भारत के धार्मिक और आयुर्वेदिक ग्रंथों में गेहूं को जीवन देने वाला बताया गया है। यह एक ऐसा जीवनदायिनी भोजन है।जिसकी उत्पत्ति एक स्थान पर नहीं मानी जाती है। हजारों साल पहले गेहूं का जन्म और प्रसार कई देशों और सभ्यताओं में हुआ था। अंटार्कटिका क्षेत्र को छोड़कर पूरी दुनिया में गेहूं की खेती की जाती है। यह भोजन का एक प्रमुख हिस्सा है ।फिर भी भोजन के रूप में उगाई जाने वाली फसलों में मक्का पहला नाम है। जिस तरह जनसंख्या के मामले में चीन पहले नंबर पर है। और दूसरे नंबर पर भारत है। यही स्थिति गेहूं की है।
यदि आप जाने-माने साहित्यकार प्रेमचंद ‘सावा सीर गेहूं’ और लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी के निबंध ‘गेहूं और गुलाब’ की कहानी पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि भारतीय संस्कृति और जनता में गेहूं कितनी गहराई तक प्रवेश कर चुका है। भारत में भी गेहूं का उपयोग हजारों वर्षों से किया जा रहा है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई से पता चलता है कि साढ़े चार हजार साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता में गेहूं की खेती की जा रही थी। फिर गेहूं के भंडारण की क्षमता भी हासिल कर ली गई। उसी समय, ग्रीस, फारस, तुर्की और मिस्र जैसी सभ्यताओं में गेहूं की खेती की जा रही थी। इतिहासकारों ने लगभग 4,000 साल ईसा पूर्व यूक्रेन, रूस के दक्षिणी भाग में गेहूं के दाने पाए हैं।
गेहूं उगाने में चीन पहले स्थान पर है और भारत दूसरे स्थान पर है। इसके बाद अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा में गेहूं की काफी खेती होती है। गेहूँ विश्व की लगभग 35 प्रतिशत जनसंख्या का मुख्य भोजन है। इसके बावजूद मक्का उगाए जाने वाले अनाज में पहले, गेहूं दूसरे और चावल तीसरे स्थान पर आता है। खास बात यह है कि दुनिया को 20 फीसदी कैलोरी खाने से मिलती है ।गेहूं से ही।
एक सरकारी सूचना के अनुसार भारत में सर्वाधिक गेहूँ उगाने का श्रेय उत्तर प्रदेश (34.89 प्रतिशत) को है। आपको बता दें कि यूपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार देश के 93.31 फीसदी गेहूं का उत्पादन करते हैं। भारत में रोटी के लिए सबसे ज्यादा गेहूं का इस्तेमाल किया जाता है। दलिया के लिए पूरे भारत में गेहूं का चलन भी है।
वेदों और पुराणों में गेहूँ (अन्ना) को पूजनीय बताया गया है। यज्ञ में गेहूं चढ़ाया जाता है। भारतीय त्योहारों में गेहूं की बहुत महिमा होती है। देश के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में गेहूं को जीवन देने वाला बताया गया है। इसे उम्र को स्थिर करने वाला और कामोत्तेजक भी कहा जाता है। आयुर्वेद के एक अन्य ग्रंथ ‘भावप्रकाश निघंतु’ में गेहूं की तीन किस्मों की जानकारी दी गई है। और तीनों को शरीर के लिए पौष्टिक बताया गया है।
डायटीशियन और योगाचार्य रमा गुप्ता के मुताबिक गेहूं का स्वाद ठंडा होता है। यह चिकना होता है। और गैस और पित्त को नियंत्रित करने में मदद करता है। गेहूं में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है। जो पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसका ज्यादा सेवन करने से कब्ज की समस्या हो सकती है। भारत की अन्य भाषाओं में गेहूँ के नाम- उड़िया में गहना, गुजराती में घवम, तेलुगु में मोदुमुलु, तमिल में गोडुमई, मलयालम में गेंडम, कन्नड़ में गोधी, बंगाली में गेमु, मराठी में गोहुम, अंग्रेजी में गेहूं।