अंतिम विदाई देने परिवार की तरह काम कर रही सरकार
अलीगढ़। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार आज (23 अगस्त) शाम नरौरा में गंगा नदी के तट पर किया जाएगा। बताते चले कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल्याण सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रदेश में तीन दिन के राजकीय शोक और 23 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक से अधिक लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हो सकें इसलिए 23 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव भी पार्थिव देह के साथ हेलीकॉप्टर में अलीगढ़ पहुंचे थे।
वैदिक रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाएगा। कल्याण सिंह के दाह संस्कार के लिए 25 किलो चंदन की लकड़ी की व्यवस्था की गई है। आर्य समाज के 11 आचार्य अंतिम संस्कार वैदिक रीति रिवाज से सम्पन्न कराएंगे। बताया गया है कि चंदन, ढक, पीपल व आम की लकड़ी का उपयोग किया जाएगा।
आचार्यों में रणधीर शास्त्री, दीपक शास्त्री, आचार्य अविनाश शास्त्री, महेंद्र देव हिमांशु, मवासी सिंह शास्त्री, नरपत सिंह, सुभाष कुमार आर्य, मनोज कुमार शास्त्री, जनेश कुमार, सत्यप्रकाश शामिल रहेंगे।
गौरतलब है कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का लंबी बीमारी के बाद शनिवार रात लखनऊ के एसजीपीजीआई में निधन हो गया था। दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे 89 वर्षीय कल्याण सिंह 4 जुलाई से एसजीपीजीआई में भर्ती थे।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर रविवार को अंतिम दर्शन के लिए लखनऊ में उनके आवास, विधान भवन और भाजपा कार्यालय में रखा गया। पीएम मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लखनऊ पहुंचकर कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि दी। वहीं, सीएम योगी समेत कई बड़े नेताओं ने कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि दी थी।
00 विरासत और वर्तमान
अयोध्या में राममंदिर निर्माण को लेकर 1989 में हुए आंदोलन में कल्याण सिंह ने लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मुख्य भूमिका में थे। 24 जून 1991 को कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से विवाद के बाद उन्होंने भाजपा छोड़कर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया था। 2004 में कल्याण सिंह फिर भाजपा में शामिल हुए। 2009 में कल्याण सिंह ने फिर भाजपा से नाता तोड़ लिया था, वे एटा से निर्दलीय सांसद चुने गए। कल्याण सिंह जनवरी से अगस्त 2015 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे और उसके बाद 4 सितंबर 2015 से 8 सितंबर 2019 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे।
कल्याण सिंह लोध समाज ही नहीं यूपी में पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के बड़े नेता थे। पिछड़े वोट बैंक को भाजपा के पक्ष में करने का श्रेय कल्याण को ही जाता है। कल्याण सिंह के पुत्र राजबीर सिंह एटा से सांसद है और उनके पौत्र संदीप सिंह योगी सरकार में राज्यमंत्री हैं।
00 कल्याण सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए परिवार की तरह काम कर रही सरकार
प्रदेश सरकार पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए परिवार की तरह काम कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रभारी मंत्री सुरेश राणा ने अहिल्याबाई होल्कर स्टेडियम, अतरौली गेस्ट हाउस और कल्याण सिंह के गांव मढ़ौली से लेकर नरौरा तक के सड़क मार्ग का निरीक्षण किया। अतरौली गेस्ट हाउस के पास हैलीपैड बन रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी कमान स्वयं संभाले हैं। रविवार शाम में एयर एंबुलेंस से कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर अलीगढ़ लाया गया। अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को अहिल्याबाई होल्कर स्टेडियम में रखा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सारी व्यवस्थाओं पर स्वयं नजर बनाए हुए हैं। सोमवार को कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर को अतरौली एवं मढ़ौली ले जाने की योजना है।
उसके बाद उनका अंतिम संस्कार बुलंदशहर जनपद के नरौरा में किया जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर रविवार शाम को प्रभारी मंत्री सुरेश राणा एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन ने अहिल्याबाई होल्कर स्टेडियम, अतरौली गेस्ट हाउस और मढ़ौली -कल्याण सिंह का गांव एवं घर- से लेकर नरौरा तक सड़क मार्ग का निरीक्षण किया। मढ़ौली में वाहनों का काफिला ले जाने एवं निकालने में कुछ दिक्कत हो सकती है।
पार्थिव शरीर को कुछ समय के लिए अतरौली गेस्ट हाउस में रखने पर भी विचार किया जा रहा है। परिजनों से बातचीत के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अतरौली गेस्ट हाउस के पास हैलीपैड भी बन रहा है। देर रात प्रभारी मंत्री सुरेश राणा नरौरा पहुंच गए हैं और वहां की व्यवस्थाओं को देख रहे हैं। सुरेश राणा ने बताया कि उनकी उम्र 50 साल की है और पिछले 30 साल से कल्याण सिंह के संपर्क में है। मेरे जैसे पता नहीं कितने लोग उनसे प्रेरणा लेते रहे हैं। उनके जाने से देश की राजनीति बड़ा नुकसान हुआ है।