नई दिल्ली
ओडिशा और छत्तीसगढ़ की सीमा पर बसे कुछ गांवों में छोटे-छोटे दुकान हैं, जहां पर सिम कार्ड से जुड़े फ्रॉड को अंजाम दिया जाता है। सिम कार्ड स्वैपिंग, एक व्यक्ति के नाम पर कई सिम कार्ड निकालकर आतंकी या उग्रवादी संगठनों को बल्क में बेचा जाता है। साथ ही कस्टमर केयर कॉलर बनकर देश के दूसरे हिस्से में लोगों के साथ ऑनलाइन फ्रॉड भी किए जा रहे हैं। इन दुकानों में 8वीं-10वीं पढ़े या फेल छात्र दिनभर फोन लिए चिपके रहते हैं और लोगों को चूना लगाते रहते हैं। साइबर फोरेंसिक एंड साइबर लॉ एक्सपर्ट सोनाली गुहा ने बताया कि देश के दूर-दराज इलाकों में एक आधार पर कई सिम कार्ड हासिल करने, बार-बार अंगूठा लगाने के बहाने कई सिम कार्ड जारी कर दिए जाते हैं, जिन्हें खुफिया तरीके से बेच दिया जाता है। इसके उन्हें अच्छे पैसे मिलते हैं। हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले में एक व्यक्ति एक सिम कार्ड की वकालत की है। आइए- एक्सपर्ट्स से समझते हैं कि यह तरीका कितना कारगर है और खतरा कितना बड़ा है।
हर दिन औसतन 23 हजार साइबर क्राइम
कंज्यूमर साइबर सेफ्टी पर काम करने वाला एक इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन नॉर्टन लाइफ लॉक के एक सर्वे के अनुसार, बीते साल त्योहारों के समय करीब 62 फीसदी भारतीयों को ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा। साइबर सेफ्टी पर काम करने वाली एक संस्था aag-it.com की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में बीते 1 साल में 100 करोड़ ई-मेल्स एक्सपोज किए गए, जिसमें हर पांचवा व्यक्ति धोखाधड़ी का शिकार हुआ था। हर घंटे करीब 1,000 ऑनलाइन फ्रॉड के मामले सामने आ रहे हैं। वहीं, IIT कानपुर से जुड़ी एक संस्था फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन के सर्वे के अनुसार, हर दिन औसतन 23 हजार साइबर क्राइम हो रहे हैं। हाल ही में महादेव बेटिंग ऐप स्कैम केस इसका एक बड़ा उदाहरण है।
ऑनलाइन स्कैम करने के लिए जुटाए थे 35 सिम कार्ड
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र से आग्रह किया कि वह व्यक्तियों को एक से अधिक प्रीपेड सिम कार्ड जारी करने की निगरानी एवं विनियमन के प्रयास तेज करे। दरअसल, यह आदेश 'सुमित नंदवानी बनाम हरियाणा राज्य' मामले का हिस्सा था जिसमें पिछले महीने हरियाणा में एक व्यक्ति की जमानत याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था। उसने कथित तौर पर ऑनलाइन स्कैम करने के लिए 35 सिम कार्ड लिए थे। उसे गिरफ्तार कर लिया गया। जस्टिस अनूप चितकारा की एकल पीठ ने कहा कि एक व्यक्ति को एक से अधिक सिम कार्ड जारी नहीं किए जाने चाहिए।
व्हाट्सऐप पर मिले मैसेज से हुआ था ऑनलाइन फ्रॉड
