत निष्कर्ष में बताया गया कि सभी प्रस्तुत दस्तावेज के प्रकाश में ज्ञात होता है डॉ. कान्द्रा कुलपति पद पर आवेदन प्राप्ति की अंतिम तिथि दिनांक 05/02/2021 को UGC Regulation 2018 की कंडिका 7.3 में दिए गये अहर्ता आचार्य या सम्तुल्य पद पर 10 वर्ष का अनुभव पूरा नहीं करते थे। तथापि डॉ. कान्द्रा अपने कार्यभार ग्रहण की तिथि दिनांक 01/07/2021 को आवश्यक 10 वर्ष का अनुभव पूर्ण कर लिये थे। अहर्ता संबंधी विवाद का एक मुख्य कारण विज्ञापन में UGC द्वारा निर्धारित अहर्ता का विवरण नही देने के कारण विवाद उत्पन्न हुआ प्रतित होता है।
छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा की गई जांच रिपोर्ट के बाद प्रश्न यह उठता हैं कि महर्षि विश्वविद्यालय में कुलपति पद हेतु खोज समिति/महर्षि यूनिवर्सिटी द्वारा जारी विज्ञापन में दिनांक 05/02/2021 तक विज्ञापन मंगाये गए थे, कुलपति पद हेतु छानबीन समिति ने दिनांक 01/03/2021 को अपनी सूची राजभवन में प्रस्तुत की, इस सूची में योग्यता के आधार पर 3 अर्हताधारक शिक्षाविदों के नाम की सूची पेनल बनाकर भेजी गई, जिसमें डॉ0 कांद्रा का नाम प्रथम में था साथ में 2 अन्य नाम थे, इस सूची में अनुभव से संबंधित दस्तावेज भी नहीं दिया गया और न ही उस सूची में तीनों अर्हताधारक शिक्षाविदों के नाम के आगे अनुभव वर्ष का उल्लेख किया गया, जबकि पूरी जानकारी दी जानी चाहिए थी। राजभवन को प्रेषित इस सूची के आधार पर दिनांक 12/05/2021 को राजभवन से आदेश निकला जिसमें डॉ0 टी.पी.एस. कांद्रा को महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर का कुलपति नियुक्त किया गया। राजभवन में भेजे गए सूची में अनुभव योग्यता को छिपाना गंभीर विषय हैं। और जब राजभवन से महर्षि यूनिवर्सिटी में कुलपति नियुक्त करने के लिए दिनांक 12/05/2021 को आदेश निकाला गया तो फिर कुलपति डॉ0 कांद्रा द्वारा दिनांक 01/07/2021 को कार्यभार क्यों ग्रहण किया गया ? ऐसे कई सवाल हैं जिसमें महर्षि यूनिवर्सिटी खुद फँसते जा रहा हैं। ये सारी बात पहले भी प्रकाशित की जा चुकी हैं।
राजभवन से बनी 3 सदस्यीय जांच टीम ने शुरू की जांच….जांच में सहयोग करने आनाकानी कर रहा महर्षि यूनिवर्सिटी प्रबंधन…
छग निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की जांच रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल इसीलिये भी उठता हैं क्योंकि दिनांक 16/02/2024 को राज्यपाल के सचिव द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी, मंगला, बिलासपुर के कुलपति, डॉ. टी.पी.एस, कांद्रा की नियुक्ति संबंधी शिकायत की जाँच करने हेतु पुनः 3 सदस्यीय जांच टीम बनाई गई। राज्यपाल के सचिव द्वारा दिनांक 16/02/2024 को आदेश निकाला गया जिसमें कहा गया कि छग निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) अधिनियम 2005 की धारा-15 (1) एवं (3) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये राज्यपाल एवं कुलाधिपति, महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर में हुई कुलपति की नियुक्ति संबंधी शिकायत एवं दस्तावेजों की जांच हेतु जांच कमेटी का गठन किया गया हैं, 3 सदस्यीय वाले इस जांच कमेटी में प्रो0 आलोक कुमार चक्रवाल कुलपति गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर, प्रो0 सच्चिदानंद शुक्ल कुलपति पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर और प्रो0 ललित प्रकाश पटेरिया कुलपति नंद कुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़ का नाम शामिल हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार गठित जांच टीम को जांच हेतु महर्षि विश्वविद्यालय द्वारा दस्तावेज उपलब्ध कराने आनाकानी की जा रही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अभी इसी जून माह के दूसरे हफ्ते में जांच टीम महर्षि विश्वविद्यालय पहुंची थी जहां से उनके द्वारा दस्तावेजी साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं, अब देखना यह हैं कि राजभवन से गठित इस जांच टीम द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी में कुलपति नियुक्ति में हुए अनियमितता को लेकर क्या और कब रिपोर्ट दिया जाता हैं ?
