जगदलपुर। हमर सियान, दाई-दीदी, भाई, बहिनी, संगवारी अऊ मयारू, नोनी-बाबू मन ल जय जोहार !!
आज भारत के तिहत्तरवां गणतंत्र दिवस हवय। ‘हम भारत के लोग’ के बनाए अपन संविधान ल लागू करे के पावन दिन हे। ये बेरा म मे ह आप मन के हार्दिक अभिनंदन करथंव।
जब हम अपने गौरवशाली संविधान की बात करते हैं तो हमारी आंखों के सामने उन अमर शहीदों के चेहरे नजर आते हैं, जिनकी बदौलत भारत आजाद हुआ था। अमर शहीद गैंदसिंह, शहीद वीर नारायण सिंह, वीर गुण्डाधूर जैसी विभूतियों की बदौलत 1857 की क्रांति के पहले से हमारा छत्तीसगढ़, भारत की राष्ट्रीय चेतना से जुड़ा था। आजादी के आंदोलन से लेकर गणतंत्र का वरदान दिलाने तक जिन महान विभूतियों ने अपना योगदान दिया, उन सबको मैं सादर नमन करता हूं।
हमारे दूरदर्शी पुरखों ने आजादी की लड़ाई के साथ-साथ आजाद भारत के संविधान का सपना ही नहीं देखा था, बल्कि इसकी ठोस तैयारी भी शुरू कर दी थी। यही वजह है कि हमारे संविधान में देश की विरासत, लोकतांत्रिक मूल्य, पंचायत की अवधारणा को अहम स्थान मिला।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, प्रथम विधि मंत्री बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, प्रथम उप प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल, प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद सहित, संविधान निर्माण की प्रक्रिया में शामिल महानुभावों और उस दौर की विभूतियों ने भारत के नवनिर्माण की नींव रखी थी, उसी पर देश बुलंदियों के नए-नए शिखरों पर पहुंचा है। मैं उन सभी के योगदान को याद करते हुए सादर नमन करता हूं।
आज जब हम अपने देश की पावन पहचान, तिरंगे झण्डे की छांव में खड़े होते हैं तो आन-बान और शान से लहराते हुए तिरंगे में हमें अपनी महान विरासत के अनेक रंग दिखाई पड़ते हैं, जो हमें भाव-विभोर करते हैं और गौरव का अहसास दिलाते हैं। हमें अपनी आजादी को बचाने, गणतंत्र को मजबूत करने, संविधान के प्रति आस्था और निष्ठा दोहराने के लिए प्रेरित करते हैं। हमें इस बात का पुरजोर अहसास होता है कि हमारा संविधान ही हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों, मौलिक अधिकारों का प्रणेता है, इसे सहेजकर रखना हम सबका परम कर्त्तव्य है।
भाइयों और बहनों, इस वर्ष हम देश की आजादी की पचहत्तरवीं सालगिरह मनाएंगे। यह अवसर मनन करने का है कि क्या देश आजादी तथा गणतंत्र के लक्ष्यों को पूरी तरह हासिल कर सका है? आजादी के समय जिस तरह साम्प्रदायिक उन्माद का वातावरण बनाया गया था, क्या आज हम उन चुनौतियों से निश्चिंत हो पाए हैं? क्या जनता के स्वाभिमान, स्वावलंबन और सशक्तीकरण के लक्ष्य पूरे हो पाए हैं? यदि नहीं, तो आज की सबसे बड़ी प्राथमिकता क्या होनी चाहिए? क्या साम्प्रदायिक उन्माद देश की प्रगति में रुकावट नहीं है?
