एक चेक गुमाया, दो लगाया ही नहीं और ग्राहक को डिफॉल्टर कहते भेजा नोटिस
भिलाईनगर। आसान शर्तों पर घरेलु वस्तुयें फायनेन्स करने के नाम पर निजी बैंक किस कदर अपने ग्राहक को परेशान और अपमानित करती है उसकी एक बानगी एचडीएफसी बैंक और उनके कर्मचारियों ने पेश की है। सेक्टर 1 निवासी अधिवक्ता सुभाष सतपथी एवं उनकी पत्नी सविता सतपथी ने एचडीएफसी बैंक से 14 अपै्रल 2019 को नरेश ट्रेडिंग कम्पनी से एक एलईडी टीवी क्रय करने के लिए बंैक के आग्रह पर रूपये 39,006 की सहायता प्राप्त की थी जिसे 4,334 रूपये की नौ समान किश्तों में अदा करना था और उसी समय निर्धारित प्रपत्र के साथ एक चेक भुगतान हेतु प्रदान किया था। बैंक ने उक्त चेक को भुगतान हेतु प्रस्तुत नहीं किया और समय बाधित होने पर दूसरे चेक की माँग की। श्रीमती सविता सतपथी ने समय पर चेक भुगतान हेतु प्रस्तुत करने के निर्देश के साथ बैंक कर्मचारी को दूसरा चेक प्रदान किया परन्तु वह चेक भी बैंक द्वारा समय पर भुगतान हेतु प्रस्तुत नहीं किया गया और उक्त चेक के खो जाने की बात कहते हुए बैंक कर्मी ने दूसरे चेक माँग की जिसे एक अन्य चेक दिया गया परन्तु अपनी आदत से लाचार बैंक के कर्मचारी ने उस चेक को भी भुगतान हेतु प्रस्तुत नहीं किया और समय बीतने पर चौथे चेक की माँग की गई। उसे श्रीमती सविता सतपथी ने चौथा चेक भी दिया जो भुगतान हेतु प्रस्तुत किया गया और किश्तों का भुगतान होने भी लगा। इसी बीच बैंक कर्मचारियों ने फोन कर किश्त न पटाने का उलाहना देते हुए श्रीमती व श्री सतपथी से दुव्र्यवहार किया और उन्हें डिफाल्टर भी कहा। जब श्रीमती सतपथी ने पूरे घटनाक्रम का विवरण देते हुए यह बताया कि, एचडीएफसी बैंक व कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से ही एक चेक गुमा दिया गया और दो चेकों को भुगतान हेतु प्रस्तुत ही नहीं किया गया तब स्थानीय बैंक शाखा के कर्मचारियों ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए क्षमा याचना की। सतपथी दम्पत्ति ने यह समझा कि, मामले का पटाक्षेप हो गया है और भुगतान नियमित हो रहा है। परन्तु कुछ ही दिन पश्चात् एचडीएफसी बैंक के अधिकृत अधिवक्ता द्वारा पे्रेषित डिमाण्ड नोटिस जिसमें अनावश्यक अनुचित व मिथ्या कथन किये गये थे, उन्हें प्राप्त हुआ तो उन्हें गहरा मानसिक आघात पहुँचा और काफी अपमानित महसूस किया। सतपथी दम्पत्ति ने उक्त घटनाक्रम की लिखित शिकायत एचडीएफसी बैंक के स्थानीय शाखा, मुख्य कार्यालय के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक से भी की। उन्होंने 27 जनवरी 2020 को लिखित आवेदन में खाते की बकाया राशि 26 हजार रूपये एक मुश्त भुगतान कर बैंक से अनापत्ति प्रमाणपत्र की माँग की परन्तु बैंक ने उनके इस पत्र का भी कोई जवाब देना उचित नहीं समझा। यहाँ यह बताना लाजमी है कि, सुभाष सतपथी एक सम्मानित अधिवक्ता हैं और उनकी पत्नी श्रीमती सविता सतपथी शासकीय विद्यालय में व्याख्याता के पद पर कार्यरत हैं जिनका मासिक वेतन हर माह उनके खाते में आता है और ऋण के कुल राशि से अधिक राशि हर समय उनके बैंक खाते में जमा ही रहती है। आसान शर्तों पर ऋण के बहाने एचडीएफसी बैंक किस तरह अपने ग्राहकों को प्रताडि़त कर अनुचित रकम अर्जित करना चाहती है इसकी यह घटना ज्वलंत उदाहरण है।