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सोने के भंडार का अनुमान: केंद्र सरकार ने 2016 में इस खदान की थी ‘ई-नीलामी

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छत्तीसगढ़: के बार नवपारा अभयारण्य क्षेत्र में सोने के भंडार की तलाश फिलहाल रोक दी गई है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सर्वे से हुए नुकसान पर पांच अधिकारियों की कमेटी से रिपोर्ट मांगी है यह समिति तीन महीने में खनन के प्रभाव पर अपनी रिपोर्ट देगी। मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त 2022 को होनी है।

बाघमारा (सोनाखान) बलौदाबाजार-भाटपारा जिले में स्थित बरनवापारा वन्यजीव अभयारण्य में स्थित है। पूर्व के सर्वेक्षण के आधार पर यहां 2700 किलोग्राम सोने के भंडार का अनुमान है। केंद्र सरकार ने 2016 में इस खदान की ई-नीलामी की थी। इसका अधिग्रहण वेदांता ग्रुप ने किया है। अब कंपनी यहां प्री-माइनिंग सर्वे कराना चाहती है। ताकि सोने के भंडार की सही स्थिति का पता लगाया जा सके।

इसके लिए उन्होंने राज्य सरकार के खनिज संसाधन विभाग में आवेदन किया है। यह योजना है कि कंपनी सोने के भंडार की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए प्रस्तावित खनन क्षेत्र में 58 बोरवेल स्थापित करेगी। इस पर रायपुर के संजीव अग्रवाल ने आपत्ति जताई है। संजीव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर कर कहा कि अगर यहां पूर्वेक्षण किया गया तो वन पर्यावरण को नुकसान होगा।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पांच अलग-अलग विभागों के अधिकारियों की कमेटी से रिपोर्ट तलब की है. इसमें केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के एक सदस्य, छत्तीसगढ़ खनिज संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव, छत्तीसगढ़ के मुख्य मुख्य वन संरक्षक, पर्यावरण संरक्षण बोर्ड और कलेक्टर बलौदाबाजार को शामिल किया गया है। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड को इसका नोडल विभाग बनाया गया है। समिति को चार सप्ताह के भीतर गठित करने को कहा गया है।

अभ्यारण्य के लिए जिस क्षेत्र में खदान प्रस्तावित है

संजीव अग्रवाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मिले दस्तावेजों से बताया है कि जिस इलाके में सोने के भंडार है। वह घना जंगल है। वन विभाग ने ही इसे अभयारण्य के विस्तार में शामिल किया है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने यह प्रस्ताव अक्टूबर 2017 में वन विभाग के प्रमुख सचिव को भेजा था। इसमें बार नवपारा में देवपुर वन क्षेत्र के 22 कमरों यानि 5 हजार 114 हेक्टेयर वन को शामिल करने का प्रस्ताव था। इसमें 144 हेक्टेयर का कमरा नंबर 254 भी एक था। जहां सर्वे की अनुमति मांगी गई है।

2020 में वन विभाग ने सर्वे के लिए मना कर दिया था।

संजीव अग्रवाल की ओर से एनजीटी में पेश किए गए एक अन्य दस्तावेज में बताया गया है कि 2 जून 2020 को वन अधिकारियों की एक कमेटी ने वहां किसी भी तरह का खनिज सर्वेक्षण नहीं करने की सिफारिश की थी। अधिकारियों ने कहा कि यदि इस क्षेत्र में खनिज पूर्वेक्षण की अनुमति दी जाती है तो जंगल को नष्ट या छेड़छाड़ किए बिना ऐसा करना संभव नहीं होगा। ऐसे में पूर्वेक्षण की अनुमति देना उचित नहीं होगा।

खदान की खोज 90 के दशक में की गई थी

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार-भाटापारा जिले के पूर्वी क्षेत्र में लगभग 608 हेक्टेयर में फैली बाघमारा सोने की खान रायपुर से लगभग 130 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है। इसकी खोज 1981 और 1990 के बीच भूविज्ञान और खनन निदेशालय, मध्य प्रदेश की देखरेख में हुई थी। अभी तक किए गए अन्वेषण कार्य और उपलब्ध रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में 2700 किलोग्राम सोने का भंडार संभव है। यहां पहले भी सोना निकाला जाता रहा है। इसके अवशेष यहां उपलब्ध है।

शहीद वीरनारायण सिंह का जन्मस्थान

सोनाखान 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के शहीद वीर नारायण सिंह की जन्मस्थली भी है। इस कारण इसका सांस्कृतिक-ऐतिहासिक महत्व भी है। स्थानीय ग्रामीण भी वहां खनन गतिविधियों का विरोध करने पर आमादा है।

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