मेरा मानना है कि आज भी हमारी सबसे बड़ी जरूरत आपसी एकता की है, समन्वय की है, आपसी प्यार और सहभागिता से आगे बढ़ने की है, ताकि नकारात्मक विचारों को किसी भी क्षेत्र में स्थान न मिल पाए। हमारी जरूरत सद्भावना के साथ विकास की है। हर हाथ को काम देने की है। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद एक नया अवसर मिला था कि सही प्राथमिकताओं से विकास की सही दिशा तय की जाए लेकिन विडम्बना है कि डेढ़ दशक का लंबा समय गलत प्राथमिकताओं के कारण खराब हो गया। हमें तीन वर्ष पहले जब जनादेश मिला तो हमने छत्तीसगढ़ में न्याय, नागरिक अधिकारों और जन-सशक्तीकरण का काम मिशन मोड में किया है। यही वजह है कि आज प्रदेश में चारों ओर न्याय, विश्वास, विकास और उसमें जन-जन की भागीदारी की छटा दिखाई पड़ रही है।
तीन साल पहले प्रदेश में बेचैनी और बदहाली का सबसे बड़ा कारण था कि जनता के सपनों, जनता की जरूरतों और सत्ता की सोच में एकरूपता नहीं थी। मैंने गांव-गांव दौरे किए और हर समाज, हर वर्ग के लोगों से मिलकर वास्तव में जनता के सपने पूरे करने की रणनीति अपनाई। अलग-अलग जरूरतों के लिए योजनाएं बनाईं।
मैंने और हमारे साथियों ने देखा था कि उस वक्त किसान भाई धान का सही दाम नहीं मिलने के कारण निराश थे। हमने वादा निभाया और सरकार बनते ही 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया। इस काम में बाधाएं आईं तो उसका भी समाधान किया। ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत राज्य के बजट से हमने 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि किसानों को देने की व्यवस्था की है। अब इस योजना में धान सहित खरीफ की सभी फसलों, लघु धान्य फसलों जैसे कोदो, कुटकी, रागी, दलहन, तिलहन तथा उद्यानिकी फसलों को भी शामिल किया गया है।
मैं किसान का बेटा हूं, इसलिए किसानों के सुख-दुख को भली-भांति समझता हूं। हमने किसानों के हित में जो क्रांतिकारी कदम उठाए, उससे किसानों का हौसला बढ़ा, जिसके कारण प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का नया कीर्तिमान बना। विगत वर्ष हमने 92 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीदी की थी और इस साल 105 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है। मात्र तीन वर्षों में धान बेचने हेतु पंजीयन कराने वाले किसानों की संख्या 15 लाख से बढ़कर 24 लाख तक पहुंच गई है अर्थात 60 प्रतिशत अधिक किसानों का पंजीयन सुखद संकेत है कि सरकार और खेती पर किसानों का भरोसा लौटा है।
मुझे यह कहते हुए खुशी है कि नई फसलों और इससे संबंधित किसानों को बेहतर दाम दिलाने की दिशा में हम एक और बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। आज मैं यह घोषणा करता हूं कि आगामी खरीफ वर्ष 2022-23 से प्रदेश में दलहन फसलों जैसे मूंग, उड़द, अरहर की खरीदी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाएगी।
उद्यानिकी फसलों के विकास के लिए ‘छत्तीसगढ़ शाकम्भरी बोर्ड,’ चाय और कॉफी के उत्पादन व प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए ‘टी-कॉफी बोर्ड’ का गठन किया गया है। मछली पालन और लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया गया है। ‘मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना’ शुरू की गई है, जिसके तहत धान उत्पादक किसान यदि अपने पंजीकृत रकबे में धान के बदले वृक्ष लगाते हैं तो उन्हें भी तीन वर्ष तक 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके अलावा निजी व्यक्ति, ग्राम पंचायतों, संयुक्त वन प्रबंधन समितियों को भी इस योजना और प्रोत्साहन राशि के दायरे में रखा गया है। मेरा मानना है कि हरियाली और आर्थिक सशक्तीकरण के साझा प्रयासों में वृक्ष किसानों की भी बड़ी भूमिका रहेगी। ये सारे प्रयास से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देंगे।
प्रदेश में पहली बार प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का पुनर्गठन कर 725 नई समितियों का पंजीयन किया गया है। इस तरह अब प्रदेश में इन समितियों की संख्या 1 हजार 333 से बढ़कर 2 हजार 58 हो गई है, जिससे किसानों को ऋण वितरण व अन्य योजनाओं का लाभ अधिक सुविधाओं के साथ दिया जा सकेगा।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र 2021 में मैंने किसानों के सिंचाई पम्प ऊर्जीकरण के 35 हजार से अधिक लंबित आवेदनों का समाधान एक साल में करने की घोषणा की थी। मुझे खुशी है कि 26 हजार से अधिक पम्प ऊर्जीकृत हो गए हैं। शेष पर तेजी से कार्यवाही की जा रही है ताकि मार्च 2022 तक ऐसा कोई भी प्रकरण लंबित नहीं रहे।
