भोपाल
रक्तदान से मिलने वाले खून की सभी जांचें आटोमेटिव मशीनों से की जाएगी जिससे जांच में त्रुटि की संभावना न रहे। प्रदेश के 36 ब्लड बैंकों में यह काम आउटसोर्स माध्यम से करवाने के लिए कंपनी का चयन हो चुका है। कंपनी ने 20 जिला अस्पतालों के ब्लड बैंकों में काम शुरू भी कर दिया है। हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, मलेरिया, वीडीआरएल (यौन संक्रामक रोगों की जांच के लिए) और एचआइवी की जांच शामिल है। रक्त की क्रासमैचिंग भी आटोमेटिव मशीनों से की जाएगी।
इस व्यवस्था से सबसे बड़ी सुविधा यह होगी कि खून के सभी तत्व अलग-अलग किए जा सकेंगे जिससे उनका उपयोग एक से अधिक रोगियों के लिए किया जा सके। अभी मेडिकल कालेज के संबद्ध अस्पताल और लगभग 10 जिला अस्पतालों को छोड़ दें तो बाकी ब्लड बैंकों से तत्व अलग किए बिना (होल ब्लड) ही दिया जाता है।
मध्य प्रदेश में हर वर्ष लगभग आठ लाख यूनिट रक्त की आवश्यकता पड़ती है, जबकि स्वैच्छिक रक्तदान से चार लाख यूनिट ही मिल पाता है। बाकी को रक्त लेने के लिए रक्तदाता खोजकर लाना पड़ता है। सभी ब्लड बैंक में खून के अवयव अलग करने की सुविधा होने पर प्रदेश में रक्त की कमी दूर की जा सकेगी।
इसके अतिरिक्त रक्तदान वैन चलाने का काम भी बाहरी (आउटसोर्स) कंपनी को दिया गया है। इससे भी रक्तदान बढ़ेगा। यह छोटी बसें हैं जिनमें रक्तदाताओं के लिए काउच बने हैं। ब्लड रखने के लिए छोटा फ्रीज है। इन सभी सुविधाओं के बदले सरकार की ओर से आउटसोर्स कंपनी 950 रुपये प्रति यूनिट रक्त के हिसाब से भुगतान किया जाएगा।