सिर्फ स्टील और ऊर्जा उत्पादन ही नहीं बल्कि लोक उत्थान हेतु किए प्रयासों की भी झलक
नवीन जिन्दल के नेतृत्व में “आत्मनिर्भर भारत” की गाथा लिख रही है कंपनी
रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य गठन की 21वीं वर्षगांठ पर यहां साइंस कॉलेज ग्राउंड में आयोजित ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’ और ‘राज्योत्सव-2021’ के अवसर पर नवीन जिन्दल के नेतृत्व वाली कंपनी जिन्दल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) की झांकियां प्रदेश के विकास में अपने योगदान की कहानी सुना रही है। यहां लगाए गए जेएसपीएल के पंडाल में झलक मिलती है कि यह कंपनी सिर्फ स्टील और ऊर्जा का उत्पादन नहीं कर रही है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और अन्य उपक्रमों के माध्यम से लोगों के उत्थान के लिए भी प्रयासरत है और “आत्मनिर्भर भारत” की गाथा लिख रही है। दुर्दांत कोविड हर वर्ष की तरह आयोजित राज्योत्सव में इस बार का रंग कुछ अलग है। इस बार राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव – छत्तीसगढ़ राज्योत्सव में 7 देश, 27 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 से अधिक नर्तक शामिल हुए हैं इसलिए माहौल में उमंग और उत्साह है। इस रंगारंग वातावरण में जेएसपीएल का पंडाल अपनी अलग छटा बिखेर रहा है।
छत्तीसगढ़ जेएसपीएल की जन्मभूमि है। संस्थापक चेयरमैन श्री ओपी जिन्दल ने 1989 में रायगढ़ में यह पौधा लगाया था, जो आज राष्ट्र की मजबूती में बढ़-चढ़कर योगदान कर रहा है। जेएसपीएल यहां प्रेरणा का स्रोत भी बना हुआ है कि विश्वविख्यात समाजसेवी और उद्यमी श्री ओपी जिन्दल ने हिसार के गांव नलवा में रहते हुए कैसे इतने बड़े सपने देखे और उसे साकार कर दिखाया। इसी तरह चेयरमैन श्री नवीन जिन्दल ने कैसे उन सपनों को आगे बढ़ाया और रेल, ऊर्जा समेत अनेक क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के राष्ट्र के प्रयासों में सहयोगी बने।
छत्तीसगढ़ में जेएसपीएल की यात्रा रायगढ़ में 0.3 एमटीपीए क्षमता के डीआरआई प्लांट से शुरू हुई थी, जो आज 8.6 MTPA एमटीपीए वाली स्टील कंपनी बन गई है। इसमें रायगढ़ प्लांट की क्षमता 3.6 एमटीपीए की है, जिसे और आगे ले जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। जेएसपीएल का रायगढ़ प्लांट आज दुनिया के सबसे बड़े स्पंज आयरन उत्पादन प्लांट्स में से एक है। जेएसपीएल निजी क्षेत्र की देश की इकलौती कंपनी है, जो रेल पटरियां बना रही है। इसी तरह यह देश की इकलौती कंपनी है जो तेज गति से चलने वाली ट्रेनों के लिए हेड हार्डेंड रेल रायगढ़ स्थित अपने प्लांट में बना रही है। मेट्रो, मोनो रेल जैसी महानगरीय और अंतर-महानगरीय सेवाओं के विस्तार के सपनों को जेएसपीएल के इन प्रयासों से नए पंख लगे हैं और अब सरकार अपने देश में ही बनी रेल पटरियों के माध्यम से विकास के नए अध्याय लिख रही है। पहले इन पटरियों के लिए विदेश पर ही निर्भरता थी।
रायगढ़ के ही तमनार में स्थित जिन्दल पावर लिमिटेड की स्थापना जेएसपीएल ने की थी, जो स्वतंत्र बिजली उत्पादन क्षेत्र में निजी क्षेत्र की एक क्रांतिकारी पहल थी। यह ऐसी बुनियाद थी, जिसने बिजली उत्पादन क्षमता के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाया।
चाहे स्टील हो या पावर प्लांट, इनकी स्थापना और संचालन के लिए मशीनों की आवश्यकता होती है और इस जरूरत को पूरा किया, रायपुर स्थित जेएसपीएल के मशीनरी डिवीजन ने। रायपुर की इस वर्कशॉप में वे मशीनें भी बनाई गईं, जो सिर्फ विदेश में बनती थीं। यहां अनेक ऐसी स्वदेशी तकनीक विकसित की गई, जो राष्ट्र के औद्योगिक बुनियाद को मजबूत करने में कारगर साबित हुई।
ओपी जिन्दल स्कूल, ओपी जिन्दल यूनिवर्सिटी, ओपी जिन्दल कम्युनिटी कॉलेज, जिन्दल इंस्टीट्यूट ऑफ पावर टेक्नोलॉजी, फोर्टिस-ओपी जिन्दल हॉस्पिटल समेत सामुदायिक विकास के अनेक कार्य आज समाजसेवा के क्षेत्र में जेएसपीएल के योगदान की पहचान बन गए हैं। कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण काल में जेएसपीएल ने देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन पहुंचाकर मानवता की सेवा की अमिट छाप छोड़ी है।