पहले हमने 1 नवम्बर 2018 तक किसानों का लंबित 244 करोड़ रुपए का सिंचाई जल कर माफ किया था। दूसरी बार 30 जून 2021 तक पुनः 80 करोड़ रुपए का सिंचाई कर माफ कर दिया है। इस तरह कृषि ऋण माफी, सिंचाई हेतु निःशुल्क विद्युत प्रदाय, अनुदान जैसी आर्थिक राहत में विस्तार किया गया है। जाहिर है कि किसानों को सुविधा देने के हर मामले में हमने संवेदनशीलता के साथ तत्परता से कार्यवाही की है।
छत्तीसगढ़ की ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि मजदूरी पर निर्भर है, जिन्हें खरीफ सीजन के बाद रोजगार का संकट हो जाता है। ऐसे भूमिहीन कृषि मजदूरों के लिए हमने ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ के तहत इसी वित्तीय वर्ष से लाभ देने की भी घोषणा की थी। जिसके तहत प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए प्रदान करने का प्रावधान है। दिसम्बर 2021 में विशेष ग्राम सभाओं से पात्र हितग्राहियों का अंतिम चयन हो चुका है। गणतंत्र दिवस के तत्काल पश्चात 1 फरवरी को पहली किस्त की राशि पात्र हितग्राहियों को अंतरित की जाएगी।
‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ में 60 प्रतिशत राशि कृषि कार्यों को बढ़ावा देने के लिए खर्च करने का प्रावधान भारत सरकार द्वारा किया गया है, लेकिन छत्तीसगढ़ में हमने कृषि व संबंधित कार्यों के लिए 76 प्रतिशत राशि खर्च की है। इसी प्रकार जल-जंगल-जमीन से संबंधित कार्यों के लिए प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए 65 प्रतिशत के प्रावधान के विरुद्ध हमने छत्तीसगढ़ में 82 प्रतिशत राशि खर्च की है। कोरोना के दौर में मनरेगा से गांवों में बड़े पैमाने पर रोजगार देने का कीर्तिमान बनाया गया था, वहीं अन्य विभागों की योजनाओं के साथ अभिसरण से हमने मनरेगा की व्यापक सार्थकता साबित की है।
हमारी ‘सुराजी गांव योजना’ गांवों में नई अर्थव्यवस्था की बुनियाद बनाने में सफल हो रही है। इसके अंतर्गत नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी के विकास के काम अब बड़े पैमाने पर हो रहे हैं।
‘गोधन न्याय योजना’ ने ग्रामीण तथा शहरी गौ-पालकों को आजीविका का नया जरिया उपलब्ध कराया है। इस योजना से अभी तक 122 करोड़ रुपए से अधिक का गोबर खरीदा जा चुका है। इससे वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन और उपयोग की एक नई क्रांति ने जन्म लिया है, जिससे देश में आसन्न रासायनिक खाद संकट को हल करने में मदद मिलेगी। गौठान अब रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित हो रहे हैं। गोबर से बिजली, प्राकृतिक पेंट तथा अन्य उत्पादों का निर्माण करने की पहल की गई है। अब गोबर की आर्थिक-सामाजिक-सांस्कृतिक उपयोगिता के सभी पहलुओं पर व्यापक और सुसंगत ढंग से काम करने के लिए ‘गोधन न्याय मिशन’ का गठन मील का पत्थर साबित होगा।
कोरोना महामारी के समय जब बड़ी संख्या में हमारे प्रवासी श्रमिक छत्तीसगढ़ लौटे तब हमने उनके हित के लिए विशेष प्रयास करने का संकल्प लिया था, जिसे अमल में लाते हुए ‘छत्तीसगढ़ राज्य प्रवासी श्रमिक नीति 2020’ को बनाकर लागू किया गया है। असंगठित श्रमिकों के पंजीयन, पलायन पंजी का ऑनलाइन
संधारण, विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के संचालन के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्यों हेतु भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय ‘ई-श्रमिक सेवा’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
श्रम कल्याण के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए आज मैं यह घोषणा करता हूं कि प्रत्येक जिला मुख्यालय तथा विकासखण्ड स्तर पर ‘मुख्यमंत्री श्रमिक संसाधन केन्द्र’ की स्थापना की जाएगी।
