चेन्नै
पीएम नरेंद्र मोदी लगातार दक्षिण भारत के राज्यों में दिन गुजार रहे हैं। पिछले ढ़ाई महीने में 23 दिन वह केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश घूमते रहे। अभी तक केरल के पांच और तमिलनाडु के 6 चक्कर लगा चुके हैं। आने वाले दिनों में वह फिर इन राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे। पीएम मोदी की धुआंधार दक्षिण भारत यात्रा के कई मायने मतलब निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी इस बार इन पांच राज्यों में अपनी सीट दोगुनी करना चाहती है। बीजेपी के लिए 370 सीट का लक्ष्य हासिल के लिए दक्षिण भारत के राज्यों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना जरूरी है।
अगर उत्तर भारत के राज्यों में नुकसान हुआ तो इसकी भरपाई भी साउथ के पांच स्टेट ही करेंगे। ओपिनियन पोल में बीजेपी को दक्षिण में ज्यादा सीटें तो नहीं दी गई मगर पार्टी के सर्वे में 62-65 सीट जीतने का अनुमान लगाया गया है। पार्टी को कर्नाटक के अलावा तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में पहले के मुकाबले ज्यादा सीट मिल सकती है। केरल में भी बीजेपी दो सीटों पर खाता खोलने का इंतजार कर रही है।
आंध्र में टीडीपी से समझौता, सीटें बढ़ना तय है
दक्षिण भारत के पांच राज्यों में लोकसभा की 129 सीटें हैं। केरल में 20, तमिलनाडु में 39 और कर्नाटक में 28 लोकसभा सीटें हैं। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में 17 और 25 सीटें हैं। अगर केंद्रशासित प्रदेशों को भी जोड़ दें तो दक्षिण भारत में 132 सीटें हो जाती हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कर्नाटक की 25 और तेलंगाना की 4 सीटों पर ही जीत मिली थी। जबकि विपक्षी दलों ने 103 सीटों पर कब्जा कर लिया था। तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और केरल में भारतीय जनता पार्टी का खाता नहीं खुला था। क्षेत्रीय दलों ने 73 और कांग्रेस ने 30 सीटें जीत ली थीं। आंध्र में चंद्राबाबू नायडू के साथ समझौते के बाद बीजेपी 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी को उम्मीद है कि 2024 लोकसभा चुनाव में उसे 6-8 सीटों पर जीत मिल सकती है। पीएम नरेंद्र मोदी को 2019 के चुनाव नतीजों के कारण केरल और तमिलनाडु में उम्मीद की किरणें दिख रही हैं।
छह बार तमिलनाडु में मेगा शो कर चुके हैं पीएम मोदी
तमिलनाडु में बीजेपी एआईडीएमके के साथ गठबंधन के साथ पांच सीटों पर चुनाव में उतरी और सभी सीटों पर नंबर दो रही। 2014 में 9 सीटों में एक सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी, जबकि 3 सीटों पर नंबर टू रही थी। इस बार बीजेपी ने तमिलनाडु में पांच क्षेत्रीय दलों से समझौता किया है। तमिल मनीला कांग्रेस, अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम, इंडिया जनज्ञ काच्चि, न्यू जस्टिस पार्टी और तमिझा मक्कल मुनेत्र कड़गम बीजेपी के पांच नए दोस्त बने हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई की 100 दिनों की पदयात्रा और त्रिकोणीय मुकाबले से बीजेपी बड़ी जीत की तैयारी कर रही है। पीएम मोदी तमिलनाडु में छह बार चुनावी यात्रा कर इस वोट बैंक को मजबूत कर रहे हैं। दरअसल बीजेपी तमिलनाडु में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए कई साल से मेहनत कर रही है। वाराणसी में तमिल संगमम जैसे आयोजनों से बीजेपी ने अपनी हिंदी समर्थक छवि बदलने की कोशिश की है।
केरल की पांच सीटों पर नजर, बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद
केरल में बीजेपी का ट्रैक रेकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। उसके लिए राहत की खबर यह रही कि बीजेपी का वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई। पिछले दो चुनावों में बीजेपी सिर्फ तिरुवनंतपुर सीट पर ही दूसरे नंबर पर रही। 2014 में 18 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद 10.5 फीसदी वोट मिले थे। 2019 में 15 सीट पर ताल ठोकने के बाद 13.3 फीसदी वोट मिले थे। 2021 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को 14 प्रतिशत वोट मिले। इस बार पीएम मोदी ने अपनी रणनीति बदली है। वह 18 फीसदी वाले क्रिश्चिचन आबादी को साधने के लिए केरल यात्रा के दौरान विशप से मिले। मुसलमानों को जोड़ने के लिए निकाय चुनाव में 110 मुस्लिम कैंडिडेट उतारे।
मजबूत दावेदारी के लिए अभिनेता सुरेश गोपी और केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर को भी मैदान में उतारा है। त्रिशूर, पथानामथिट्टा, कासरगोर, तिरुवनंतपुरम और अट्टिंगल ऐसी पांच सीटें हैं, जहां बीजेपी को जीत की उम्मीद है। कर्नाटक और तेलंगाना में बीजेपी का पहले से ही जनाधार है। जेडी(एस) से समझौते के बाद वह 2019 के प्रदर्शन को दोहरा सकती है। तेलंगाना में भी बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है और सीटों की संख्या बढ़ सकती है। बीजेपी के लक्ष्य में कितनी सफलता मिलेगी, यह चार जून को रिजल्ट आने के बाद पता चल जाएगा।