रायगढ़ से सुशील पांडेय की रिपोर्ट
तबादला नीति पर उठ रहे सवाल
तहसीलदार जैसे संवेदनशील पदों पर होम डिस्ट्रिक्ट में नहीं होती पदस्थापना
रायगढ़। इन दिनों छत्तीसगढ़ सरकार ने तबादला नीति को छिन्न-भिन्न कर दिया है। अफसर अपनी मर्जी से जहां चाहे वहां पोस्टिंग करा रहे हैं। राजस्व विभाग में तहसीलदार जैसे संवेदनशील पदों पर पदस्थापना के पूर्व गृह जिले की जानकारी तक नहीं देखी जा रही है। वर्तमान में रायगढ़ में पांच ऐसे तहसीलदार पदस्थ हैं जिनका गृह जिला भी यही है। एक तहसीलदार तो अपने गृह ब्लॉक में ही पोस्टिंग पर रहे।
अधिवक्ता संघ ने जो सवाल उठाए हैं वो कहीं न कहीं पोस्टिंग की इस नीति से भी जुड़ा हुआ हैं। राजस्व अधिकारियों की पोस्टिंग कभी उनके गृह जिलों में करने की सिफारिश नहीं की जाती क्योंकि उनके फैसले पक्षपातपूर्ण होने की संभावना बनी रहती है। इसीलिए नायब तहसीलदार, तहसीलदार, एसडीएम, अपर कलेक्टर आदि पदों पर पोस्टिंग के पहले अधिकारी के गृह जिले की तस्दीक की जाती है। लेकिन पिछले तीन सालों में यह नियम तार-तार हो गया है। अब तबादले अफसरों की मर्जी से हो रहीे हैं। जिसे जहां पोस्टिंग लेनी है, वहां मिल जा रही है। राजस्व अधिकारियों की पोस्टिंग में सरकार राजस्व अधिकारियों पर मेहरबान दिख रही है। इसका असर राजस्व मामलों में देखा जा रहा है। केवल रायगढ़ जिले की बात करें तो यहां वर्तमान में चार ऐसे नायब तहसीलदार व तहसीलदार पदस्थ हैं, जो इसी जिले के रहने वाले हैं। राहुल पांडे, अनुराधा पटेल, सिद्धार्थ अनंत और सुनील अग्रवाल रायगढ़ जिले के ही निवासी हैं। एक तहसीलदार का गृह जिला जांजगीर-चांपा बताया गया है लेकिन वह भी कई सालों से रायगढ़ में ही रह रहा है। इसमें पहला नाम अब तक रायगढ़ तहसीलदार रहे सुनील अग्रवाल का है। ये गेरवानी रायगढ़ तहसील के रहने वाले हैं। सरकार ने इनको पहले सारंगढ़ पदस्थ किया था, लेकिन वहां वसूली कांड के बाद इन्हें पहले जिला मुख्यालय अटैच किया गया, फिर धीरे से रायगढ़ का ही तहसीलदार बना दिया गया। अब उन्हें धरमजयगढ़ भेजा गया है।
एसडीएम के रिश्तेदार हैं तहसीलदार
राजस्व विभाग ने गृह जिले में पदस्थापना देने की जो नई योजना शुरू की है। इसमें केवल गृह जिले ही नहीं, अब अपने रिश्तेदारों को भी एक ही तहसील में पोस्टिंग करा लिया जा रहा है। सारंगढ़ राहुल पांडे को तहसीलदार की कुर्सी पर बैठाया गया है। बताया जा रहा है कि ये वहीं पदस्थ एसडीएम एनके चौबे के बहनोई बहनोई हैं। इस तरह विवादित पदस्थापना की जा रही है। श्री चौबे उन अफसरों में शुमार हैं, जिन्होंने रायगढ़ जिले में प्रोबेशन पीरियड खत्म किया और एसडीएम भी बने। परिवीक्षाधीन अवधि खत्म होने पर भी उनका जिला नहीं बदला।
अपने ही आदेशों की अपील देख रहे घरघोड़ा एसडीएम
नियमानुसार किसी भी तहसीलदार व नायब तहसीलदार को प्रमोशन के बाद दूसरे जिले में भेज दिया जाता है ताकि उनके द्वारा किए गए आदेश को खुद अपील में सुनने में दिक्कत न आए। लेकिन घरघोड़ा एसडीएम प्रमोशन के पहले भी वहीं तहसीलदार थे प्रमोशन के बाद एसडीएम बनकर अपने ही आदेश की अपील सालों से सुन रहे हैं।
लिपिक भी रायगढ़ में थे, तहसीलदार भी यहीं बने
बरमकेला तहसीलदार अनुज पटेल की कहानी बहुत रोचक है। वे घरघोड़ा में लिपिक थे। विभागीय परीक्षा देकर नायब तहसीलदार बने और अब पदोन्नत होकर तहसीलदार बन चुके हैं। रिकॉर्ड में ये जांजगीर-चांपा निवासी हैं लेकिन इनका घर केलो विहार कॉलोनी में है।
क्या कहते है अधिकारी
पहले तो ऐसा नहीं होता था लेकिन वर्तमान में रायगढ़ जिले में चार अधिकारी गृह जिले के हैं। यह शासन स्तर का मामला है। प्रमोशन के बाद भी स्थनांतरण किया जाता था ताकि अपने ही आदेश को अपील में सुनना न पड़े।
एके कुरूवंशी, अपर कलेक्टर रायगढ़