वाराणसी
वाराणसी के ज्ञानवापी (Gyanvapi) परिसर में बने व्यास जी के तहख़ाने (Vyasji Tahkhana) में रात को कमिश्नर ने पूजा की है। 31 साल बाद यहां पूजा हुई है। कल ही कोर्ट का आर्डर आया था। अदालत के फ़ैसले के कुछ ही घंटों के बाद सारे इंतज़ाम कर लिए गए। विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ओम प्रकाश मिश्रा और अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर द्रविड़ ने पूजा कराई। मंडल आयुक्त कौशल राज शर्मा काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के पदेन अध्यक्ष भी हैं, इसलिए पूजा पर बैठे रहे।
वाराणसी के जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने ज्ञानवापी से निकलते वक्त कहा कि कोर्ट के ऑर्डर का पालन किया गया है। वहीं पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने स्पष्ट बताया कि कानून व्यवस्था के पालन की पूरी तैयारी हो गई है। काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थित नंदी में सामने से बैरिकेडिंग का हिस्सा हटाया गया है। रात के समय से ही सुरक्षा व्यवस्था कड़ी हो गई थी। पूरा परिसर छावनी में तब्दील है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आधी रात के बाद प्रशासनिक अमला ज्ञानवापी परिसर की तरफ पहुंचने लगा। पूरे इलाके में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम कर दिए गए। उसके बाद अगले कुछ घंटे के अंदर ही विधि विधान से पूजा संपन्न हुई। वहां मौजूद हिंदू पक्ष के लोगों में खुशी का माहौल दिखा। लोगों ने कहा कि 31 साल बाद न्याय मिला है।
इससे एक दिन पहले ही बुधवार को वाराणसी जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा करने का अधिकार दिया है। अदालत ने जिला प्रशासन को आदेश दिया है कि 7 दिन के अंदर इसकी व्यवस्था करें। यह तहखाना मस्जिद के भीतर है। व्यास तहखाना मस्जिद के नीचे स्थित है। इसी में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में इसमें कई अहम हिंदू मंदिर होने के सबूत मिले हैं।
काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड की ओर से अब रोज यहां पर पूजा-अर्चना होगी। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि भगवान नंदी जहां पर विराजमान हैं, उसके ठीक सामने व्यास परिसर का तहखाना है। यहां 1993 तक पूजा होती थी, लेकिन नवंबर 1993 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने इसे अवैध रूप से बंद करा दिया था। साथ ही पूजा करने वाले पुजारियों को हटा दिया गया था।
आदेश के नौ घंटे के अंदर सक्रिय हो गए अधिकारी
ज्ञानवापी परिसर स्थित दक्षिणी तहखाना में पूजा और राग-भोग के संबंध में जिला जज की अदालत के आदेश के अनुपालन के लिए प्रशासन नौ घंटे के अंदर ही सक्रिय हो गया। कोर्ट का फैसला बुधवार अपराह्न तीन बजे के आसपास आया जबकि कमिश्नर आदि अफसर रात 11.30 बजे के आसपास परिसर में पहुंच गए। रात एक बजे के बाद तहखाने के सामने से बैरिकेडिंग हटवा दिया गया। उस दौरान वहां अफसर व सुरक्षा बल के जवान ही मौजूद थे।