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हाई प्रोफाइल स्कैम में लिप्त बड़े चेहरों को बेनकाब करने के लिए सरकार शीघ्र ही इस केस को ED को सौंप सकती है…

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 बिलासपुर

यस बैंक में अवैध खाते खुलवाकर सैकड़ों करोड रुपए के लेनदेन के मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में कुछ नए खुलासे हुए। आयकर विभाग ने इस मामले में जांच की जानकारी देते हुए कहा कि जांच करके जुर्माना लगाने के बाद मामले को क्लोज कर दिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि मामले में रकम कहां से आई, लेनदेन कैसे हुआ इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए। इस पर राज्य शासन ने शपथपत्र के साथ पूरी जानकारी देने कही है।

सुनवाई में आयकर विभाग ने बताया कि पूर्व में वीरेंद्र पांडे के माध्यम से एक शिकायती पत्र उन्हें मिला था। उसके पश्चात दुर्ग जिले के सांसद विजय बघेल की शिकायत पर प्रधानमंत्री कार्यालय से जांच करने और करों के निर्धारण करने हेतु एक पत्र प्राप्त हुआ है। आयकर विभाग ने वर्ष 2016-17 से लेकर वर्ष 2019-20 तक खाते की संपूर्ण जांच करने के पश्चात भारी अनियमितता पाई है। आयकर विभाग ने लगभग 20 बार अलग-अलग व्यक्तियों को सम्मन देकर जांच के लिए बुलाया।

विभाग ने हितेश चौबे को बुलाकर भी बयान दर्ज किया है। आयकर विभाग का कहना था कि अनिमेष सिंह बीसी खिलाने का काम करता था और कुछ प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता था। सारी रकम इसी प्रकार से उसके खाते में आई है। इस पर न्यायालय ने आपत्ति की और कहा कि बीसी खेलना खिलाना भी आखिर अवैधानिक कृत्य है। केवल आयकर का निर्धारण करके कर वसूल करना ही याचिकाकर्ता की याचिका का उद्देश्य नहीं है। यह पूछे जाने पर कि क्या आयकर विभाग इस खाते को और इसके लेन-देन को किसी भी प्रकार से वैध मानता है? आयकर विभाग के अधिवक्ता ने कहा कि लेनदेन पूरी तरह अवैध है।

शासन ने बताया- ईडी जांच भी संभव

शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल कुमार भारत ने इस संबंध में बताया कि अब तक कई लोगों के बयान लिए गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के द्वारा भी जांच संभव है। प्रवर्तन निदेशालय के अधिवक्ता सौरभ पांडे ने कहा कि यदि न्यायालय निर्देशित करें तो प्रवर्तन निदेशालय भी मामले की जांच करेगा। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है खाते में पैसे कहां से आए और किसको किसको दिए गए हैं। अनिमेष सिंह एक साधारण कर्मी था। उसके नाम के खाते में आरटीजीएस के माध्यम से अधिकांश लेनदेन हुआ है।

अचानक न्यायालय के समक्ष यह जानकारी दी गई है कि सिर्फ अनिमेष सिंह के नाम से ही नहीं बल्कि भावेश ताम्रकार के नाम से भी लेनदेन किए गए हैं। भावेश ताम्रकार के नाम की जानकारी स्वयं आयकर विभाग के अधिवक्ता ने दी है। भावेश ताम्रकार के विषय में आज तक मामले में कहीं कोई जानकारी नहीं थी। महाधिवक्ता ने कहा कि वह अगली तारीख पर अनिमेष सिंह और भावेश ताम्रकार के संबंध में खाते से किए गए सभी प्रकार के लेनदेन की संपूर्ण जानकारी न्यायालय में शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत करेंगे।

लेनदेन में राजनीतिक रसूखदार शामिल

वादी प्रभुनाथ मिश्रा के अधिवक्ता सतीश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि लंबे समय से इस मामले में हीला हवाला चल रहा था। आयकर विभाग ने भी जो बातें न्यायालय को बताई हैं वह 2022 की हैं। पूर्व में भी कई प्रकार की झूठी जानकारियां देकर न्यायालय को भी गुमराह करने का प्रयास किया गया है। जो कि शपथ पूर्वक कथन किए जाने पर स्पष्ट हो चुका है। फिलहाल मामला न्यायालय के पूरे संज्ञान में आ चुका है। क्योंकि खाते के लेनदेन में बड़े राजनीतिक रसूखदार लोगों के नाम मौजूद हैं इसलिए न्यायालय इस मामले में अब किसी स्पष्ट निर्णय तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है। न्यायालय से इस मामले में केंद्र सरकार के डी आर आई विभाग से जांच कराए जाने हेतु भी पक्षकार बनाने के लिए याचिकाकर्ता न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करेगा। अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया है।

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