चंडीगढ़
आम आदमी पार्टी की ईमानदार सरकार में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के अफसरों ने पंजाब के 49 शहरों के मास्टर प्लान बनाने का टेंडर चहेती कंपनियों को 20 करोड़ रुपए ज्यादा में देने की तैयारी कर ली है। इसके लिए टाउन प्लानिंग ने गलती कर दी। टेन्डर खोलने से पहले समय सीमा बढ़ाई जानी थी। लेकिन. अफसर अब दूसरी गलती कर अन्य फर्मों को बाहर करने की तैयारी कर रहे हैं। खासखबर डॉट कॉम पहले ही खुलासा कर चुका है कि पंजाब सरकार में 49 शहरों के मास्टर प्लान बनाए जाने को लेकर भ्रष्टाचार की पटकथा लिखी जा रही है। दरअसल, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के अफसर इन टेंडरों को 6 महीने यानि मई-2023 से लेकर बैठे रहे। अब जब इन टेंडर की 6 माह की अवधि पूरी होने जा रही है तो अब टेन्डर खोलने के बाद टेंडर में पार्टिसिपेट करने वाली अन्य कंपनियों से एक्सटेंशन की अनुमति मांग रहे हैं। अन्य कंपनियां एक्सटेंशन देने से इसलिए आनाकानी कर रही हैं, क्योंकि उनके साथ क्वालिफाई करने के लिए दिए गए अंकों की डिटेल सांझा नहीं की है। ऐसे में अगर अन्य कंपनियों की एक्सटेंशन की कंसेंट नहीं मिलती है तो टेन्डर की फाइनेंशियल बिड खोलना नियम विरुद्ध माना जाएगा। यह रोचक है कि जिन चहेती कंपनियों को वर्क ऑर्डर दिया जाना है, उन्हें पहले ही अफसरों ने सर्वाधिक 94 से 96 अंक दिए हुए हैं। ऐसे में अब बाकी कंपनियां एक्सटेंशन की सहमति नहीं दे रही, इसलिए सारा टेंडर खटाई में पड़ गया है। दरअसल, पिछली कांग्रेस सरकार के समय साल 2021 में पंजाब के 51 शहरों के मास्टर प्लान बनाने के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे।
लेकिन, जैसे ही पंजाब में सत्ता परिवर्तन हुआ और आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो शिकायतों के आधार पर अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत के कारण उन टेंडरों को निरस्त कर दिया गया था। तब यह माना गया था कि इस टेंडर में भ्रष्टाचार की बू आ रही है। इसके करीब 2 साल बाद यानि जून, 2023 में फिर से 49 शहरों के मास्टर प्लान बनवाने के लिए 7 अलग-अलग जोन बनाकर टेंडर आमंत्रित किए गए। इस टेंडर की प्रक्रिया जुलाई, 2023 में ही पूरी कर ली गई थी। लेकिन, पंजाब के अफसर करीब 5 माह तक कंसल्टेंट फर्मों के आने का इंतजार करते रहे। ताकि पता चल सके कि कौन सी फर्म अधिकतम सुविधा शुल्क दे सकती है। आखिर, 5 माह बाद जनवरी, 2024 में इसका तकनीकी योग्यता परिणाम घोषित कर दिया गया। इस तकनीकी योग्यता में आश्चर्यजनक रूप से 11 फर्मों को इस प्रकार से योग्य घोषित किया कि आईडेक, डीडीएफ, मार्स प्लानिंग को 100 में से 94 से 96 तक अंक दिए गए। बाकी फर्मों को 74 से 84 अंक दिए गए। इस तरह 10 नंबर के अंतर का वित्तीय प्रभाव इतना ज्यादा होगा कि अगर ज्यादा अंक लेने वाली फर्मों ने टेंडर में यदि दर 20 करोड़ रुपए ज्यादा डाली है तो भी टेंडर उन्हें ही मिलना तय है।
बाकी फर्मों ने मांगी तकनीकी योग्यता की डिटेल :
मास्टर प्लान के टेंडर में घोटाले की आशंका को देखते हुए अब बाकी फर्मों ने तकनीकी योग्यता के अंकों वाली डिटेल मांगनी शुरू कर दी है। क्योंकि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के अफसरों ने जानबूझकर यह डिटेल ओपन नहीं की है। इतने सरल दस्तावेज पोर्टल पर भी अपलोड नहीं किए हैं। इसलिए इस टेंडर में ज़बर्दस्त पारदर्शिता का अभाव नजर आ रहा है। क्योंकि एक फर्म को तीनों ही क्लस्टर में 95 अंक दे डाले हैं। तीन क्लस्टर में समान अंक मिलना संदेहजनक होने के साथ ही अफसरों की मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
अफसरों ने टाली वित्तीय निविदा खोलने की तारीखः
इधर, मास्टर प्लान के टेंडर में गड़बड़ियों का लेकर शोर-शराबे को देखते हुए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के अफसरों ने वित्तीय निविदा खोले जाने की तारीख आगामी आदेश तक टाल दी है। पहले यह निविदा 3 जनवरी, 2024 को खोली जानी थी। कुछ फर्मों ने इसकी शिकायत विजिलेंस और सीबीआई को भी भेजी है। इसमें कहा गया है कि पंजाब जहां एक ओर भारी वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा है, वहीं मास्टर प्लान टेंडर के लिए 20 करोड़ रुपए तक की ज्यादा राशि देना वित्तीय प्रावधानों का उल्लंघन है। भगवंत मान सरकार को जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा इस तरह बर्बाद करने से बचाना चाहिए।