यह मामला बीते साल का है जब एक व्यक्ति ने बताया कि उसे व्हाट्सऐप पर एक मैसेज मिला था। इसमें पूछा गया था कि क्या वह घर से काम करते हुए पैसे कमाना चाहता है। मैसेज भेजने वाले शुरुआत में उसे कुछ पैसे पेमेंट किए थे, जिसने उसे ज्यादा पैसे जमा करने के लिए प्रेरित किया और आखिरकार उसे 8 लाख रुपए से अधिक की ठगी का शिकार होना पड़ा। पुलिस ने पाया कि नंदवानी एक पॉइंट-ऑफ-सेल एजेंट के तौर पर काम करता था, जिसने घोटाले में इस्तेमाल किए गए सिम नंबरों को एक्टिवेट कर उनका इस्तेमाल किया।
दुबई में बेचते बैंक खाते और सिम, बिटकॉइन से हवाला के जरिए रकम वापसी, चकरा देगा फरीदाबाद का यह ठगी केस
अभी एक आईडी पर कितने सिम कार्ड जारी हो सकते हैं
दूरसंचार मंत्रालय के नियम के मुताबिक, अभी एक आईडी पर 9 मोबाइल कनेक्शन मिल सकता है। फिलहाल सरकार पहले भी यह साफ कर चुकी है कि वह सिंगल आईडी पर सिम कार्ड की संख्या सीमित करने पर विचार नहीं कर रही है। सोनाली गुहा बताती हैं कि यह प्रस्ताव वैसे तो अच्छा है, मगर इसमें अभी कई तरह की दिक्कतें आएंगी। भारत में अभी वैसी व्यवस्था नहीं है और न ही वह इसके अभी तैयार है। अभी भी यहां पर सिम कार्ड से होने वाले फ्रॉड से निपटने के लिए बाकायदा एक तंत्र नहीं है। संचार साथी जैसे पोर्टल जरूर बनाए गए हैं, मगर अभी यह शुरुआती चरण में है। आने वाले दिनों में सरकार को इसके लिए मजबूत तंत्र बनाना होगा, क्योंकि देश में बड़े पैमाने पर आतंकी या उग्रपंथी फर्जी सिम कार्ड हासिल करके वारदातों को अंजाम देते हैं या मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला के जरिए कालेधन को भेजन के लिए सिम कार्ड का इस्तेमाल हो रहा है।
एक आधार पर बार-बार अंगूठा लगवाकर बनाते हैं कई सिम कार्ड
साइबर फोरेंसिक एंड लॉ एक्सपर्ट आयुष गुहा बताते हैं कि एक व्यक्ति एक सिम कार्ड की सिफारिश अच्छी बात है। मगर, इंटरनेशनल मार्केटिंग कर रही सिम कार्ड्स कंपनियां फिर वर्चुअल सिम कार्ड या ई-सिम कार्ड जारी करना शुरू कर देंगी। जिसे ट्रैक करना और भी मुश्किल होगा। अभी फिजिकल सिम कार्ड होने से टावर से ट्रैक करना आसान होता है। एक आधार पर बार-बार अंगूठा लगवाकर कई सिम कार्ड बनवा लिए जाते हैं। इसीलिए ऐसे नेटवर्क गांवों या दूर-दराज के इलाकों में ज्यादा पनपते हैं।
विदेशों में है वर्चुअल सिम कार्ड, निगरानी अच्छी
आयुष गुहा के अनुसार, विदेशों में फिजिकल सिम कार्ड की जगह वर्चुअल सिम कार्ड्स का ज्यादा इस्तेमाल होता है। वहां पर सिम कार्ड की कोई लिमिट नहीं होती है, मगर हर सिम का रिकॉर्ड रखा जाता है। यहां तक कि किसने किस सिम से कितनी बार कॉल किया या कब एक्टिवेट किया या उससे क्या-क्या ऑनलाइन काम किए गए। भारत में अभी ये सिर्फ कारपोरेट हाउसेज में ही है, आम लोगों तक इसकी पहुंच नहीं है। यहां पर वर्चुअल सिम कार्ड के लिए कोई मजबूत तंत्र भी नहीं है।
सिम कार्ड से होने वाले अपराध अलग-अलग किस्म के