महर्षि यूनिवर्सिटी के निरीक्षण में मिली भयंकर कमियां…महर्षि यूनिवर्सिटी की मान्यता पर खतरा…
छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी, ग्राम-मंगला, जिला-बिलासपुर का निरीक्षण किया गया जिसमें भारी कमियां मिली।
प्राप्त जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के पत्र क्रमांक 617/विविध/171/2008/17583 दिनांक 09/12/2022 के माध्यम से राज्य में स्थापित निजी विश्वविद्यालय महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के वार्षिक निरीक्षण हेतु निरीक्षण समिति का गठन किया गया था, जिसके चलते महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, बिलासपुर का निरीक्षण आयोग द्वारा गठित टीम द्वारा दिनांक 20/01/2023 को किया गया। समिति के साथ निरीक्षण के दौरान महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नोलॉजी के कुलपति डॉ. टी.पी.एस. कांद्रा, कुलसचिव, डॉ. विजय गरुडिक एवं प्रशासनिक अधिकारी, प्राध्यापकगण उपस्थित रहे। महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के निरीक्षण हेतु समिति के उपस्थित सदस्यों में प्रो. (डॉ.) कर्नल उमेश कुमार मिश्र, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, ब्रजेश चंद्र मिश्र, सदस्य (प्रशासनिक) छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, प्रो. (डॉ.) अंजना शर्मा, सदस्य (अकादमिक) छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, सुशील त्रिवेदी से.नि. आई.ए.एस. रायपुर तथा रामजी द्विवेदी उपसंचालक एवं संयोजक छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग शामिल थे। इन टीम सदस्यों द्वारा दिनांक 20/01/2023 को महर्षि यूनिवर्सिटी के निरीक्षण में भारी कमियां व अनियमितता पाई थी, जो बिंदुवार हैं –
- विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) अधिनियम 2005 की धारा 36 (8) के अनुसार नही की गई हैं।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति एवं अर्हताओं के संबंध में समय समय पर जारी निर्देशों का पालन नही किया जा रहा हैं।
- विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता हेतु Faculty Development Programme निरंतर आयोजित नहीं किये जा रहे है तथा राष्ट्रीय स्तर का वर्कशॉप, सेमीनार एवं कान्फ्रेन्स नियमित रूप से आयोजित नही किये जा रहे है।
- विश्वविद्यालय में नियमानुसार प्रत्येक वर्ष शासी निकाय एवं अकादमिक परिषद की बैठक आयोजित करने की जानकारी नहीं दी गई है।
- पी.एच.डी. उपाधि हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा अधिसूचित विनियम 2022 का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा शोध में नकल के रोकथाम के लिए आवश्यक व्यवस्था नहीं की गई है।
- विश्वविद्यालय परिसर में कैन्टीन की व्यवस्था नहीं की गई है।
- छात्राओं के लिये कॉमन रूम की व्यवस्था नहीं हैं एवं विद्यार्थियों के लिये यातायात की सुविधा भी नहीं हैं।
- विश्वविद्यालय परिसर में छात्र/छात्राओं के खेलकूद के लिए मैदान में मूलभूत सुविधाएँ उपब्लध नहीं हैं।
- विश्वविद्यालय द्वारा मुख्य परिसर से बाहर केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है, जो कि अधिनियम/नियम का उल्लघंन है।
- विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा ऑनलाईन कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। राज्य शासन के निर्देशानुसार शत्-प्रतिशत् ऑफलाईन कक्षाओं का संचालन किया जाना हैं।
उसके बाद निरीक्षण समिति ने निम्न सुझाव दिए –
- विश्वविद्यालय द्वारा (GER) सकल प्रवेश अनुपात में वृद्धि हेतु प्रयास किया जाए।
- विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) अधिनियम 2005 की धारा 36 (8) के अनुसार तीन माह के अंदर की जाये।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति एवं अर्हताओं के संबंध में समय समय पर जारी निर्देशों का पालन किया जाए।
