भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौति मुख्यमंत्री भूपेश और उसका किसान होना…
रायपुर। छत्तीसगढ़ के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मंत्री रविंद्र चौबे, प्रेमसाय सिंह टेकाम, शिव डहरिया, मोहम्मद अकबर और कवासी लखमा ने पत्रकारों से चर्चा की। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, भाजपा 31 अगस्त और 01 और 02 सितम्बर को चिंतन शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें भाजपा की छत्तीसगढ़ प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और बृजमोहन अग्रवाल शामिल हुए।
भाजपा ने बस्तर में चिंतन शिविर आयोजित किया। इसमें आदिवासियों के लिए चिंतन नहीं हुआ। चिंतन हुआ सिर्फ धर्मांतरण के लिए, राज्य सरकार के लिए, ओबीसी वर्ग को साधने, सरकार के मंत्री मंडल पर। पिछले दिनों भाजपा प्रभारी ने कहा था कि पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौति मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उसका किसान होना है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, भाजपा प्रभारी पुरंदेश्वरी ने जो बातें कही उसमें सबसे बड़ी बात, यदि भाजपा कार्यकर्ता पीछे मुड़कर थूक देंगे तो राज्य सरकार और उनका मंत्रीमंडल बह जाएगा। छत्तीसगढ़ की धरती मां कौशिल्या की धरती है। यहां नारियों के प्रति सम्मान का भाव है। राज्य में लिंगानुपात सबसे अच्छा है। प्रदेश में बेटियां बेफिक्र है। राज्य में नारियों का सम्मान होता रहा है। उनके बारे में मैं कुछ नहीं कहना चाहता।
आज राज्य भाजपा के प्रभारी के लिए सबसे बड़ी चुनौति किसान और राज्य का मंत्रीमंडल है। पहली बात यह है कि थूकने का मतलब घृणा करना है। कितनी घृणा लोगों के प्रति है इससे यह स्पष्ट हो गया। यह सरकार किसानों की सरकार है। मैं किसान पहले हूं, राज्य का मुख्यमंत्री बाद में हूं। किसानों, पिछड़े वर्ग और अनुसूचितों के प्रति भाजपा की भावना कैसी है उसे पूरा प्रदेश देख रहा है। पुरंदेश्वरी ने पार्टी और मंत्रीमंडल पर घृणा की नहीं किसानों के प्रति घृणा है।
ये किसानों का अपमान है, छत्तीसगढ़ राज्य का अपमान है। हम किसान हैं, हमारे मन में नफरत नहीं, हिंसा नहीं। ये कबीर की धरती है, स्वामी आत्मानंद की धरती है। भाजपा नफरत की फसल उगा रहे हैं। आज इस बयान का तीसरा दिन है। कोई खंडन नहीं आया है, कोई माफी नामा नहीं आया है। न केवल पुरंदेश्वरी बल्कि भाजपा की राष्ट्रीय ईकाई भी किसान और छत्तीसगढिय़ों को नफरत के लायक समझती है। पुरंदेश्वरी के बयान पर भाजपा राज्य की जनता से माफी मांगे।