जयपुर
परिवारवाद के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस को घेरती रही है। अब पूर्व राष्ट्रपति और दशकों तक कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे प्रणब मुखर्जी की बेटी ने भी पार्टी को नसीहत दे डाली है। पिता प्रणब मुखर्जी पर लिखी किताब और इसमें किए कई अहम खुलासों को लेकर सुर्खियां बटोर रहीं सर्मिष्ठा ने दो टूक कहा है कि कांग्रेस को दोबारा भारतीय राजनीति में अहमियत पाना है तो वंशवाद से बाहर निकलना होगा। उन्होंने राहुल गांधी का नाम लेकर भी सीधा वार किया और कहा कि दो बार उनके फेस पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव हार चुकी है।
सर्मिष्ठा मुखर्जी ने जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में यह टिप्पणी की, जिसकी खूब चर्चा हो रही है। मुखर्जी ने कहा, 'कांग्रेस ने सिर्फ एक या दो वजहों से महत्व नहीं खोया। यह कई सालों की अवधि में हुआ। यदि कांग्रेस को भारतीय राजनीति में दोबारा महत्व पाना है तो तो इसे वंशवाद की राजनीति से बाहर निकलना चाहिए।' सर्मिष्ठा ने एएनआई से बातचीत करते हुए भी अपनी बात को दोहराया और राहुल गांधी का नाम लेकर निशाना साधा।
मुखर्जी ने कहा, 'देखिए कांग्रेस को इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि 2014 में राहुल गांधी जी बुरी तरह चुनाव हारे। 2019 में भी फेस थे और बुरी तरह हारे। दो लोकसभा चुनाव हो गए हैं। किसी भी राजनीतिक दल में यदि एक लीडर बार-बार, क्या बीजेपी में ऐसा होता, कोई पार्टी बार-बार अगर किसी की लीडरशिप में हार रही है, पार्टी के नेताओं को सोचने की जरूरत है कि पार्टी का फेस कौन होगा।'
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि लोकसभा में कांग्रेस की सीटों की संख्या भले ही कम हो गई है, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में बहुत मजबूत उपस्थिति है, क्योंकि वह देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। कांग्रेस की तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक में सरकार में है। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस अभी भी मुख्य विपक्षी दल है। उसका स्थान निर्विवाद है। लेकिन इस उपस्थिति को कैसे मजबूत करना है? ये सवाल है। लेकिन इस पर विचार करना कांग्रेस नेताओं का काम है।' शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि पार्टी में लोकतंत्र की बहाली, सदस्यता अभियान, पार्टी के भीतर संगठनात्मक चुनाव और नीति निर्णय की प्रक्रिया में हर स्तर पर जमीनी कार्यकर्ताओं को शामिल करने की जरूरत है।
नेतृत्व के सवाल पर शर्मिष्ठा ने कहा, 'इसका जवाब कांग्रेस नेताओं को देना है। लेकिन एक कांग्रेस समर्थक और जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मुझे पार्टी की चिंता है । और निश्चित रूप से समय आ गया है कि नेतृत्व के लिए गांधी-नेहरू परिवार से बाहर देखा जाए।' कांग्रेस समर्थक होने के नाते पार्टी से अपेक्षाओं को लेकर शर्मिष्ठा ने कहा, 'कांग्रेस यह आत्मनिरीक्षण करे कि क्या वह सही मायने में आज पार्टी की विचारधारा को आगे ले जा रही है?