- शैक्षणिक कैलेंडर का कड़ाई से पालन किया जाये। प्रवेश की अंतिम तिथि की समाप्ति के 7 दिवस के अंदर प्रवेशित छात्रों की नामावली सूची विषयवार विश्वविद्यालय के वेबसाईट एवं आयोग के वेब पोर्टल में समय-समय पर अपलोड किया जाए।
- विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता हेतु Faculty Development Programme निरंतर आयोजित किया जाए। विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर का वर्कशॉप, सेमीनार एवं कान्फ्रेन्स नियमित रूप से आयोजित किया जाए।
- विश्वविद्यालय द्वारा पाठ्यक्रमों से संबंधित अध्यादेश राजपत्र में प्रकाशित होने के पश्चात् ही पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जाये।
- विश्वविद्यालय में सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के अंतर्गत चाही गई जानकारी संबंधितों को निर्धारित समय सीमा में उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए।
- विश्वविद्यालय में नियमानुसार प्रत्येक वर्ष शासी निकाय एवं अकादमिक परिषद की बैठक आयोजित किया जाये तथा कार्यवृत्त / कार्यवाही विवरण विश्वविद्यालय के वेबसाईट में समय-समय पर अपलोड किया जाए।
- पी.एच.डी. उपाधि हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा अधिसूचित विनियम 2022 का कड़ाई से पालन किया जाए। विश्वविद्यालय द्वारा शोघ में नकल के रोकथाम के लिए आवश्यक व्यवस्था किया जाए।
- विश्वविद्यालय परिसर में विद्यार्थियों के लिए कैंटीन की व्यवस्था शीघ्र करायी जाए।
- छात्राओं के लिए कॉमन रूम की व्यवस्था करायी जाए। विद्यार्थियों के लिए यातायात की सुविधा उपलब्ध करायी जाए।
- विश्वविद्यालय परिसर में खेल मैदान में मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था तत्काल की जाये।
- विश्वविद्यालय द्वारा मुख्य परिसर से बाहर केन्द्रों के संचालन को तत्काल बंद किया जाये।
- विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा ऑनलाईन कक्षाओं का संचालन तत्काल बंद किया जायें तथा राज्य शासन के निर्देशानुसार शत्-प्रतिशत ऑफलाईन कक्षाएँ संचालित की जाये।
मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा गठित जांच द्वारा दिनांक 20/01/2023 को महर्षि यूनिवर्सिटी बिलासपुर का निरीक्षण किया गया और निरीक्षण प्रतिवेदन दिनांक 13/09/2023 को दिया गया, निरीक्षण के करीब 8 माह बाद निरीक्षण प्रतिवेदन का सौंपना समझ से बाहर हैं ? निरीक्षण प्रतिवेदन के बाद दिनांक 5/10/2023 को छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा कुलसचिव महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मीडिया एंड टेक्नोलॉजी ग्राम मंगला बिलासपुर को निरीक्षण प्रतिवेदन में पाई गई कमियों को दूर कर तथ्यात्मक प्रतिवेदन 7 दिवस के अंदर आयोग कार्यालय को उपलब्ध कराने कहा गया। छात्रों तथा छात्र नेताओं ने बताया कि इसके बाद भी महर्षि यूनिवर्सिटी ने इन कमियों को दूर नहीं किया गया। साथ ही जब आयोग की जांच टीम ने इतनी भारी कमियां महर्षि यूनिवर्सिटी में पाई हैं तो अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई हैं ? छात्र नेताओं व जानकारों के अनुसार महर्षि यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं को सावधान रहने की आवश्यकता हैं क्योंकि यदि वे यहां प्रवेश लेते हैं तो उनके शैक्षणिक भविष्य खराब होने की संभावना हैं।
हाल ही में मिली जानकारी के मुताबिक महर्षि यूनिवर्सिटी के कुलपति नियुक्ति फर्जीवाड़े की जांच राजभवन द्वारा गठित जांच टीम द्वारा शुरू की जा चुकी हैं हालांकि महर्षि यूनिवर्सिटी द्वारा जांच में सहयोग नहीं किया जा रहा….इसकी पूरी सच्चाई दैनिक भारत भास्कर के आगामी अंक में….