सिम स्वैप फ्रॉड: सोनाली गुहा के अनुसार, इसमें हैकर्स आपके नाम पर सिम कार्ड को अपने पास ट्रांसफर कर लेते हैं और आपके फोन कॉल्स और संदेशों को नियंत्रित कर सकते हैं। इससे वे आपके बैंक खातों तक पहुंच सकते हैं और आपकी व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग कर सकते हैं।
फिशिंग: इसमें हैकर्स आपको फेक कॉल, एसएमएस या ईमेल भेजकर व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी जैसे बैंक खाता विवरण, पासवर्ड और ओटीपी मांगते हैं। यह जानकारी उनके अपराधों में उपयोग की जा सकती है।
सिम कार्ड क्लोनिंग: इस तकनीक का उपयोग करके हैकर्स आपके सिम कार्ड का डुप्लीकेट बना सकते हैं। इस डुप्लीकेट सिम कार्ड से वे आपके नाम से कॉल्स और संदेश भेज सकते हैं और अनधिकृत रूप से आपके खाते में पहुंच प्राप्त कर सकते हैं।
आईडेंटिटी थेफ्ट: सिम कार्ड के माध्यम से हैकर्स आपकी व्यक्तिगत पहचान चुरा सकते हैं, जैसे कि आपका नाम, पता और वित्तीय विवरण। इससे उन्हें अन्य अपराधों में शामिल होने की संभावना होती है।
एसएमएस/कॉल धोखाधड़ी: इसमें हैकर्स अज्ञात नंबर से स्पैम कॉल या संदेश भेजकर धोखाधड़ी योजनाओं को प्रमोट करते हैं, जैसे कि फेक लॉटरी जीत, नौकरी की पेशकश या निवेश अवसर। इन योजनाओं में वे आपसे पैसे या व्यक्तिगत जानकारी मांगते हैं।
सिम कार्ड से होने वाले फ्रॉड या क्राइम से ऐसे बचा जा सकता है।
1. सिम स्वैप फ्रॉड से बचाव:
अपने सर्विस प्रोवाइडर से लगातार संपर्क में रहें और उनसे सिम कार्ड पर किसी भी गैर-सामान्य गतिविधियों की जानकारी लें।
आपका सिम कार्ड अचानक बंद हो जाता है या आप अपने फोन पर सर्विस नहीं ले पा रहे हैं, तो तुरंत अपने सर्विस प्रोवाइडर को सूचित करें।
2. फिशिंग से बचाव:
कभी भी अज्ञात स्रोतों से आने वाले कॉल्स, एसएमएस या ईमेल्स का जवाब न दें।
किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत जानकारी जैसे पासवर्ड, बैंक खाता विवरण, या ओटीपी को कभी भी अनजान लोगों के साथ साझा न करें।
3. सिम कार्ड क्लोनिंग से बचाव:
अपने सर्विस प्रोवाइडर से अगर आपका सिम कार्ड डुप्लीकेट बना हो जाए तो तुरंत संपर्क करें और उन्हें इस बारे में सूचित करें।
सिम कार्ड की खोई हुई या चोरी हुई रिपोर्ट तुरंत पुलिस और सर्विस प्रोवाइडर को करें।
4. पहचान चोरी से बचाव:
अपनी व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखें और ध्यान दें कि इसे अनधिकृत प्राप्तकर्ताओं के साथ साझा न करें।
अपने बैंक खातों और अन्य ऑनलाइन खातों की सुरक्षा के लिए दृष्टिगत बनाए रखें।
5. एसएमएस/कॉल धोखाधड़ी से बचाव:
अज्ञात नंबरों से आने वाले स्पैम कॉल्स और संदेशों को इग्नोर करें और उनका जवाब न दें।
किसी भी धोखाधड़ी योजना में शामिल होने से पहले उसकी पूरी जानकारी जांचें और इसे विश्वसनीयता की दृष्टि से मूल्यांकन करें।
ये उपाय अपनाकर आप सिम कार्ड से होने वाले अपराधों से बच सकते हैं। हमेशा सतर्क रहें और अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा का ध्यान रखें।