श्रमिक परिवारों की बेटियों की शिक्षा, रोजगार, स्वरोजगार तथा विवाह में सहायता के लिए भी आज मैं एक नई योजना की घोषणा करता हूं, जो ‘मुख्यमंत्री नोनी सशक्तीकरण सहायता योजना’ के नाम से जानी जाएगी। इस योजना के तहत ‘छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल’ में पंजीकृत हितग्राहियों की प्रथम दो पुत्रियों के बैंक खाते में 20-20 हजार रुपए की राशि का भुगतान एकमुश्त किया जाएगा।
जरूरतमंद तबकों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अतुलनीय योगदान रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ में डेढ़ दशक में यह व्यवस्था भी बदहाली की भेंट चढ़ गई थी। हमने ‘सार्वभौम पीडीएस’ का वादा निभाया, जिसका लाभ 2 करोड़ 55 लाख लोगों को मिलने लगा है। यह वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार शत्-प्रतिशत कवरेज है। विगत एक वर्ष में 778 नई उचित मूल्य दुकानें शुरू की गई हैं। आयरन फोलिक एसिड युक्त फोर्टिफाइड चावल वितरण की शुरुआत हमने कोण्डागांव जिले से की थी, जिसे अब पूरे प्रदेश में मध्याह्न भोजन योजना तथा पूरक पोषण आहार योजना में लागू कर दिया गया है। इस तरह खाद्यान्न सुरक्षा के साथ पोषण सुरक्षा के लिए भी नए उपाय किए जा रहे हैं।
बस्तर में मुझे कुपोषण की विभीषिका का पता चला था और हमने तत्काल कदम उठाया था, जिसे बढ़ाते हुए पूरे प्रदेश में कुपोषण मुक्ति के लिए ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’ की शुरुआत की गई थी। हमारी इस पहल से लगभग 1 लाख 60 हजार बच्चे कुपोषण मुक्त हुए हैं तथा 1 लाख से अधिक महिलाएं एनीमिया से मुक्त हुई हैं। पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के अंतर्गत 25 लाख से अधिक बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को लाभान्वित किया जा रहा है। इस तरह स्वस्थ-सुपोषित नई पीढ़ी छत्तीसगढ़ की शक्ति बनेगी।
हम चाहते हैं कि महिला स्व-सहायता समूहों ने प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक विकास में जो योगदान दिया है, उसे और गति मिले, इसलिए महिलाओं को स्वयं का व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए 2 लाख रुपए का ऋण प्रदान करने की व्यवस्था ‘सक्षम योजना ’के तहत की गई है। छत्तीसगढ़ महिला कोष के माध्यम से ऋण लेने वाले महिला स्व-सहायता समूहों पर लगभग 13 करोड़ रुपए का ऋण लंबित होने के कारण इनके कामकाज ठप हो गए थे। हमने 6 हजार से अधिक समूहों के ऐसे ऋणों को न सिर्फ माफ कर दिया है बल्कि सभी समूहों की ऋण लेने की पात्रता भी दोगुनी कर दी है। ‘छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन’ (बिहान) के अंतर्गत 22 लाख से अधिक महिलाओं को स्व-सहायता समूहों से जोड़ा गया है और उन्हें रोजगार दिलाया गया है।
आदिवासी संस्कृति, कलाएं, रहन-सहन हमारे लिए गर्व का विषय हैं लेकिन डेढ़ दशकों तक इस समाज की आशाओं के विपरीत कार्य करने का बहुत बड़ा नुकसान आदिवासी अंचलों में होता रहा है। वहीं दूसरी ओर भौगोलिक परिस्थितियों और समाज की सरलता का लाभ उठाते हुए नक्सलवादियों ने भी इन्हें हिंसक गतिविधियों का केन्द्र बना लिया था। इस पृष्ठभूमि में हमने आदिवासी बसाहटों में समुचित और सुसंगत विकास की रणनीति अपनाई, जिससे परस्पर विश्वास के वातावरण में एक नई शुरुआत हो। आज मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी का अनुभव हो रहा है कि हम अपनी रणनीति में सफल हो रहे हैं, जिसका लाभ आदिवासी अंचलों में दिखाई पड़ रहा है।
तेन्दूपत्ता संग्रहण की पारिश्रमिक दर 4 हजार रुपए प्रतिमानक बोरा करते हुए हमने एक नई शुरुआत की थी। पहले मात्र 7 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था थी, जिससे बढ़ाकर अब 61 कर दिया जाएगा। ‘रैली कोसा’ को भी समर्थन मूल्य पर खरीदने की घोषणा कर दी गई है।
