पूरी दुनिया ने कोविड-19 के साथ जीना सीख लिया है। लेकिन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग चाहते हैं। कि उनका देश इसके बिना काम करे। चीन ने जल्दी ही वुहान में कोरोना के खिलाफ पहली लड़ाई जीत ली। मार्च से ठप पड़े देश के प्रमुख व्यापार केंद्र शंघाई में महामारी का जिक्र करते हुए शी ने पिछले हफ्ते कहा था कि शंघाई को बचाने की लड़ाई में हम जीतेंगे। उधर, चीन पर जीरो-कोविड रणनीति बदलने का दबाव बढ़ गया है।
अमेरिका, यूरोप की कई कंपनियां कारोबार बदलने पर कर रही हैं विचार
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि चीन की मौजूदा महामारी नीति काम नहीं करेगी। एक अर्थशास्त्री ने स्थिति को जीरो एक्टिविटी और जीरो जीडीपी बताया है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां देश में नए निवेश करने से हिचकिचा रही हैं। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है। कि अगर वायरस बेकाबू रहा तो मौतों की सुनामी आ सकती है।
अगर एक महीने तक लॉकडाउन जारी रहा तो हो सकती है मंदी
एक अनुमान के मुताबिक चीन के 45 शहरों की करीब 40 करोड़ आबादी पिछले महीने किसी न किसी तरह के लॉकडाउन और पाबंदियों के साये में थी। इन शहरों की सालाना जीडीपी 55 लाख करोड़ रुपए है। अर्थशास्त्री चिंतित हैं। कि लॉकडाउन का विकास दर पर बुरा असर पड़ेगा। एक अर्थशास्त्री का कहना है कि अगर एक महीने तक लॉकडाउन जारी रहा तो मंदी आ सकती है। निवेशकों और कारोबारियों को लगता है। कि जीरो-कोविड पॉलिसी से अर्थव्यवस्था की हालत और खराब होगी।एक प्रमुख चीनी निवेशक फ्रेड ह्यू ने कहा कि सरकार के लिए रणनीति बदलने का यह सही समय है। शून्य-कोविड नीति से अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी।
72% से अधिक लोगों को टीका नहीं मिला
चीन में स्थिति और खराब होने की आशंका जताई जा रही है। क्योंकि वहां टीकाकरण की दर कम है। एक अध्ययन के अनुसार शंघाई में 70 या उससे अधिक उम्र के आधे से भी कम लोगों को टीके की दोनों खुराकें मिली हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक देश में करीब 72 फीसदी लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है। दर्जनों संक्रमित शहरों में टीकाकरण की जगह वायरस पर नियंत्रण के लिए पूरी ताकत झोंक दी जा रही है। इसके अलावा वर्तमान में चीन में उपलब्ध टीके विदेशी टीकों की तरह प्रभावी नहीं हैं। कई चीनी कंपनियां mRNA तकनीक पर आधारित टीकों का परीक्षण कर रही हैं।
महामारी को नियंत्रित करने के नए उपाय पहले से ज्यादा सख्त
चीन ने हाल ही में फाइजर की एंटी वायरल गोली Paxlovid के इस्तेमाल को मंजूरी दी है। चीन में विदेशी निवेश लगभग ठप हो गया है। महामारी की पाबंदियों के कारण कुछ परियोजनाएं दो साल से ठप पड़ी हैं। विदेशी कंपनियों के अधिकारियों की आवाजाही बंद है। चीन में यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष माइकल हार्ट का कहना है। कि चीन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अधिकारियों की अपील पर चुप है। इधर चीन के कुछ बड़े नेताओं ने अर्थव्यवस्था पर चिंता जताना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने रोजगार की स्थिति को विकट बताया है। महामारी को नियंत्रित करने के नए उपाय पहले से ज्यादा सख्त हैं।
कुछ जगहों पर लोगों ने इसका विरोध भी किया है। राष्ट्रपति शी के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण वर्ष में असंतोष को शांत करने के लिए COVID-19 रणनीति में बदलाव की मांग की जा रही है। सरकार नियंत्रित मीडिया स्थिति में सुधार को बढ़ावा दे रही है।