रायपुर.
एनटीपीसी के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे भविस्थापितों की तबीयत रविवार को अचानक बिगड़ गई। यह खबर मिलते ही प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। अफसरों ने आंदोलन में शामिल पांच भूविस्थापितों को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया, जबकि अन्य सदस्यों ने साफ तौर पर अस्पताल जाने से इनकार कर दिया। उन्होंने मांग पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही है।
नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन जमनीपाली दर्री के लिए वर्षों पहले चारपारा कोहड़िया सहित कुछ अन्य गांव की जमीन अधिग्रहित की गई थी। जमीन अधिग्रहण के दौरान भूविस्थापितों को मुआवजा के अलावा नौकरी व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन कई ऐसे परिवार हैं। इन्हें वर्षों बाद भी नौकरी व अन्य सुविधाएं नहीं मिल सकीं, जिसे लेकर लगातार आंदोलन करते आ रहे हैं। इस दौरान कई बार भूविस्थापितों और एनटीपीसी प्रबंधन के बीच प्रशासनिक अफसर की मौजूदगी में बैठक की गई। इसके बावजूद भूविस्थापितों की समस्या का निराकरण नहीं हुआ। कुछ माह पहले तत्कालीन कलेक्टर ने नौकरी के आश्वासन तो दिए लेकिन उनके आश्वासन के बाद भी किसी तरह की पहल नहीं हुई, जिससे आक्रोशित भूविस्थापितों ने परिवार सहित तानसेन चौक में एनटीपीसी प्रबंधन और जिला प्रशासन के खिलाफ आमरण अनशन शुरू कर दिया है। 30 जनवरी से चलने वाले इस आमरण अनशन के छठवें दिन अचानक एक भू विस्थापित की तबीयत बिगड़ गई। यह खबर मिलते ही प्रशानिक अफसरों के हाथ-पांव फूल गए। वे तत्काल हरकत में आ गए। प्रशासन की ओर से तहसीलदार व अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने राजन पटेल, घसिया राम, रामायण, शुभम केवट व एक अन्य को संजीवनी एक्सप्रेस के माध्यम से मेडिकल कॉलेज अस्पताल भिजवाया, जहां भू विस्थापितों को दाखिल कर उपचार कराया जा रहा है।
खास बात तो यह है कि आमरण अनशन में बैठी बुजुर्ग महिला सहित अन्य सदस्यों ने अस्पताल जाने से इनकार कर दिया। उन्होंने साफतौर पर कहा है कि जब तक प्रशासन की ओर से नौकरी संबंधी लिखित पत्र जारी नहीं किया जाता है, वे आमरण अनशन समाप्त नहीं करेंगे। बहरहाल भू विस्थापितों की तबीयत बिगड़ने के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।