मुंगेली/ मुंगेली में यह पहला मामला नहीं कि जब किसी मामले या प्रकरण की फाइल गायब हुई हैं, लेकिन यह बात गंभीर इसलिये हैं क्योंकि 2021 का और वह भी सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि तालाब के मेड़ का नियम विरुद्ध किया गया डायवर्सन मामले, प्रकरण की फाइल यदि एसडीएम कार्यालय से गायब हैं तो इसमें संदेह होने स्वाभाविक हैं। बकायदा मुंगेली तहसील कार्यालय और जिला कार्यालय के नकल शाखा से उक्त मामले की नकल मांगी गई, वहां से यह लिखकर दे दिया गया कि प्रकरण कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं।
आपको बता दे कि मुंगेली के शंकर वार्ड स्थित शंकर मंदिर के बगल में स्थित तालाब पार, मेड़ के एक खसरे का 2021 में डायवर्सन कर दिया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने मुंगेली में स्थित खसरा नम्बर 722/36 (शामिल 722/37) रकबा 0.012 हेक्टेयर क्षेत्रफल 1530 वर्गफुट का व्यावसायिक प्रयोजन हेतु दिनांक 19/01/2021 को आदेश पारित कर डायवर्सन कर दिया गया। जानकर बताते हैं कि जो इस खसरे नम्बर का डायवर्सन तत्कालीन एसडीएम द्वारा किया गया हैं वह खसरा तालाब का मेड़, पार हैं, और छत्तीसगढ़ भूराजस्व संहिता 1959 की धारा 172 (14) (4) में स्पष्ट उपबन्धित हैं कि वह भूमि जो तालाब, नदी, नाला, झील के जल भराव के अंतर्गत आने वाली भूमि या पगडण्डी या कब्रिस्तान या ग्राम के तालाब के अंतर्गत धारित भूमि भले ही उनका ग्राम के राजस्व नक्शों या राजस्व अभिलेख में कोई विवरण न हो, उसके व्यपवर्तन की अनुमति नहीं दी जायेगी।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भी तालाबों के संरक्षण के लिए फैसला दिया हैं। जल संरक्षण के लिए जलाशयों को बचाने के लिए शासन-प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ती है, इनमें अवैध कब्जे के मामले जिस गति से बढ़ रहे थे, उससे तालाबों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं, सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी अधिकारियों ने दरकिनार कर दिया हैं।
मुंगेली शंकर मंदिर तालाब स्थित भूमि खसरा नंबर 722/36 (शामिल 722/37) रकबा 0.012 हेक्टेयर क्षेत्रफल 1530 वर्गफुट का व्यवसायिक, प्रयोजन के उद्देश्य से व्यपवर्तन करने पर अब व्यपवर्तन करने वाले एसडीएम के खिलाफ शिकायत भी हो चुकी हैं क्योंकि उनके द्वारा भूराजस्व सहिंता के नियमों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश-आदेश की अवहेलना कर इस तालाब के मेड़ का डायवर्सन किया गया।
उक्त खसरे में नियम विरुद्ध डायवर्सन के साथ साथ तालाब पार में बिना अनुमति के अवैध निर्माण भी किया जा रहा, जिसे नगर पालिका और जिला प्रशासन रोकने नाकाम हैं।