रायपुर। राजधानी रायपुर सहित आसपास के क्षेत्रों में ओवररेट का खेल करने वाले आबकारी विभाग के दलाल तत्व के लोग इन दिनों अपने ही साथ काम करने वाले कर्मचारियों को ही चुना लगा रहे है। शासकीय देशी एवं विदेशी शराब दुकानों में प्लेसमेंट एजेंसी के द्वारा कर्मचारियों की भर्ती करवाने का प्रावधान है ,लेकिन अयोग्य व्यक्ति को लम्बी रकम लेनदेन करके योग्य बना दिया गया है। जी हां रायपुर में चार व्यक्तियों (ओवर रेट करवाने वाले बाहरी व्यक्तियों) के द्वारा लम्बे समय से बंद ओवररेट के खेल को अब नए तरीके से खेलना शुरू कर दिया है। कोरबा में मैन पावर सप्लाई करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी में कार्यरत एक व्यक्ति द्वारा राजधानी रायपुर में ही बैठे बैठे कोरबा में शराब की बोतलों में जमकर मिलावट करवाने का कार्य खुलेआम संचालित किया जा रहा है। वही इसी बाहरी व्यक्ति द्वारा रायपुर में संचालित होने वाले शराब दुकानों में अब कर्मचारियों को ही इनके द्वारा चुना लगाया जा रहा है। कुछ दिन पूर्व खमतराई थाने में आबकारी विभाग के अधिकारियो द्वारा शिकायत करके रात भर इन्ही ओवररेट करने वाले दलालो को गिरफ्तार किया गया था ,लेकिन अपनी ऊपरी पहुंच का फायदा उठाकर इन्हे प्रतिबंधात्मक धारा लगाकर sdm के समक्ष पेश किया गया ,विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जमानत के एवज में इन्हे 50 हजार रूपए भी खर्च करने पड़े थे । अब इन्ही लोगो के द्वारा प्लेसमेंट एजेंसी के कर्मचारियों द्वारा जगह जगह अपने बन्दे लगवाने की जद्दो जहद चल रही है ,और ऐसा हो भी क्यों न क्योकि इनके द्वारा एक से सवा लाख रूपए तक लेकर इन्हे शराब दूकान का कर्मचारी नियुक्त किया जा रहा है और इन्ही लाखो रूपए को वसूलने के लिए शराब दूकान के कर्मचारियों द्वारा समय समय पर ओवर रेटिंग का खेल भी खेला जा रहा है।
प्रतिदिन समयानुसार ओवर रेटिंग कर सेल्समैन, सुपरवाइजर, व विभागीय अधिकारी जमकर अवैध कमाई करते हैं। सभी की मिलीभगत से एक बार फिर मदिरा प्रेमियों के जेब में डाका पड़ने लगा है। विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आबकारी अधिकारी रविशंकर पैकरा के अधीनस्थ आने वाले दुकान (मैटल पार्क स्थित शराब दुकान) में कुछ दिनों से सुपरवाइजर टीकम वर्मा व दुकान क अन्य स्टाफ द्वारा दुकान बंद होने ठीक आधे घंटे पहले एरिया मैनजर के मिली भगत से ओवर रेटिंग कर राजस्व की चोरी की वारदात को अंजाम दिया जा रहा है। इसकी सुचना जब हमारे टीम को मिली तब हमने जांच पड़ताल शुरू की तब पाया कि बैगपाइपर ब्रांड की शराब जिसकी कीमत 210/- रूपये प्रति क्वाटर है उसे 250/- रूपये प्रति क्वाटर में बेचा जा रहा है। दुकान बंद होने के समय सुपरवाइजर टीकम वर्मा दुकान क अन्य स्टाफ द्वारा धड़ल्ले से ओवर रेटिंग कर जेब गर्म किया जाता है।
वही एक अन्य मिली जानकारी के अनुसार आबकारी अधिकारी कौशल सोनी व BIS कंपनी के एरिया मैनेजर प्रदीप गुप्ता के अधीनस्थ आने वाले सरकारी शराब दुकान पंडरी जिसकी सुपरवाइजर का कमान किसी तुलसी नामक व्यक्ति को सौंपी गई है। बता दे की सुपरवाइजर तुलसी विभाग के अधिकारियों व कंपनी के कर्मचारियों के साथ साठगांठ कर शराब दुकान बंद होने के बावजूद शटर के नीचे से मदिरा प्रेमियों को शराब परोस रहा है। बता दे कि यह पूरा मामला राजधानी रायपुर के पंडरी स्थित शराब दुकान का है। यह दुकान आबकारी अधिकारी कौशल सोनी के अधिकार क्षेत्र में आता है वही इस दुकान का सुपरवाइजर तुलसी है। बता दें कि बीती रात लगभग 10:55 बजे दुकान के अन्य कर्मचारियों द्वारा शटर उठाकर मदिरा प्रेमियों को शराब परोसा जा रहा है।
वही सड्डू स्थित शराब दुकान में वैसे तो ओवर रेटिंग ने दम तोड़ दिया है लेकिन कोचियाओं का कब्जा इस दुकान में अब भी बरकरार है। जानकारी के मुताबिक प्रतिदिन 10 से 15 पेटी शराब कोचियाओं को परोसी जाती है। जानकारी तो यह भी है कि सड्डू दुकान के पूर्व कर्मचारी रहे सतेंदर सिंह जिसे तत्कालीन आबकारी अधिकारी विकास गोस्वामी द्वारा ओवर रेटिंग के मामले में हटाया गया था वह व्यक्ति बाहरी रूप से दुकान का संचालन करता है।
वहीं हाल ही में सड्डू के विदेसी मदिरा दुकान में इंद्रेश कुर्रे नामक व्यक्ति की नियुक्ति सुपरवाइजर के पद पर की गई है। जानकारी के मुताबिक इंद्रेश कुर्रे पूर्व में बिलासपुर के लिंगियाडिह स्थित अंग्रेजी शराब दुकान का सुपरवाइजर था जिसे दुकान में अनियमितता पाए जाने व शराब में मिलावट के मामले में आबकारी अधिकारी द्वारा उसके कार्य से पृथक किया गया था। बता दें कि इंद्रेश कुर्रे द्वारा पूर्व में नम्बर 1 की बोतल में मिलावट के मामले में हटाया गया था।
जिसके बाद जद्दोजहद व जुगाड़ के माध्यम से इंद्रेश कुर्रे को एक बार फिर से रायपुर के सड्डू स्थित विदेशी मदिरा दुकान की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बिलासपुर के आबकारी अधिकारी ऐश्वर्या मिंज से बात करने पर उन्होंने बताया कि इंद्रेश कुर्रे को अनियमितताओं के कारण दुकान के कार्यभार से मुक्त किया गया था। अब बड़ा सवाल यहाँ पर यह उठता है कि जब पूर्व में ही इंद्रेश कुर्रे को दुकान से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है तो वह रायपुर के सड्डू स्थित विदेसी शराब दुकान में किस जुगाड़ से दुबारा कार्य पर लगा क्या इसमें आबकारी अधिकारी प्रकाश देशमुख या BIS कंपनी के एरिया मैनेजर रमेश गुप्ता की कोई मिलीभगत है…? क्योंकि शराब में मिलावट का एक कर्मचारी जिसे पूर्व में ही दुकान से हटाया गया हो वह व्यक्ति दुबारा कैसे कार्यरत हो गया…?
अब देखने वाली बात तो यह है कि कब तक आबकारी विभाग इन लोगो को संरक्षण प्रदान करता है या इन पर कोई ठोस कार्यवाही भी करता है।