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मनरेगा योजना अंतर्गत 40.91 लाख श्रमिकों को मिला रोजगार

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12 हजार से अधिक वन अधिकार पट्टाधारी परिवारों को 100 दिवस का रोजगार
रायपुर।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत चालू वित्तीय वर्ष में माह सितम्बर तक 22 लाख 46 हजार 327 परिवारों के 40 लाख 90 हजार 790 श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध हुआ। वित्तीय वर्ष 2021-22 में अप्रैल से सितम्बर तक 7 करोड़ 37 लाख 82 हजार 81 मानव दिवस रोजगार का सृजन किया गया। चालू वित्तीय वर्ष के शुरूआती 9 महिनों में पूरे वर्ष भर के लक्ष्य 13 करोड़ 50 लाख मानव दिवस रोजगार का 54.65 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। सितम्बर माह तक 7 करोड़ 96 लाख 99 हजार 766 मानव दिवस रोजगार के लक्ष्य के विरूद्ध 92.58 प्रतिशत की उपलब्धि प्राप्त की गई है।
छत्तीसगढ़ में मनरेगा के कार्यों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी रही है। माह सितम्बर तक रोजगार प्राप्त 40.91 लाख श्रमिकों में से 22.77 लाख महिलाएं अर्थात् 50.76 प्रतिशत महिलाओं को रोजगार प्राप्त हुआ। चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम 9 महिनों में प्रदेश में योजना अंतर्गत 40.91 लाख श्रमिकों द्वारा कुल सृजित 7 करोड़ 37 लाख 82 हजार 81 मानव दिवस में से 20.77 लाख महिलाओं के द्वारा 3 करोड़ 69 लाख 98 हजार मानव दिवस सृजित किया गया, जो कि कुल सृजित मानव दिवस का 50.15 प्रतिशत है। माह अप्रैल से सितम्बर तक 28 हजार 144 परिवारों को 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है। राष्ट्रीय स्तर पर 10 लाख 37 हजार 834 परिवार अकेले छत्तीसगढ़ की भागीदारी 2.71 प्रतिशत है, जिसके अनुसार प्रदेश का नेशनल रैंक 9वां है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत इस वर्ष की छःमाही की समाप्ति पर प्रदेश में 12 हजार 97 वन अधिकार पट्टाधारी परिवारों को 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार प्राप्त 69 हजार 150 वनाधिकार पट्टाधारी परिवारों में अकेले छत्तीसगढ़ की भागीदारी 17.49 प्रतिशत है, जिसके आधार पर प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान पर है। वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 में लक्ष्य के विरूद्ध शत-प्रतिशत रोजगार का सृजन किया गया। प्रदेश में अब तक औसत प्रति परिवार 33 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है। चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 25 हजार 539 दिव्यांगजनों को सीधे रोजगार उपलब्ध कराया गया है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से प्रदेश में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से संबंधित कार्यों पर व्यय का प्रतिशत 83.54 है, जो राष्ट्रीय औसत 69.99 प्रतिशत से अधिक है। प्रदेश में जल, जमीन और पर्यावरण से संबंधित कार्यों पर सर्वाधिक व्यय किया गया। जिसका सकारात्मक परिणाम और व्यापक प्रभाव खेती-किसानी, निस्तारी, भू-जल और जलवायु परिवर्तन पर देखा जा सकेगा। सितम्बर माह तक प्रदेश में मनरेगा निधि का 79.32 प्रतिशत का उपयोग कृषि एवं तत्संबंधी कार्यों पर किया गया है, जो कि राष्ट्रीय औसत से 70.82 प्रतिशत अधिक है। इन कार्यों से प्रदेश में खेती और खेती से जुड़े कार्यों पर आधारित आजीविका को बेहतर बनाने में ग्रामीण परिवारों को मदद मिलेगी।
प्रदेश में मनरेगा योजना अंतर्गत श्रमिकों को चालू वित्तीय वर्ष में सितम्बर तक कुल 1547 करोड़ 62 लाख 60 हजार रूपए का मजदूरी भुगतान किया जा चुका है। योजना अंतर्गत अब तक प्रदेश में 10 हजार 241 स्वीकृत गौठान निर्माण कार्य में से 7 हजार 65 का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। इसी प्रकार चारागाह विकास के स्वीकृत 6 हजार 804 कार्यों में से 4 हजार 604 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। धान संग्रहण चबूतरा निर्माण के स्वीकृत 7 हजार 801 कार्यों में से 7 हजार 780 का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। नवीन पंचायत भवन निर्माण के स्वीकृत 706 कार्यों में से 605 पंचायत भवन का निर्माण पूर्ण हो गया है।