मुंगेली/ प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जो योजना की शुरुआत की हैं वह कुछ अधिकारियों की लापरवाही व चूक की वजह से विवादों में घिरती नजर आ रही हैं। आज दिनांक 3 जून को मुंगेली में नवनिर्मित स्वामी आत्मानंद शासकीय इंग्लिश स्कूल मुंगेली का वर्चुअल उद्घाटन होना हैं, जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा जिले के स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल का आज 03 जून को शाम 06 बजे वर्चुअल लोकार्पण किया जाएगा। वर्चुअल लोकार्पण में पंचायत एवं ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के मंत्री टी.एस सिंह देव की अध्यक्षता में होगी। जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग के डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, नेता प्रतिपक्ष विधानसभा एवं बिल्हा क्षेत्र के विधायक धरमलाल कौशिक, बिलासपुर सांसद अरूण साव, मुंगेली विधानसभा क्षेत्र के विधायक पुन्नूलाल मोहले, लोरमी विधानसभा क्षेत्र के विधायक धरमजीत सिंह, छ.ग. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष थानेश्वर साहू, जिला पंचायत के अध्यक्ष श्रीमती लेखनी सोनू चंद्राकर, नगर पालिका मुंगेली के अध्यक्ष संतुलाल सोनकर, जिला पंचायत के उपाध्यक्ष संजीत बनर्जी विशिष्ठ आतिथ्य के रूप में शामिल होंगे। कलेक्टर पी.एस एल्मा ने जनप्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों और मिडिया के प्रतिनिधियों को वर्चुअल लोकार्पण कार्यक्रम हेतु निर्धारित स्थान और समय पर उपस्थित होने का आग्रह किया है।
आपको बता दे कि जिले में अधिकतर होने वाले उद्घाटनों में उस वार्ड के जनप्रतिनिधियों को भी अतिथि का दर्जा दिया जाता हैं और उन्हें ससम्मान अतिथि बनाकर कार्ड में उनका नाम उल्लेख किया जाता हैं परंतु दाऊपारा स्थित इंग्लिश मीडियम स्कूल के उद्घाटन में वार्ड पार्षद की अनदेखी/उपेक्षा की गई हैं, जिससे कि सम्बंधित पार्टी एवं अन्य जनप्रतिनिधियों में नाराजगी देखी गई। नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों ने कहा कि यह स्कूल उद्घाटन से पहले ही विवादों में घिरता नजर आ रहा हैं। कही ऐसा तो नहीं उद्घाटन का कार्यक्रम एक तरह से विवादों में लाने किसी अधिकारी या कर्मचारी की चाल तो नहीं, ऐसे कई प्रश्न जनता ,नेताओं और जनप्रतिनिधियों के मन में उठ रही हैं ? हालांकि विपक्षी दल के जनप्रतिनिधियों को मंच में जगह दिया गया हैं पर जिस वार्ड में यह स्कूल बना हुआ हैं वहां के पार्षद की उपेक्षा करने से शहर में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। बहरहाल अब देखना होगा कि पार्षद की उपेक्षा मामले को लेकर भाजपा के जनप्रतिनिधि जो अतिथि हैं उनके द्वारा विरोध किया जाता हैं या मंच में उपस्थिति देकर अपनी मंचीय आतिथ्य महत्वकांक्षा को पूरा किया जाता हैं, हालांकि ये उनके पार्टी का मामला हैं, पर लोगों के कथनानुसार इस मामले पर उन्हें विचार करने की आवश्यकता है।
इस मामले में कबीर वार्ड के पार्षद रूपेश भारद्वाज ने कहा कि प्रोटोकॉल के हिसाब से वार्ड का प्रथम नागरिक होने के नाते मेरे नाम को अतिथि के रूप में निमंत्रण कार्ड में शामिल करना था,चूंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और मै भाजपा से निर्वाचित पार्षद हूँ इस वजह से जानबूझकर मेरी उपेक्षा की गई है जिसकी मै निंदा करता हूँ।
भाजपा के जिलाध्यक्ष शैलेश पाठक ने कहा कि वार्ड का पार्षद उस वार्ड का प्रथम नागरिक होता है, लेकिन कांग्रेस की सरकार में जिस तरह से राजनीति करते हुए जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा की जा रही है ये सही नही है, पहले भी भाजपा के शासनकाल में पक्ष और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों को मंच प्रदान किया जाता रहा है, लेकिन जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आयी है जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा करते हुए हर शासकीय कार्यक्रम का कांग्रेसीकरण किया जाता है जो उचित नही है।
जिले के कलेक्टर पी एस एल्मा ने कहाकि प्रोटोकाल का एक सीमा तय होता है जिसके तहत अतिथियों का चयन करते हुए नामों को शामिल किया जाता है, नगर पालिका क्षेत्र के कार्यक्रम होने के नाते नगर के प्रथम नागरिक का नाम निमंत्रण कार्ड में शामिल करते हुए उन्हें अतिथि बनाया गया है, इसमें किसी की उपेक्षा नही की गई है।