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बीते कई दशकों तक चीन की अर्थव्यवस्था बहुत अधिक विकास का पर्याय थी, लगातार आ रही है गिरावट

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नई दिल्ली
चीन की वार्षिक विधायी बैठक नेशनल पीपुल्स कांग्रेस पर दुनिया भर की निगाह थी। इसके पीछे कई बड़ी वजह थी। बीते कई दशकों तक चीन की अर्थव्यवस्था बहुत अधिक विकास का पर्याय थी। लेकिन तीन साल के सख्त महामारी उपायों का असर पड़ा और गहराते रियल एस्टेट संकट के कारण दर्जनों डेवलपर्स का पतन हो गया। 2021 के चरम के बाद से चीन के शेयर बाजार का मूल्य लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर कम हो गया है, विदेशी निवेश देश को छोड़ रहा है और शेष दशक के लिए सकल घरेलू उत्पाद में 1% की कमी आने का खतरा है। चीन के नेताओं द्वारा कार्रवाई में कमी के कारण, विशेषज्ञ चीन की ग्रोथ पर संदेह करने लगे। चीन के गणतंत्र की स्थापना का 75वां साल होने की वजह से भी इस बैठक पर दुनिया के देश टकटकी लगाए हुए थे।

इस बैठक के मजमून को समझें तो एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ली कियांग का भाषण, जो नए लक्ष्यों और लक्ष्यों को निर्धारित करते हुए देश के आर्थिक स्वास्थ्य की समीक्षा करता है, अपने पूर्ववर्ती के पिछले वर्ष की लगभग कार्बन कॉपी साबित हुआ, जो कि "लगभग 5%" के समान अनुमानित विकास लक्ष्य से भी कम था। हालांकि उन्होंने सैन्य खर्च में 7.2% की वृद्धि, "अल्ट्रा लॉन्ग-टर्म" विशेष बांड में 139 बिलियन डॉलर और उद्योगों के उन्नयन और विनिर्माण के आधुनिकीकरण के लिए 1.4 बिलियन डॉलर की घोषणा की।

आर्थिक मंदी और कमजोर पड़ती कारोबारी धारणा से जूझ रहे चीन ने इस साल पांच प्रतिशत की मामूली आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य तय किया है। इसके साथ ही पड़ोसी देश ने बढ़ती बेरोजगारी पर चिंताओं के बीच 1.2 करोड़ नौकरियां पैदा करने का वादा भी किया है। ली ने अपनी 39 पेज की कार्य रिपोर्ट में कहा कि सरकारी घाटा 2023 के बजट आंकड़े से 180 अरब युआन (26 अरब अमेरिकी डॉलर) बढ़ जाएगा। पिछले साल चीन ने 5.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी। वहीं ताइवान के मुद्दे पर चीन के रुख में कड़वाहट दिखाई दी। जानकारों का मानना है कि इस पूरी बैठक का लब्बोलुआब यह है कि चीन अपनी गिरती इकोनॉमी और वैश्विक तनावों के बीच विकास की रफ्तार में पिछड़ता दिखाई दे रहा है। ऐसे में भारत के लिए अवसरों की भरमार बढ़ेगी।

पारले पॉलिसी इनीशिएटिव के साउथ एशिया के सीनियर एडवायजर नीरज सिंह मन्हास कहते हैं कि चीन में 2024 नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) पर इस बात पर बारीकी से नजर रखा जा रहा है कि देश अपनी मौजूदा आर्थिक चुनौतियों से निपटने की योजना कैसे बना रहा है। ऐसा लगता है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग का प्रशासन चीन के सामने आने वाली आर्थिक बाधाओं से पूरी तरह अवगत है। अर्थव्यवस्था को स्थिर और बेहतर करने के लिहाज से कई नीतियों को लागू कर रहा है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश का कायाकल्प करने पर शी जिनपिंग का जोर है। इसके साथ ही स्टेट काउंसिल के ऑर्गेनिक लॉ में भी सुधार की बात है जिसके तहत कैबिनेट का रोल बड़ा अहम हो जाता है। इसके साथ ही आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए घरेलू नवाचार और गर्वनेंस के पुनर्गठन की बात कही गई है। प्रधानमंत्री ली केकियांग ने अपने संबोधन में प्रवासी श्रमिकों के लिए शहरी निवास को प्राथमिकता के रूप में रेखांकित किया है। इससे घरेलू मांग को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अतिरिक्त, 'नए प्रकार' की कूटनीति यह दर्शा रही है कि चीन अपने अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूत करने के लिए प्रयास कर रहा है।

यूनिवर्सिटी में एसओएएस चाइना इंस्टीट्यूट के निदेशक स्टीव त्सांग कहते हैं, "जिस तरह से चीजों को संभाला जा रहा है, उससे पता चलता है कि शी जिनपिंग को एहसास है कि अर्थव्यवस्था अच्छा नहीं कर रही है, चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उन्हें कोई संकट नहीं दिख रहा है। ताइपे में एक थिंक टैंक, इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल डिफेंस एंड सिक्योरिटी रिसर्च में एक शोधकर्ता ओउ सी-फू कहते हैं कि चीन द्वारा अपनी सेना पर भारी खर्च जारी रखने से पता चलता है कि देश के शीर्ष नेता शी जिनपिंग संभावित संघर्ष के लिए कमर कसना जारी रखेंगे। चूंकि अमेरिका के साथ चीन के संबंध अच्छे नहीं हैं, इसलिए निश्चित रूप से चीन बहुत अधिक कमजोरी नहीं दिखा सकता है।

चीन के सामने चुनौतियों का अंबार
प्रॉपर्टी संकट से जूझ रहे चीन ने 2024 में 5% ग्रोथ का लक्ष्य रखा है। लेकिन कंज्यूमर कॉन्फिडेंस गिरा हुआ है, स्थानीय सरकारों पर कर्ज का भारी-भरकम बोझ है। केंद्र सरकार ने स्थानीय सरकारों को मदद के लिए खर्च बढ़ाने की कोई घोषणा भी नहीं की। न ही प्रॉपर्टी मार्केट या कंज्यूमर कॉन्फिडेंस में सुधार के उपाय किए। अर्थशास्त्रियों को लगता है कि बिना किसी उपाय के इतनी ग्रोथ दर्ज कर पाना मुश्किल होगा।

दिसंबर 2023 से फरवरी तक चीन का औसत मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 49.1 और नॉन-मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 50.8 रहा है। कंपोजिट पीएमआई 50.7 है जो 2018 के बाद सबसे कम है। इस आधार पर ग्लोबल रिसर्च फर्म नेटिक्सिस का अनुमान है कि चीन की विकास दर पहली तिमाही में 4.2% होगी। इस वर्ष 5% ग्रोथ के लिए बाकी हर तिमाही में विकास दर 1.3% बढ़ना जरूरी है।

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