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मुश्किलें कम होने के बजाए बढ़ती जा रही, यूक्रेन में फंसे स्टूडेंट्स लगातार संपर्क में

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रायपुर। यूक्रेन के राजधानी कीव और खारकीव में फंसे छत्तीसगढ़ समेत भारत के कई राज्यों के स्टूडेंट्स की मुश्किलें कम होने के बजाए बढ़ती जा रही है। देश के ज्यादातर स्टूडेंट्स कीव, खारकीव और आसपास के शहरों में हैं, जहां हालात बेहद ही खराब हैं। उन्हें बॉर्डर पहुंचना तो दूर बंकर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। क्योंकि, यहां बमबारी हो रही है और यूक्रेन सेना ने कर्फ्यू लगा दिया है। दूतावास की तरफ से भी उन्हें बाहर निकालने का कोई इंतजाम नहीं किया जा सका है।
यूक्रेन में फंसे छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, जांजगीर-चांपा और आसपास के स्टूडेंट्स और उसके दोस्तों ने कुछ मीडिया हाउस एक ग्राफिक्स वीडियो भेजा है। जिसमें यूक्रेन में युद्ध के बाद पूर्वी इलाकों में उपजे हालात को बयां किया गया है। स्टूडेंट्स ने इस वीडियो में बताया है कि यूक्रेन में खारकीव, कीव सहित आसपास का इलाका बहुत ही संवेदनशील है। जहां लगातार बमबारी हो रही है। ऐसे में दूतावास ने उन्हें बंकर और मेट्रो में शरण लेने की सलाह दी है। इस हालात में यूक्रेन सेना ने कर्फ्यू लगा दिया है। यहां ट्रेनों के साथ ही गाडिय़ां बंद है। स्थिति यह है कि बंकर और मेट्रो से निकलना तक मुश्किल हो रहा है।
छात्रों ने इस ग्राफिक्स के जरिए यह भी बताने की कोशिश भी है कि उनके लिए पोलैंड, हंगरी और रोमानिया बॉर्डर पहुंचने के लिए 12 से 1400 किलोमीटर तक सफर करना पड़ेगा। जो कर्फ्यू के हालात में बिना सुरक्षा के संभव ही नहीं है। इतनी लंबी दूरी तक सफर कर बॉर्डर तक पहुंचना खतरनाक है। क्योंकि, इन इलाकों में बमबारी के बाद सड़कों की हालत खराब हो गई है। कई जगह ब्रिज टूट गए हैं। ऐसे में उन्हें बंकर और मेट्रो में रहना ज्यादा सुरक्षित महसूस हो रहा है। दूतावास ने भी उन्हें यही सलाह दी है।
बताया गया है कि यूक्रेन में फंसे वही बच्चे पोलैंड, हंगरी और रोमानिया बॉर्डर तक आसानी से पहुंच रहे हैं, जो पश्चिमी शहरों में रह रहे हैं। वहां युद्ध की हालात नहीं हैं और बसें, टैक्सी और ट्रेन की सुविधा उपलब्ध है। यही वजह है कि दूतावास ने उन्हें बॉर्डर तक पहुंचने की सलाह दी है। इसके साथ ही पश्चिमी शहरों में फंसे स्टूडेंट्स को रेलवे स्टेशन में पहुंचकर ट्रेन के जरिए बॉर्डर पहुंचने कहा जा रहा है।
छात्रों ने यह भी स्पष्ट किया है कि यूक्रेन के खारकीव, कीव और पूर्वी शहरों में फ्लाई एयर का कनेक्शन टूट गया है। लेकिन, खारकीव से मात्र 71 किमी की दूरी में रूस बॉर्डर है। जहां रूस का बुलगार्ड एयरपोर्ट है। यहां तक पहुंचने में स्टूडेंट्स को सिर्फ एक घंटे का सफर तय करना पड़ेगा। लेकिन, इस इलाके में रूस और यूक्रेन की सेना तैनात हैं और उनके बीच युद्ध चल रहा है। लगातार बमबारी हो रही है। ऐसे में इस मार्ग में सेफ जोन बनाकर छात्रों को निकाला जा सकता है। हालांकि, यह बेहद मुश्किल काम है। लेकिन, केंद्र सरकार को इसके लिए पहल करना चाहिए। ताकि, 15 हजार स्टूडेंट्स को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।