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बिना टेंडर और बिना कार्यादेश के काम करने वाले ठेकेदार के विरुद्ध हो सकती हैं FIR…?अविलंब कार्यवाही करने कलेक्टर कार्यालय से हुआ आदेश….भ्रष्ट सीएमओ की मनमानी दिखी…?

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मुंगेली/ सिर से लेकर पाँव तक भ्रष्टाचार में डूबी मुंगेली नगर पालिका के भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं हैं। क्योंकि मुंगेली नगर पालिका में लंबे समय से भ्रष्टाचार और अनियमितता केकई मामले उजागर होते रहे हैं, जिसके चलते नगर पालिका के अधिकारियों, कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों पर एफआईआर भी दर्ज हो चुका हैं, जिसके चलते उन्हें जेलयात्रा भी करनी पड़ी। पुराने भ्रष्टाचार के घटनाओं के बावजूद के बहु नगर पालिका के अधिकारी अपने भ्रष्ट रवैये से बाज नहीं आ रहे।

आपको बता दे कि हाल ही में मुंगेली शहर में बिना निविदा व कार्यादेश के शासकीय संपत्ति से छेड़छाड़ एवं उसके रूप परिवर्तन करने का मामले की कलेक्टर मुंगेली सहित अन्य जगहों पर शिकायत की गई थी, जिस पर कलेक्टर कार्यालय ने तुरंत सीएमओ को ज्ञापन जारी कर जांच कर कार्यवाही करने कहा था। लिखित शिकायत प्राप्त होते ही संयुक्त कलेक्टर ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी मुंगेली को ज्ञापन भेज कहा कि “मुंगेली नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत पड़ाव चौक से रायपुर रोड खड़खड़िया नाला तक बने मुख्य मार्गों के डिवाईडरों में किसी ठेकेदार द्वारा बिना निविदा व कार्यादेश के उन डिवाईडरों में छबाई, प्लास्टर, पोताई, मरम्मत तथा लोहे के ग्रिल लगाने जैसा कार्य किया गया है। श्री अरूण साव, उप मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ शासन के मुंगेली आगमन पर अधिकारियों द्वारा ठेकेदार को मौखिक तौर पर बोलकर आनन-फानन में शहर के इस डिवाईडरों में छबाई, प्लास्टर, पोताई, मरम्मत तथा लोहे के ग्रिल लगाने जैसा किया गया और यह निर्माण कार्य बिना किसी निविदा प्रकाशन व कार्यादेश के महिनों चलता रहा। आगे कहा गया कि भविष्य में अगर मुंगेली शहर के डिवाईडरों में मरम्मत, लोहे के ग्रिल लगाने, छबाई व पोताई कार्य संबंधी किसी कार्य, निर्माण व मरम्मत तथा गौरव पथ सड़क निर्माण का निविदा प्रकाशन / टेंडर निकाला जाता है तो डिवाईडर में अवैध रूप से मरम्मत, लोहे के ग्रिल लगाने, छबाई व पोताई कार्य करने वाले ठेकेदार को उक्त टेंडर में भाग लेने की अनुमति न दी जाये।” इस संबंध में सीएमओ को जांच कर कार्यवाही करते हुए कार्यवाही का अभिमत सहित अविलंब प्रतिवेदन मांगा गया हैं। अब सवाल यह उठता हैं कि भ्रष्टाचार के विवादों में घिरे मुख्य नगर पालिका क्या पारदर्शिता से जांच कर कार्यवाही करते हुए एफआईआर दर्ज करवाते हैं या मामले को दबाने कोई नया हथकंडा अपनाते हैं ?