हवाई अड्डों पर यात्रियों के कुशल प्रबंधन के लिए उठाए गए कदम : सिंधिया
नई दिल्ली
नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हवाई अड्डों पर भीड़भाड़ से निपटने के लिए पिछले साल की तुलना में कार्यबल बढ़ाने सहित एक्स-रे मशीन, प्रस्थान प्रवेश द्वार, चेक-इन काउंटर तथा आव्रजन काउंटर बढ़ाए गए हैं।
एक्स-रे बैगेज इंस्पेक्शन सिस्टम (एक्सबीआईएस) की संख्या में सालाना आधार पर 33 प्रतिशत और एएआई हवाई अड्डों पर 49 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
मंत्री ने कहा कि इस वर्ष 12 दिसंबर तक संयुक्त उद्यम हवाई अड्डों पर सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) कर्मियों की संख्या भी 19 प्रतिशत बढ़ाकर 19,760 कर दी गई है। 12 दिसंबर 2022 तक कर्मियों की संख्या 16,572 थी।
सिंधिया ने कहा कि एएआई (भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण) हवाई अड्डों पर सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती 27 प्रतिशत बढ़कर 4,973 हो गई है। 12 दिसंबर 2022 तक कर्मियों की संख्या 3,915 थी।
मंत्री ने कहा कि घरेलू यात्री यात्रियों की संख्या प्रतिदिन 4.67 लाख को पार करने के बावजूद दिसंबर 2022 की तुलना में भीड़भाड़ की कोई बड़ी खबर नहीं आई। दिसंबर 2022 में प्रति दिन करीब चार लाख लोग यात्रा कर रहे थे।
गुजरात की सेमीकंडक्टर नीति वैश्विक कंपनियों को कर रही है आकर्षित : राज्य सरकार
अहमदाबाद
चिप निर्माता कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी का अहमदाबाद के पास साणंद में 2.75 अरब डॉलर का संयंत्र स्थापित करने का निर्णय गुजरात की सेमीकंडक्टर नीति की सफलता को दर्शाता है।
राज्य सरकार ने यह बात कही।
गुजरात ने पिछले साल जुलाई में राज्य में परिचालन शुरू करने के लिए प्रोत्साहन तथा सब्सिडी की पेशकश करके सेमीकंडक्टर क्षेत्र में नए निवेश आकर्षित करने के लिए एक नीति की घोषणा की थी।
सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने ‘गुजरात सेमीकंडक्टर नीति’ को पेश किया, जो 2027 तक लागू रहेगी। इस नीति को क्षेत्र में नई परियोजनाओं को आकर्षित करने तथा उन्हें सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्र के 'भारत सेमीकंडक्टर मिशन' के अनुरूप तैयार किया गया है।
नीति के तहत, राज्य सरकार अहमदाबाद के पास 'धोलेरा सेमीकॉन सिटी' स्थापित करेगी। वहां पात्र परियोजनाओं को विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए सब्सिडी दी जाएगी।
यह घोषणा अगले महीने राज्य के 'वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल इन्वेस्टर समिट' से पहले की गई है।
विज्ञप्ति में राज्य सरकार ने कहा कि सुविधा में पात्र परियोजनाओं को विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए 200 एकड़ भूमि की पहली खरीद पर 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। पात्र परियोजनाओं को पहले पांच वर्षों के लिए 12 रुपये प्रति घन मीटर की दर से पानी उपलब्ध कराया जाएगा। उन्हें उत्पादन शुरू होने के पहले 10 वर्षों के लिए बिजली दो रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी पर मिलेगी।
मुख्यमंत्री पटेल ने हाल ही में राज्य के सेमीकंडक्टर उद्योग को वैश्विक स्तर पर ले जाने में 'वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट' के प्रभाव को रेखांकित किया था।
उन्होंने कहा था, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अक्सर कहते हैं कि गुजरात व्यापार तथा परंपरा, वाणिज्य तथा संस्कृति और उद्योग तथा उद्यमिता का संयोजन है। गुजरात की इस छवि को प्रधानमंत्री ने 'वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट' के जरिए एक वैश्विक मंच प्रदान किया है।
विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही है: हरदीप सिंह पुरी
नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि सरकार ने कई परियोजनाओं पर नजर रखकर विकास को बढ़ावा देने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2014 के बाद से, उससे पहले के 10 वर्षों की तुलना में दोगुने उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था अब आठ अरब डॉलर की है और इसमें 45,000 लोग काम करते हैं।
पुरी ने भरोसा जताया कि यह क्षेत्र अगले 15 साल में 100 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा और इसकी वैश्विक हिस्सेदारी मौजूदा दो प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत हो जाएगी।
पुरी ने शहरी विकास, बुनियादी ढांचा कार्य और मनरेगा से जुड़ी कई परियोजनाओं पर नजर रखने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को श्रेय दिया और कहा कि इससे विकास को बढ़ावा मिला है।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के खुलने से इस क्षेत्र में 195 स्टार्टअप शुरू हुए हैं और भारतीय उपग्रह विनिर्माण एक साल में 3.2 अरब डॉलर का हो गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अब एंड-टू-एंड तकनीक के साथ अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले देशों में पांचवें स्थान पर है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने के अपने मिशन में सफल होगा।
उन्होंने कहा कि रूस के असफल चंद्र मिशन की लागत 16,000 करोड़ रुपये से अधिक थी जबकि भारत के सफल चंद्रयान मिशन की लागत केवल 600 करोड़ रुपये थी।