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सत्तापक्ष में रहते हुए विपक्ष की भूमिका निभा रहे बिलासपुर के विवादित विधायक शैलेश पांडेय… विधायक द्वारा अनुशासनहीनता पे अनुशासनहीनता लेकिन शीर्ष नेतृत्व शांत क्यों ? अपने ही सरकार के खिलाफ कई बार बयान देकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने की बन गई हैं आदत ? क्या शहर कांग्रेस कमेटी के प्रस्ताव पर लगेगी मुहर…क्या विधायक को 6 साल के लिए किया जा सकता कांग्रेस से बाहर ?

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टी एस सिंहदेव का नाम लेकर उन्होंने इस बात पर मुहर लगा दी कि कांग्रेस सरकार दो नेताओं के बीच संघर्ष करते दिखाई दे रही है ?

विपक्ष को बैठे बैठाये मुद्दा दे दिया शैलेश ने…

बिलासपुर संभाग/ बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय के रहते विपक्ष की जरूरत नही आखिर ये काम वे अकेले ही सरकार के खिलाफ बोल कर विपक्ष की भूमिका बखूबी निभा रहे है इन ढाई साल में बिलासपुर विधायक को जब जब मौका लगा सरकार के खिलाफ या कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाते रहे है ।
आपको बता दे कि शैलेश पांडेय के द्वारा पूर्व प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू के सामने ही वर्चुअल थानों के उद्घाटन के समय थानों में रेट लिस्ट को लेकर सरकार को ही कटघेरे में खड़ा कर दिया था जिस पर प्रभारी मंत्री ने उन्हें टोकते हुए अपनी शिकायत पार्टी स्तर पर रखने की बात कही थी जिसके चलते पूरे प्रदेश में सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी। इसके बाद यातायात सिपाही और कांग्रेस नेता की खुलेआम बीच बाजार का प्रकरण भी सभी को याद ही होगा उस समय भी विधायक शैलेश पांडेय पुलिस की कार्यशैली को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया था,इसके बाद कई मौकों पर शैलेश पांडेय ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है अन्य घटनाओं को भी बिलासपुर की जनता जान रही है अभी हाल ही में सिटी कोटवाली में दिए उनके बयान के चलते फिर उन्होंने सरकार की किरकिरी करने की अपनी मंशा जता ही दी और साथ मे घसीट लिया केबिनेट मंत्री टी एस सिंहदेव बाबा साहब को जो सरकार के दूसरे नम्बर के कद्दावर नेता हैं जिनकी मेहनत से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी आज उसी सरकार के खिलाफ बयानबाजी करके आखिर विधायक महोदय क्या बताना चाहते है। क्या वे विपक्ष की कमी वो पूरी कर दे रहे है ?

बिलासपुर शहर कांग्रेस कमेटी ने विधायक को 6 साल के निष्कासित करने का प्रस्ताव शीर्ष नेतृत्व को भेजा…

कल की बैठक में शहर कांग्रेस कमेटी की 21 सदस्यीय कार्यकारिणी ने प्रस्ताव पारित किया कि सिटी कोटवाली में दिए सरकार विरोधी बयान के मामले में विधायक शैलेश पांडेय के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए। उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाना चाहिए। अब देखना हैं कि बिलासपुर शहर कांग्रेस कमेटी के प्रस्ताव को पार्टी हाईकमान कितनी गंभीरता से लेती हैं और कब तक इस मामले में कार्यवाही की जाती हैं, हालांकि अधिकांश कांग्रेसियों का मत हैं कि विधायक की अनुशासनहीनता के चलते उन्हें कांग्रेस से निकाल देना चाहिए, अब देखना यह होगा कि क्या विधायक शैलेश पांडेय का निष्कासन वाकई होगा या उन्हें अभयदान दे दिया जाएगा ?

पार्टी का शीर्ष नेतृत्व आखिर शांत क्यों ?

प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को बिलासपुर विधायक की विपक्षी भूमिका क्यों दिखाई नहीं दे रहीं ये तो भगवान ही जाने ? इसके पहले बिलासपुर में ही ब्लॉक अध्यक्ष को विधायक के खिलाफ बयान बाजी के खिलाफ पद से त्याग देना पड़ा था तब मोहन मरकाम को अनुशासनहीनता दिखाई दी लेकिन एक विधायक पार्टी की सरकार के खिलाफ कई दफा बयान जारी कर सरकार की किरकिरी करता चले आ रहे है लेकिन उन्हें ये सब दिखाई नही दे रहा है। क्या प्रदेश अध्यक्ष या पार्टी की गाइडलाइन में अनुशासनहीनता व्यक्ति के हिसाब से तय की जाती है ? लेकिन प्रदेश की जनता को ये भलीभांति दिख रहा है कि सरकार की ही पार्टी का विधायक विपक्ष की भूमिका बेहतर तरीके से निभाते हुए सरकार को हमेशा कटघरे में खड़ा कर रहा है? जो कांग्रेस के लिए नुकसानदायक हैं।