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असुरराज को मारने के बाद भी नरसिंहजी का क्रोध शांत नहीं हो रहा था।

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भगवान: नरसिंह जी का प्रकट पर्व है। नरसिंह ने प्रह्लाद की रक्षा के लिए अवतार लिया और हिरण्यकश्यप को मार डाला। नरसिंह जी भगवान विष्णु के उग्र अवतार हैं। असुरराज को मारने के बाद भी नरसिंहजी का क्रोध शांत नहीं हो रहा था।

उज्जैन के ज्योतिषी पं. मनीष शर्मा भगवान नरसिंह के उग्र रूप को देखकर सभी देवता डर गए। तब भगवान शिव ने नरसिंह जी से भी अधिक शक्तिशाली शरभ का अवतार लिया।

शरभ जी ने भगवान नरसिंह से शांत होने की प्रार्थना की लेकिन वे शांत नहीं हुए। इसके बाद शरभ अवतार ने भगवान नरसिंह की स्तुति की फिर भी नरसिंह का क्रोध शांत नहीं हुआ। तब शरभ जी ने नरसिंह जी को अपनी पूंछ में लपेट लिया और उड़ गए। इसके बाद दोनों देवताओं के बीच युद्ध हुआ। नरसिंह जी के शांत होने पर उन्होंने शरभ अवतार से क्षमा मांगी।

ऐसा था शरभ अवतार का रूप

शिव ने शरभ के रूप में अवतार लिया था। इस अवतार में उनके शरीर का एक हिस्सा शेर का था। दूसरा हिस्सा इंसान का था और बाकी शरीर शरभ नाम के जीव का था। शरभ अवतार के आठ पैर दो पंख एक चोंच एक हजार भुजाएं माथे और चंद्रमा पर बाल थे। शरभ अवतार नरसिंह से कहीं अधिक शक्तिशाली और विशाल था।

नरसिंह प्रकटोत्सव पर ऐसे करें भगवान की पूजा

नरसिंह प्रकट उत्सव पर भगवान को फूल और हार चढ़ाने के साथ-साथ इसे चंदन का लेप करना चाहिए। भगवान की मूर्ति पर चंदन का लेप लगाएं। धूप-दीप जलाकर भगवान की आरती करें। इस दिन भगवान विष्णु के अन्य अवतारों की भी पूजा करनी चाहिए। श्रीराम और श्रीकृष्ण का भी अभिषेक करें। भगवान को तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं।

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