Home छत्तीसगढ़ इंदौर के एक सब्जी की दुकान पर माता-पिता की मदद करती रहीं...

इंदौर के एक सब्जी की दुकान पर माता-पिता की मदद करती रहीं अंकिता ने की न्यायधीश परीक्षा क्लियर..

48
0

अंकिता नागर ने अभाव के अभाव में भी मुकाम तक पहुंचने का ऐसा जज्बा दिखाया है। कि कई युवक-युवतियों की उम्मीदों को पंख देना लाजमी है ।हाल ही में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के तहत आयोजित सिविल जज परीक्षा का परिणाम सामने आया है।इसमें इंदौर की अंकिता नागर ने 5वां स्थान हासिल किया है।

खास बात यह है। कि इंदौर की इस बेटी के माता-पिता सब्जी बेचकर गुजारा करते रहे हैं। लेकिन अंकिता ने आर्थिक तंगी का असर अपनी पढ़ाई पर नहीं पड़ने दिया। उसने अपने निरंतर अध्ययन के माध्यम से खुद को उकेरा और अंतत न्यायिक सेवा में एक शानदार स्थिति तक पहुंचने में सफल रही।

बचपन में डॉक्टर बनने का सपना देखा था

स्कूली शिक्षा के दौरान डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली अंकिता नागर का कहना है।कि माता-पिता की आर्थिक स्थिति को देखते हुए मैंने मेडिसिन की पढ़ाई करने की इच्छा छोड़ दी थी। लेकिन मेरे पास और भी कई विकल्प मौजूद थे। मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कोशिश करता रहा।

बाद में कानून की पढ़ाई की ओर रुझान

एलएलएम की डिग्री हासिल करने वाली 29 वर्षीया अंकिता नागर ने बताया कि उन्हें शुरू से ही कानून की पढ़ाई का शौक रहा है। सिविल जज परीक्षा में यह उनका चौथा प्रयास था। इससे पहले वह इस परीक्षा में तीन बार फेल हो चुकी हैं।

सब्जी की दुकान पर माता-पिता की मदद करती रहीं अंकिता

अंकिता नागर का परिवार सब्जी ठेले से होने वाली कमाई से ही बढ़ता है। अंकिता भी अपने माता-पिता के साथ दुकान पर बैठी है। पिता बाहर से सामान लाने में लगे हैं। घर और दुकान दोनों की जिम्मेदारी मां पर होती है। पढ़ाई से खाली वक्त मिलते ही अंकिता भी मदद के लिए यहां पहुंच जाती है।

शादी के मुद्दे को अपने दिमाग पर हावी न होने दें।

एक इंटरव्यू में अपने मन की बात बताते हुए उन्होंने कहा पढ़ते वक्त शादी की उम्र आने लगी तो लोग मुझसे कहते थे कि तुम पढ़ते रहो कब तक पढ़ोगे शादी कर लो लेकिन अंकिता ऐसी बातों से विचलित नहीं हुईं उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए शादी जैसे विषय को अपने दिमाग पर हावी नहीं होने दिया। वह लगातार 8 से 10 घंटे पढ़ाई करती थी। बता दें कि अंकिता के एक भाई और बहन हैं जिनकी शादी हो चुकी है।

माता-पिता का सपना हकीकत में बदल गया

बेटी की इस उपलब्धि पर मां-बाप दोनों खुश हैं। अंकिता की मां का कहना है। कि हमारे जमाने में हमें पढ़ने का मौका नहीं मिलता था। लेकिन हमने बेटे-बेटियों को पढ़ाने का सपना देखा था ।जो आज साकार हो गया है। 28 साल से सब्जी का ठेला चला रही अंकिता के पिता अशोक कुमार नागर ने कहा कि हमारी बेटी एक मिसाल है क्योंकि उसने जीवन में कठिन संघर्ष के बावजूद हार नहीं मानी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here