लोहंडीगुड़ा में जमीन वापसी से न्याय की जो शुरुआत की गई थी, वह पहल आर्थिक, सामाजिक हर क्षेत्र में फैली। नक्सली हिंसा के कारण बंद स्कूलों को चालू कराना, अदालती मामलों से मुक्ति, निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा, व्यक्तिगत तथा सामुदायिक वन अधिकार अधिमान्यता पत्रों का वितरण, कुपोषण मुक्त बस्तर, मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान, डीएमएफ व अन्य निधियों की मदद से काजू, कॉफी, पपीता जैसी नए ढंग की खेती को बढ़ावा, कनिष्ठ सेवा चयन आयोग का गठन, मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना, आमचो बस्तर, विश्व आदिवासी दिवस पर अवकाश, सड़क, बिजली तथा मोबाइल नेटवर्क, हवाई सेवा, देवगुड़ी क्षेत्र विकास, विकास प्राधिकरण में स्थानीय नेतृत्व, मधुर गुड़ योजना, बस्तर दशहरा के लिए मांझी, चालकी, आदि की मानदेय राशि में वृद्धि, नारायणपुर जिले में मसाहती सर्वेक्षण जैसे अनेक प्रयासों से स्थानीय जनता और सरकार के बीच आपसी विश्वास का मजबूत रिश्ता बना है। यह हमारी सबसे बड़ी पूंजी है जो आदिवासी अंचलों में विकास के नए-नए द्वार खोलती जाएगी।
हमने ‘छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन’ का शुभारंभ भी कर दिया है जो कोदो, कुटकी, रागी, आदि लघु धान्य फसलों की उत्पादकता, विपणन, वेल्यू एडीशन, आदि के लिए देश की सर्वोच्च संस्थाओं के साथ मिलकर काम करेगा। इसका लाभ भी मुख्य रूप से आदिवासी अंचलों के किसानों को मिलेगा। प्रदेश के 14 आदिवासी बहुल जिलों के 25 विकासखण्डों में 1 हजार 735 करोड़ रुपए की लागत से ‘चिराग परियोजना’ की शुरुआत कर दी गई है, जो इन स्थानों में आजीविका के नए साधन जुटाने में मददगार होगी। मुझे यह बताते हुए खुशी होती है कि वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2021-22 में 455 प्रतिशत अधिक हर्बल उत्पादों का विक्रय हुआ और इसे आगामी एक वर्ष में 1100 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
‘थिंक बी’ और ‘बादल’ अकादमी से आदिवासी अंचलों के युवाओं को अपनी संस्कृति, प्रतिभा, शैक्षणिक और नवाचार की क्षमताओं को निखारने में मदद मिलेगी। इस तरह शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और अधोसंरचना विकास की बयार से बस्तर में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। जनजातीय समूहों से सुझाव लेकर पेसा नियम का प्रारूप तैयार किया गया है। मुझे विश्वास है कि छत्तीसगढ़ आदिवासी कल्याण तथा विकास की दिशा में नए प्रतिमान स्थापित करेगा, जिससे राज्य के विकास में आदिवासी समाज की बहुत महत्वपूर्ण भागीदारी दर्ज होगी।
मुझे खुशी है कि आजीविका और भागीदारी के संगम से हमने स्वच्छता अभियान को भी सशक्त किया है। कचरा प्रसंस्करण को स्वच्छता दीदियों के रोजगार से जोड़ा और व्यापक जन-चेतना से शासन की विभिन्न योजनाओं को जोड़कर छत्तीसगढ़ के स्वच्छता मॉडल को राष्ट्रीय पहचान दिलाई है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ को भारत सरकार ने लगातार तीसरी बार देश के सबसे स्वच्छ राज्य के रूप में राष्ट्रीय पुरस्कार दिया है। मैं चाहूंगा कि सुधार, जन-भागीदारी और विकास से गणतंत्र की मजबूती में हमारे ऐसे कई योगदान दर्ज हों।
हमने सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी जन- सुविधाओं से जुड़ी समस्त अधोसंरचना के विकास के साथ राहत और रोजगार का ध्यान रखा है। बिजली की ट्रांसमिशन प्रणाली में सुधार और विस्तार के माध्यम से पारेषण हानि को कम किया, वहीं बेहतर प्रबंधन से प्रणाली की उपलब्धता को 99.79 प्रतिशत पहुंचाया, जो एक कीर्तिमान है। विद्युत आपूर्ति की विश्वसनीयता बढ़ाने के साथ बिजली बिल हाफ योजना का लाभ 40 लाख 45 हजार उपभोक्ताओं तक पहुंचा दिया गया है, जिससे उन्हें 2 हजार 200 करोड़ रुपए की बचत हुई। विभिन्न योजनाओं से प्रदेश में 24 हजार करोड़ रुपए से अधिक लागत से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। निर्माण कार्यों में शिक्षित बेरोजगारों को भागीदार बनाने के लिए ‘ई-श्रेणी पंजीयन’ के तहत 5 हजार से अधिक युवाओं का पंजीयन किया गया है और उन्हें विकासखण्ड स्तर पर सरलीकृत प्रक्रिया से लगभग 200 करोड़ रुपए के निर्माण कार्य आबंटित किए गए हैं। प्रदेश में सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए केलो परियोजना, खारंग परियोजना, मनियारी परियोजना, अरपा भैंसा-झार परियोजना को इस वर्ष पूर्ण करने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है।
ग्रामीण अंचल में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जल-जीवन मिशन के अंतर्गत सितम्बर 2023 तक 48 लाख से अधिक घरों में नल कनेक्शन देने की योजना है, जिसमें से लगभग 8 लाख कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इसी प्रकार 124 नगरीय निकायों में नल-जल योजनाएं पूर्ण की गई हैं तथा 44 नगरीय निकायों में कार्य प्रगति पर है।
