Home छत्तीसगढ़ जमानत खारिज…नाली भ्रष्टाचार मामलें में तत्कालीन CMO विकास पाटले की जमानत खारिज…शासन...

जमानत खारिज…नाली भ्रष्टाचार मामलें में तत्कालीन CMO विकास पाटले की जमानत खारिज…शासन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक स्वतंत्र तिवारी ने की पैरवी…

57
0

मुंगेली/ मुंगेली नगर पालिका भ्रष्टाचार के लिए पूरे प्रदेश में चर्चित हैं। अभी हाल ही में कागज में नाली निर्माण कर किये गए भुगतान मामले में सिटी कोतवाली में नपा अध्यक्ष, तत्कालीन CMO सहित 6 लोगों के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया था जिसमें आईपीसी की धारा 420, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था, मामले में विवेचना के दौरान आरोपियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 120(B), 409, 467,468 और 471 जोड़ा गया। नाली निर्माण में किये गए धांधली और भ्रष्टाचार की शिकायत कलेक्टर से किया गया था, जिसके बाद कलेक्टर द्वारा SDM को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया, SDM द्वारा मामले की सूक्ष्मता से जांच किया और अंतरिम और अंतिम रिपोर्ट कलेक्टर को प्रेषित किया गया, जांच रिपोर्ट में नाली निर्माण हुए बिना राशि आहरित किये जाने की पुष्टि हुई, भ्रष्टाचार होना पाया गया।
जिसके बाद कलेक्टर ने दिनांक 20.07.2021 को CMO को लिखित आदेश देते हुए भ्रष्टाचार में संलिप्त नगर पालिका अध्यक्ष संतुलाल सोनकर, तत्कालीन सीएमओ विकास पाटले, जोयस तिग्गा, सियाराम साहू, आंनद निषाद, सोफिया कंट्रक्शन के प्रोपाइटर ठेकेदार सहित 6 लोगों के खिलाफ थाने में आपराधिक प्रकरण दर्ज करने कहा गया।
मामले के आरोपी तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी विकास पाटले द्वारा मुंगेली जिला एवं सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत आवेदन अधिवक्ता के माध्यम लगाया गया था, कल अग्रिम जमानत पर अपर जिला एवं सत्र न्यायालय में काफी लंबी बहस हुई। आज अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रबोध टोप्पो ने मामले के आरोपी तत्कालीन CMO की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। मामलें में अतिरिक्त लोक अभियोजक स्वतंत्र तिवारी ने शासन की ओर से पैरवी की।

मामलें में अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि “आवेदक/अभियुक्त के विरूद्ध IPC की धारा 420, 120 (बी), 409, 467, 468, 471 के अतंर्गत सहअभियुक्तगण के साथ मिलकर करीब 300 मीटर नाली निर्माण वित्तीय अनियमितता जो कि 13,21,818 रूपये शासकीय रकम मुख्य नगर पालिका अधिकारी के पद पर पदस्थ होते हुये रकम गबन कर धोखाधड़ी करने का आरोप है, जो कि गंभीर प्रकृति का अपराध है, अभियोजन के अनुसार अभियुक्त प्रकरण का मुख्य आरोपी है। प्रकरण विवेचना स्तर पर है। यदि अभियुक्त को जमानत का लाभ दिया जाता है तो निश्चित रूप से प्रार्थी एवं साक्षियों को प्रभावित करने से इंकार नहीं किया जा सकता।” अतः प्रकरण के समस्त तथ्यों एवं परस्थितियों पर विचार करते हुए अभियुक्त विकास पाटले की ओर से प्रस्तुत प्रथम अग्रिम जमानत आवेदन निरस्त कर दिया गया।
इसी मामले से जुड़े तीन अन्य आरोपियों की जमानत पहले ही इसी न्यायालय द्वारा खारिज की जा चुकी हैं।