Home विदेश मुइज्‍जू का भारत व‍िरोधी रवैया तोड़ सकता है अर्थव्‍यवस्‍था की कमर

मुइज्‍जू का भारत व‍िरोधी रवैया तोड़ सकता है अर्थव्‍यवस्‍था की कमर

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माले
 मालदीव और भारत के संबंधों में तनाव देखने को मिल रहा है। इस बीच खबर आ रही है कि अगर राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू इसी तरह के भारत विरोधी रुख को अपनाते हैं तो मालदीव की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। अगर मालदीव के लिए भारत का लंबे समय से चला आ रहा सहायता कार्यक्रम कमजोर हो जाता है और चीन के कर्ज का अनुपात बढ़ता है तो यह मालदीव की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। भारत दशकों से मालदीव के डेवलपमेंट में सबसे बड़ा भागीदार रहा है।

भारत ने मालदीव के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए पिछले पांच वर्षों में प्रमुख परियोजनाओं की शुरुआत की है। इसकी तुलना में चीन के कर्ज में दबा मालदीव का 'ऋण संकट' अब उच्च जोखिम पर पहुंच गया है। आईएमएफ ने पिछले सप्ताह इसे लेकर चेतावनी दी थी। आईएमएफ के मुताबिक मालदीव में बाहरी और समग्र ऋण संकट का जोखिम उच्च बना हुआ है। मालदीव में ज्याजातर ऋण चीन का है। मामूली शुरुआत से बढ़ते हुए भारत मालदीव का द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 128 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 937 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

इस कारण से बढ़ा व्यापार
पिछले दो वित्ती वर्षों 2021-22 और 2022-23 के दौरान व्यापार में उछाल आया। यह उछाल सितंबर 2020 में दोनों देशों के बीच मालवाहक जहाज की शुरुआत और फरवरी 20211 से तीन लाइन ऑफ क्रेडिट परियोजनाओं पर काम शुरू होने का प्रत्यक्ष परिणाम है। व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए मालदीव पहुंचने वाले भारतीयों के लिए फरवरी 2022 में वीजा मुक्त प्रवेश ने बढ़ती साझेदारी को और मजबूत किया। भारतीय पर्यटन ने भी मालदीव की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मालदीव को मदद देता रहा है भारत
अगस्त 2022 में भारत ने मालदीव के लिए 250 मिलियन डॉलर से ज्यादा की वित्तीय सहायता दी। मालदीव भारत की 'पड़ोसी पहले' नीति का बड़ा लाभार्थी है। नवंबर 2022 में भारत ने 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त वित्तीय सहायता दी। भारत इतिहास में भी मालदीव की मदद करता रहा है। 1995 में भारतीय मदद के जरिए इंदिरा गांधी मेमोरियल अस्पाताल बनाया गया। मादलीव का पॉलीटेक्निक भी 1996 में बनाया गया। 2014 में भारत-मालदीव आतिथ्य और पर्यटन अध्ययन संकाय का निर्माण 2014 में 64.5 करोड़ रुपए की भारतीय अनुदान से बना। आर्थिक के साथ मालदीव को भारत मानवीय सहायता देता रहा है। मालदीव के कई छात्र भारत से मिली स्कॉलरशिप के जरिए पढ़ते हैं।

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