नई दिल्ली
भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र, बिहार और बंगाल जैसे राज्यों को 2019 के मुकाबले कठिन बताया जा रहा है। महाराष्ट्र और बिहार में उसका शिवसेना एवं जेडीयू से गठबंधन टूट गया है। ऐसे में दोनों राज्यों में भाजपा के लिए थोड़ी मुश्किल मानी जा रही है। यही वजह है कि भाजपा के रणनीतिकार यहां होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई साउथ इंडिया से करने में जुट गए हैं। चुनावी तैयारियों को लेकर हुई भाजपा की मीटिंग में दक्षिण भारत के राज्यों से 40 से 50 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया गया है। यह टारगेट 5 साल पहले के मुकाबले लगभग डबल का है।
2019 में तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक समेत साउथ के 5 राज्यों से भाजपना को सिर्फ 29 सीटें ही मिली थीं। इनमें भी 25 सीटें अकेले कर्नाटक से और 4 तेलंगाना से मिली थीं। वहीं आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु में उसका खाता भी नहीं खुल पाया था। ऐसे में अब भाजपा कैसे पिछले टारगेट से आगे निकल सकेगी, यह देखना होगा। बता दें कि कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए लोकसभा इलेक्शन में 2019 के प्रदर्शन को दोहराना चुनौती होगा।
इसका जवाब देते हुए भाजपा सूत्रों ने कहा कि पार्टी कर्नाटक में जेडीएस के साथ उतर रही है, जिससे उसकी ताकत बढ़ेगी। इसके अलावा तमिलनाडु से पीएम नरेंद्र मोदी ने अभियान शुरू कर ही दिया है। मंगलवार को ही पीएम मोदी ने यहां 20 हजार करोड़ की परियोजनाओं की लॉन्चिंग की थी। अब बुधवार को वह केरल के त्रिशूर में एक बड़ी रैली और रोड शो करने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि भाजपा साउथ में केरल और तमिलनाडु पर फोकस कर रही है और इसके लिए बड़े चेहरे भी उतारे जा सकते हैं। चर्चा तो यहां तक है कि राज्यसभा से आने वाले निर्मला सीतारमण और एस. जयशंकर जैसे मंत्रियों को भी उतारा जा सकता है।
दरअसल भाजपा को लेकर कांग्रेस यह कहती रही है कि उसकी साउथ में मौजूदगी नहीं है। वह नॉर्थ और पश्चिम भारत में ही मजबूत है। पीएम मोदी की भी लगातार यह इच्छा रही है कि तमिलनाडु, केरल, आंध्र जैसे राज्यों में भी पार्टी मजबूत हो। इसी कड़ी मं अब भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है। यूं भी भाजपा ने 400 पार का टारगेट तय किया है और यह साउथ इंडिया से बड़े समर्थन के बिना संभव नहीं है। भाजपा के एक नेता ने कहा कि हमें अब तमिलनाडु और केरल में खाता खुलने की उम्मीद है।