स्वास्थ्य अधोसंरचना के विस्तार हेतु डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ और उपकरणों की संख्या में कई गुना वृद्धि की गई है। वहीं जिन स्थानों में जनता अस्पतालों तक नहीं पहुंच पाती, वहां अस्पतालों की सुविधाएं पहुंचाने के लिए ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना,’ ‘मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना,’ ‘दाई-दीदी क्लीनिक योजना’ से 18 लाख से अधिक लोगों की जांच और उपचार किया गया। ‘डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना,’ ‘मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना’ के माध्यम से उपचार में लगने वाले 50 हजार से लेकर 20 लाख रुपए तक खर्च की चिंता से लोगों को मुक्त किया गया है।
जन-सुविधा के विस्तार और जनता को महंगी दवाई के बोझ से राहत दिलाने के लिए ‘श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर योजना’ प्रारंभ की गई थी, जिसका विस्तार अब सभी शहरों में किया जा रहा है।
हमने नई पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए स्कूल शिक्षा से उच्च शिक्षा तक और रोजगार से लेकर संस्कार विकसित करने तक अनेक कदम उठाए हैं। स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम उत्कृष्ट शालाओं की तर्ज पर अब ऐसी हिन्दी शालाओं की स्थापना भी प्रत्येक जिलों में की जाएगी। 5-6 वर्ष के बच्चों के लिए ऐसे स्थानों पर प्ले स्कूल ‘बालवाड़ी’ की स्थापना की जाएगी, जहां आंगनवाड़ी और प्राथमिक शाला एक ही प्रांगण में हों। प्रथम चरण में ऐसी 6 हजार से अधिक बालवाड़ी प्रारंभ की जाएगी। नवा रायपुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का उत्कृष्ट आवासीय विद्यालय स्थापित किया जाएगा। हमने बच्चों की जरूरतों को पूरी संवेदनशीलता के साथ समझा है, इसलिए कोरोना के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों के लिए ‘महतारी दुलार योजना’ शुरू की थी, जिसके तहत 2 हजार 500 से अधिक बच्चों को 2 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति दी गई है। इसके अतिरिक्त स्कूल फीस भी माफ की गई है। कोरोना के कारण विश्व स्तर पर शिक्षा के स्तर में गिरावट महसूस की गई थी, जिसके लिए हमने उपचारात्मक शिक्षा ‘नवा जतन 2.0 अभियान’ चलाने का निर्णय लिया है।
हमने शिक्षा को सिर्फ किताबी ज्ञान का माध्यम नहीं बनाया बल्कि लक्ष्य साफ रखा है कि शिक्षा युवाओं को सक्षम और रोजगार के योग्य बनाए। रोजगारपरक शिक्षण-प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश में अभी तक 125 स्थानों पर आईटीआई संस्थाएं प्रारंभ की जा चुकी हैं। अब प्रत्येक विकासखण्ड में आईटीआई खोली जाएंगी। सबसे बड़े रोजगार के साधन कृषि को भी उच्च शिक्षण संस्थाओं का सहारा देने के लिए तीन वर्षों में 10 नए कृषि महाविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र तथा महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है।
हमने सरकारी विभागों तथा अर्द्धसरकारी संस्थाओं में सीधी भर्ती तथा अन्य माध्यमों से बहुत पैमाने पर नौकरी के दरवाजे खोले हैं। गांवों, वन क्षेत्रों, परम्परागत कौशल के काम और स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडीशन से भी राज्य में बहुत बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर बने हैं। हमारी औद्योगिक नीति की सफलता से 32 हजार लोगों को रोजगार मिला है और 90 हजार लोगों को रोजगार मिलना प्रस्तावित है। विगत तीन वर्षों में युवाओं की आंखों में स्वावलंबन की चमक बढ़ते देखकर हमारा उत्साह बढ़ा है। यही वजह है कि हमने ‘छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन’ का गठन किया है, जिसके तहत आगामी पांच वर्षों में 15 लाख नए रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए हम अपनी पूरी ताकत लगाएंगे।
