माले
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए हैं। इनमें एक महत्वपूर्ण समझौते के तहत राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत को मालदीव में 'रक्षा प्लेटफॉर्म और संपत्ति' की तैनाती की अनुमति देने पर सहमति जताई है। मालदीव का राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने भारत से सैनिकों को निकालने को कहा था, अब कुछ ही महीने के बाद उनकी सरकार ने भारत के रेडार को देश में लगाने की मंजूरी दी है।
समझौते के तहत भारत मालदीव के राष्ट्रीय रक्षा बल की निगरानी क्षमता को बढ़ाने में भी माले की सहायता करेगा। इसके लिए नई दिल्ली से माले को 'रेडार सिस्टम और अन्य उपकरण' दिए जाएंगे। सोमवार को पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू की मुलाकात के बाद, भारत ने मालदीव को आर्थिक संकट और कर्ज चुकौती से उबारने में मदद देने के लिए भी सहमति जताई।
मोदी-मुइज्जू में रक्षा सहयोग पर चर्चा
दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि भारत मालदीव की क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा ताकि उसके विशाल एक्सक्लूसिव आर्थिक क्षेत्र को समुद्री सुरक्षा के लिए पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चुनौतियों से बचाया जा सके। पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने और मुइज्जू ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक चर्चा की है। 'हम मालदीव के राष्ट्रीय रक्षा बलों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में अपना सहयोग जारी रखेंगे।'
भारत का चीन को संदेश
मालदीव में अपनी गतिविधियां बढ़ा रहे चीन को भी भारत ने संदेश दे दिया है। पीएम मोदी ने कहा, 'हम हाइड्रोग्राफी और आपदा प्रतिक्रिया में अपना सहयोग बढ़ाएंगे।' दोनों नेताओं की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि नई दिल्ली मालदीव के राष्ट्रीय रक्षा बल की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 'रक्षा प्लेटफार्मों और परिसंपत्तियों के प्रावधान' के साथ-साथ मालदीव सरकार की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप अपनी समुद्री और सुरक्षा आवश्यकताओं को आगे बढ़ाने में माले की सहायता करेगी।
भारतीय सैनिकों की वापसी का मामला
मुइज्जू ने पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव से पहले मालदीव में इंडिया आउट अभियान चलाया था। दरअसल भारत ने मालदीव को डोर्नियर विमान और दो एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर दिए थे। इनके संचालन के लिए भारत ने कुछ सैन्य कर्मियों को तैनात किया था। मुइज्जू ने चुनाव में वादा किया था कि वे भारत से अपने सभी सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने को कहेंगे। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने भारत को इस साल 10 मई तक भारत से अपने सभी सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने के लिए कहा, जिसके बाद भारत ने नागरिक कर्मियों की तैनाती की थी।