नई दिल्ली
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार ने इस्पात उत्पादन में हरित हाइड्रोजन के उपयोग के लिए तीन पायलट परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इससे पहले नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस पहल के तहत इस्पात क्षेत्र में पायलट परियोजनाओं को लागू करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे।
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पायलट परियोजनाओं के माध्यम से परियोजना का लक्ष्य इस्पात निर्माण में हरित हाइड्रोजन का उपयोग करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों की पहचान करना है। ये परियोजनाएं हरित हाइड्रोजन आधारित इस्पात निर्माण प्रक्रियाओं के सुरक्षित संचालन को प्रदर्शित कर सकती हैं, तकनीकी व्यवहार्यता और दक्षता स्थापित कर सकती हैं और कम कार्बन वाले लौह एवं इस्पात उत्पादन को सक्षम करने के लिए उनकी आर्थिक व्यवहार्यता का आकलन कर सकती हैं।
प्राप्त प्रस्तावों के मूल्यांकन के आधार पर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस्पात क्षेत्र में कुल तीन पायलट परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इसके लिए केंद्र सरकार की कुल वित्तीय सहायता 347 करोड़ रुपये है। इन पायलट परियोजनाओं के अगले 3 वर्षों में चालू होने की संभावना है, जिससे भारत में ऐसी प्रौद्योगिकियों का विस्तार होगा। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन आंदोलन 4 जनवरी 2023 को शुरू किया गया था। वित्त वर्ष 2029-30 तक इसके लिए 19,744 करोड़ रुपये रखे गए हैं। इस कदम से अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी, डीकार्बोनाइजेशन को बढ़ावा मिलेगा, जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता कम होगी और भारत को हरित हाइड्रोजन में प्रौद्योगिकी और बाजार का नेतृत्व करने में मदद मिलेगी।