प्रदेश के आस्था स्थलों को पर्यटन विकास की सुविधाओं से जोड़ते हुए हमने चंदखुरी में माता कौशल्या के प्राचीन मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार किया है, वहीं राम वन गमन पथ पर 75 स्थानों को चिन्हांकित कर इनके विकास की कार्ययोजना बनाई है। प्रथम चरण में इनमें से 9 स्थानों का विकास कार्य प्रगति पर है। ये स्थान भी बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन के माध्यम बनेंगे।
भाइयों और बहनों, न्याय के लिए संघर्ष और कानून का राज चलाने की प्रतिबद्धता हमारी विरासत है। आजादी का आंदोलन न्याय के लिए था। संविधान का निर्माण और संविधान में संशोधनों के जरिए नागरिक अधिकारों के दायरे में लगातार विस्तार करते जाने को हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व ने सदा अपना कर्त्तव्य समझा। हम इसी विरासत को आगे बढ़ाने पर विश्वास करते हैं। तृतीय लिंग युवाओं को पुलिस बल में भर्ती करना, बस्तर के जवानों को बस्तर फाइटर्स बल में भर्ती करना, सुरक्षा बलों की देख-रेख में बस्तर के दुर्गम और नक्सल प्रभावित अंचलों में 5 वृहद पुलों का निर्माण, मोबाइल टॉवरों की स्थापना, सामुदायिक पुलिसिंग के माध्यम से जनता का आत्मविश्वास बढ़ाना और इन सबके माध्यम से नागरिक सुविधाओं में वृद्धि को भी हम न्याय की दिशा में बढ़ते कदम ही मानते हैं। चिटफंड कंपनियों द्वारा प्रदेश की मासूम जनता से ठगी गई राशि वापस दिलाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता का नतीजा है कि अब तक चिटफंड कंपनियों के 840 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, 11 करोड़ रुपए से अधिक की राशि वसूल कर जनता को लौटाई गई है और अब बड़े पैमाने पर कुर्की और संपत्ति नीलामी के माध्यम से और अधिक राशि लौटाने का प्रयास किया जाएगा।
प्रशासनिक सुविधाएं भी न्याय का अंग हैं। विगत तीन वर्षों में हमने 5 नए जिलों के गठन की घोषणा की, जिसमें एक जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही विकास की नई गाथा लिख रहा है। वहीं अन्य चार जिलों का औपचारिक उद्घाटन भी शीघ्र किया जाएगा। हमने लोक सेवा केन्द्रों के माध्यम से 132 सेवाएं ऑनलाइन की थीं, जिनमें एक वर्ष में 25 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हुए।
आज गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर मैं अपने छत्तीसगढ़िया भाई-बहनों के हित में कुछ और महत्वपूर्ण घोषणाएं करता हूं-
- हमारी सरकार, इसी वर्ष, समस्त अनियमित भवन निर्माण के नियमितीकरण हेतु एक व्यवहारिक, सरल एवं पारदर्शी कानून लाएगी, जिससे अनेक नागरिक प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे। इस क़ानून के प्रावधानों का लाभ लेकर हमारे नागरिक अपनी मेहनत से किए गए निर्माण को नियमित कराकर स्वाभिमान से जीवन-यापन एवं रोज़गार कर सकेंगे।
- इसके साथ ही रिहायशी क्षेत्रों में संचालित व्यवसायिक गतिविधियों के नियमितीकरण हेतु आवश्यक प्रावधान किए जाएंगे ताकि हमारे हज़ारों भाई-बहन आत्मविश्वास के साथ अपना व्यवसाय संचालित कर सकें।
- आप सभी को बताते हुए हर्ष हो रहा है कि मेरी घोषणा के 15 दिन के भीतर प्रदेश के नगर निगमों में 500 वर्ग मीटर तक के भवनों में मानवीय हस्तक्षेप के बिना ‘डायरेक्ट भवन अनुज्ञा प्रणाली’ प्रारम्भ कर दी गई है। उसी तर्ज पर मैं घोषणा करता हूं कि प्रदेश में अब नगर निगम से बाहर के क्षेत्रों, जो कि निवेश क्षेत्र में शामिल हैं, में भी 500 वर्ग मीटर तक भवन विन्यास बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के तय समय-सीमा में जारी किए जाएंगे।
- प्रदेश के नगरीय-निकायों में नल कनेक्शन प्राप्त करने की प्रक्रिया को ‘डायरेक्ट भवन अनुज्ञा’ की तर्ज पर मानवीय हस्तक्षेप मुक्त बना कर समय-सीमा में नल कनेक्शन दिए जाने का निर्णय लिया गया है।
- हमारी सरकार ने शहरी क्षेत्रों में आबादी, नजूल एवं स्लम पर स्थित पट्टों को भी फ्री होल्ड करने का निर्णय लिया था, जिससे नागरिकों को भूमि-स्वामी हक प्राप्त हुआ। आज मैं इस मंच से घोषणा करता हूं कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी शासकीय पट्टे की भूमियों को फ्री होल्ड किया जाएगा।
- अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों में उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु औद्योगिक नीति में संशोधन कर इस प्रवर्ग हेतु 10 प्रतिशत भू-खण्ड आरक्षित किए जाएंगे, जो कि भू-प्रीमियम दर के 10 प्रतिशत दर तथा 1 प्रतिशत भू-भाटक पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
- मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत प्रदेश के नगर निगमों में 18 लाख से अधिक नागरिकों का इलाज निःशुल्क किया जा चुका है। इस योजना की सफलता को देखते हुए मैं यह घोषणा करता हूं कि शीघ्र ही इस योजना को प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में लागू किया जाएगा।
- नव-युवाओं को नई सुविधाएं देने के लिए मैं यह घोषणा करता हूं कि प्रदेश में लर्निंग लाइसेंस बनाने की प्रकिया का सरलीकरण किया जाएगा और इस हेतु वृहद स्तर पर ‘परिवहन सुविधा केंद्र’ प्रारम्भ किए जाएंगे। इन केन्द्रों को न केवल लर्निंग लाइसेंस बनाने हेतु अधिकृत किया जाएगा अपितु इन केन्द्रों में परिवहन विभाग से संबंधित समस्त सेवाएं नागरिकों को अपने निवास के पास मिल सकेंगी एवं प्रदेश के युवाओं को रोजगार का अवसर मिलेगा।
- कर्मचारी कल्याण की दिशा में कुछ नए कदमों को साझा करना चाहूंगा कि शीघ्र ही हम प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों के हित में अंशदायी पेंशन योजना के अंतर्गत राज्य सरकार के अंशदान को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करेंगे।
- आज इस मंच से घोषणा करता हूं कि शासकीय कर्मचारियों की कार्य क्षमता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए राज्य सरकार अब 5 कार्य दिवस प्रति सप्ताह प्रणाली पर कार्य करेगी।
- हमारी बहनों की सुरक्षा हेतु हम प्रतिबद्ध हैं, इसी कारण आज मैं आप सभी के समक्ष घोषणा करना चाहूंगा कि इस हेतु हम प्रत्येक जिले में ‘महिला सुरक्षा प्रकोष्ठ’ का गठन कर उसे प्रभावी रूप से महिला सुरक्षा हेतु उपयोग करेंगे।
- मैं घोषणा करता हूं कि प्रदेश में तीरंदाजी को प्रोत्साहित करने हेतु जगदलपुर में ‘शहीद गुंडाधूर’ के नाम पर राज्य स्तरीय तीरंदाजी अकादमी प्रारम्भ की जाएगी।
- वृक्ष कटाई के नियमों की जटिलता एवं उसके कारण वृक्षारोपण हेतु नागरिकों की अरूचि को देखते हुए राज्य सरकार शीघ्र ही इन नियमों का नागरिकों के हित में सरलीकरण करने जा रही है। इस हेतु हम समस्त प्रासंगिक अधिनियमों एवं नियमों में आवश्यक संशोधन लाने जा रहे हैं।
भाइयों और बहनों, हम धरती को माता कहते हैं, इसकी पहचान हम भारत माता और छत्तीसगढ़ महतारी के रूप में करते हैं तो मेरा मानना है कि हमारा संविधान मां के आंचल के समान है, जिसकी छांव में सबसे ज्यादा सुरक्षा महसूस की जाती है। जब हमने ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ने का संकल्प लिया था, तब हमारे मन में छत्तीसगढ़ महतारी और प्रदेशवासी सभी भाई-बहनों और इस तरह हमारे विस्तृत कुटुंबरूपी प्रदेश के मान-सम्मान और कल्याण की कामना ही थी। संसाधनों से भरी हमारी धरती समस्त छत्तीसगढ़वासियों को रोजगार और खुशहाल भविष्य की सुरक्षा दे सकती है।
इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए हमने समावेशी और टिकाऊ विकास का जो मॉडल अपनाया, वह ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ के रूप में आज हम सबके लिए गौरव का प्रतीक बन गया है। कोरोना महामारी के दौरान उत्पन्न विभिन्न समस्याओं से सक्षमता के साथ निपटने में भी हमारे छत्तीसगढ़ मॉडल की बड़ी भूमिका रही है। हमारी सरकार ने सारी व्यवस्थाएं कर रखी हैं, मुझे विश्वास है कि परस्पर सद्विश्वास, एकजुटता तथा कोरोना प्रोटोकॉल के पालन से तीसरी लहर पर भी हम जल्दी ही काबू पा लेंगे। मैं आप सबसे अनुरोध करता हूं कि आप सतर्क रहें। आपका बेहतर स्वास्थ्य और सक्रिय योगदान ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है।
मेरा एक ही सपना और एक ही लक्ष्य है कि नवा छत्तीसगढ़ 2 करोड़ 80 लाख लोगों के हाथों से गढ़ा जाए, जिसमें सबकी भागीदारी हो, जिसमें सबको न्याय मिले, जिसमें सबकी खुशहाली सुरक्षित रहे। आगे भी हमारे प्रयास इसी दिशा में रहेंगे। आपका प्यार और समर्थन मेरी सबसे बड़ी पूंजी है और इस पूंजी के निवेश से हम दुनिया की सबसे अधिक पूंजी छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए आमंत्रित भी करेंगे।
मैं चाहूंगा कि आप लोग मेरे साथ कहें-
जय हो, जय हो, छत्तीसगढ़ मइया।
जय हिन्द
जय छत्तीसगढ़