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81.2% लोगों किसी ना किसी तरह के नशे की हालत में गाड़ी चलाते है – सर्वे

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नई दिल्ली
सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। जी हां, दिल्ली की सड़कों पर चलते समय लोगों को बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है। खासतौर से राहगीरों, साइकल और दोपहिया वाहन चलाने वालों को, नहीं तो आप कभी भी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं। इसका बड़ा कारण है दिल्ली की सड़कों पर 80 फीसदी से अधिक लोगों का नशे में गाड़ी चलाना। इससे ऐसे ड्राइवर ना केवल अपनी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, बल्कि सड़कों पर चलने वाले अन्य लोगों की जिंदगी को भी खतरे में डाल रहे हैं।

रोड सेफ्टी पर खासतौर से ड्रंकन ड्राइविंग के खिलाफ काम करने वाली एनजीओ कैड (CADD) ने दिल्ली में अलग-अलग कैटिगिरी के करीब 30 हजार लोगों से बात करके सर्वे किया। इसमें कई गंभीर बातें निकलकर सामने आई हैं। सर्वे में दावा किया गया है कि दिल्ली में गाड़ी चलाने वाले 81.2 फीसदी लोगों ने माना है कि उन्होंने किसी ना किसी तरह के नशे की हालत में गाड़ी चलाई। अगर सर्वे की बात सही है तो दिल्ली में गाड़ी चलाने वाले अधिकतर लोग नशे की हालत में गाड़ी चलाते हैं, जो ना केवल अपने लिए बल्कि दूसरों की जान के लिए भी घातक है। इसी तरह से सर्वे में पूछा गया था कि क्या वह गाड़ी चलाते वक्त स्पीड का ध्यान रखते हैं। इसमें भी चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं।

सर्वे में 74 फीसदी ड्राइवरों ने कहा कि वह ड्राइव करते वक्त स्पीडोमीटर पर ध्यान ही नहीं देते हैं। अब ऐसे में चाहे उनकी स्पीड तय लिमिट से काफी अधिक हो या नहीं, उन्हें कुछ नहीं पता। इसी तरह से 80 फीसदी से अधिक ड्राइवरों ने कहा कि उनके पास जो लाइसेंस है, वह उन्होंने बिना वैलिड ड्राइविंग टेस्ट दिए ही हासिल किया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने कथित रूप से दलालों या फिर अन्य किसी तरह की गड़बड़ी करके लाइसेंस हासिल किए?

करीब 70 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने किसी भी रजिस्टर्ड ड्राइविंग स्कूल से ड्राइविंग नहीं सीखी। इनमें से अधिकतर पुरुष ड्राइवर थे। इसी तरह से 83 फीसदी से अधिक लोगों ने बताया कि सड़क पार करते वक्त वह जेब्रा क्रॉसिंग और एफओबी को नहीं देखते। 39 फीसदी हेलमेट नहीं पहनते। 96 फीसदी से अधिक लोगों ने बताया कि उन्हें ब्लैक स्पॉट के बारे में कोई जानकारी नहीं। एनजीओ ने बताया कि सर्वे में कार, टुवीलर, ऑटो, साइकल, कैब, बस, ट्रक, विक्रम, मिनी वैन, रिक्शा और अन्य तमाम तरह के कमर्शल वीकल चलाने वाले 30 हजार ड्राइवरों से पिछले साल 1 अगस्त से 31 दिसंबर के बीच सर्वे में शामिल किया गया था।

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