मुंगेली/ पितृ पक्ष के अवसर पर माँ शारदा भवन मुंगेली में श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञानयज्ञ सप्ताह का बुधवार को समापन हुआ। 9 दिवसीय इस श्रीमद्भागवत महापुराण कथा 21 सितंबर से प्रारंभ होकर 29 सितंबर को समापन हुआ। श्रीमद्भागवत महापुराण कथा प्रारंभ दिन को कलश यात्रा के साथ शुरुआत हुई, उसके बाद रोजाना दोपहर 12 से शाम 5 बजे तक कथा वाचक आचार्य पंडित श्री रामानुज युवराज पांडेय ( श्री जगन्नाथ मंदिर, अमलीपदर, गरियाबंद ) के श्रीमुख से भागवत कथा का सुंदर प्रवचन किया गया, श्रीमद्भागवत की कथा संगीतमय-लयबद्ध तरीके से प्रस्तुति से श्रोताओं में भक्तिमय वातावरण देखने को मिला।
प्रथम दिवस आचार्य द्वारा वेदी स्थापना, पूजन कर कथा प्रारम्भ किया गया, दूसरे दिन राजा परीक्षित के जन्म व कलयुग आगमन की बहुत सुंदर कथा सुनाई गई, राजा परीक्षित और कलयुग के संवाद को बखान करते हुए राजा परीक्षित को ऋषिपुत्र द्वारा मिले श्राप का व्याख्यान किया गया, जिसमें राजा परीक्षित ने कलयुग के प्रभाव के कारण एक ऋषि का अपमान किया जिसके कारण ऋषिपुत्र के श्राप के चलते 7 दिन बाद तक्षक नाग द्वारा काटे जाने पर परीक्षित की मृत्यु होना बताया गया, मृत्यु से पहले मोक्ष की प्राप्ति के लिए राजा परीक्षित ने श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का रसपान किया, इस कथा का बहुत ही सुंदर व्याख्या आचार्य द्वारा किया गया। तीसरे दिन कपिला कथा, ध्रुव चरित्र, चौथे दिन भक्त प्रहलाद कथा और दक्ष प्रजापति यज्ञ दर्शन का सुंदर वर्णन किया गया। पांचवें दिन श्रीकृष्ण जन्म, श्रीराम जन्म की कथा सुनकर भक्तगण मंत्रमुग्ध हो गए। छठवें दिन कथावाचक कथा वाचक आचार्य पंडित श्री रामानुज युवराज पांडेय ने श्रीकृष्ण के जन्म उपरांत नामकरण, रासलीला, पुतना वध, अन्य राक्षस वध, कंस वध सहित कृष्ण-भक्ति के महात्म्य का सुंदर प्रवचन दिया गया। सातवें दिन श्रीकृष्ण और रूखमणी का विवाह और सुदामा चरित्र तथा आठवें दिन भागवत दर्शन, परीक्षित मोक्ष, चढ़ोत्तरी संपन्न हुआ। नौवें दिन गीता का पाठ, तुलसी वर्षा, हवन, पूर्णाहुति एवं कपिला तर्पण संपन्न हुआ।
कथावाचक आचार्य द्वारा अपने प्रवचन में गुरु-शिष्य परंपरा, गुरुदक्षिणा, शिष्टाचार के संदर्भ में, सत्संग की महिमा बहुत ही रोचक एवं ज्ञानवर्धक बातें बताई साथ ही वर्तमान समय एवं परिस्थितियों को देखते हुए कई क्षेत्र में कटाक्ष भी किया। महिलाओं के लिए विशेष रूप से एकादशी व्रत के महात्म्य एवं भगवान जगन्नाथ के संबंध में सुंदर वर्णन किया गया, संगीतमय कथा व भजन से पूरा वातावरण भगवान की भक्ति में लीन हो गया। आचार्य ने कहा कि ईश्वर की गति स्वच्छंद होती हैं, कोई भी भक्त सच्चे मन से भगवान की भक्ति करता हैं भगवान अपने भक्त के दुख और कष्ट तुरंत दूर कर देते हैं। ब्राम्हण के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि ब्राम्हण में 9 गुण होने चाहिए, ब्राम्हण गायत्री तेज से सम्पन्न होना चाहिए। भगवान की सकाम और निष्काम का सुंदर वर्णन करते हुए कथावाचक आचार्य ने बताया कि भगवान को निष्काम भक्ति पसंद हैं, कलियुग का महामंत्र केवल हरि नाम का जप हैं। संतों की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि अगर दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता तो सन्त को अपनी सन्तता नहीं छोड़नी चाहिए। भगवान नारायण के अवतारों का सुंदर चित्रण दर्शाते हुए सुंदर कथा का व्याख्यान किया गया । इस प्रकार यह श्रीमद्भागवत महापुराण महायज्ञ कथा का आज समापन हुआ।
उक्त कार्यक्रम के आयोजक मुंगेली निवासी स्वराज तिवारी, संदीप तिवारी, स्वतंत्र तिवारी सहित पूरे परिवार थे।