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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हुए छठ पूजा के मुरीद , बोले- यह राष्ट्रीय पर्व बन गया है

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नई दिल्ली
नहाय-खाय के साथ आज छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। कल खरना होगा। इसके अगले दिन संध्याकालीन अर्घ्य और उसकी अगली सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसके मुरीद हैं। उन्होंने आज बीजेपी के दिवाली मिलन कार्यक्रम के दौरान इसकी सराहना की। पीएम मोदी ने कहा, 'छठ राष्ट्रीय पर्व बन गया है। यह बहुत खुशी की बात है।' यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने इस महापर्व की सराहना की है। इससे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था उगते हुए सूर्य की पूजा तो सभी करते हैं, लेकिन डूबते हुए सूर्य की पूजा सिर्फ छठ के दौरान होती है।

छठ पर्व की पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी के सूर्यास्त और सप्तमी के सूर्योदय के मध्य वेदमाता गायत्री का जन्म हुआ था। प्रकृति के षष्ठ अंश से उत्पन्न षष्ठी माता बालकों की रक्षा करने वाले वष्णिु भगवान द्वारा रची माया हैं। बालक के जन्म के छठे दिन छठी मैया की पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे बच्चे के ग्रह-गोचर शांत हो जाएं और जिंदगी मे किसी प्रकार का कष्ट नहीं आए। इस मान्यता के तहत ही इस तिथि को षष्ठी देवी का व्रत होने लगा। छठ पूजा की धार्मिक मान्यताएं भी और सामाजिक महत्व भी है लेकिन इस पर्व की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें भेदभाव, ऊंच-नीच, जात-पात भूलकर सभी एक साथ इसे मनाते हैं। किसी भी लोक परंपरा में ऐसा नहीं है।

सूर्य जो रौशनी और जीवन के प्रमुख स्रोत हैं और ईश्वर के रूप में जो रोज सुबह दिखाई देते हैं उनकी उपासना की जाती है। इस महापर्व में शुद्धता और स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा जाता है और कहते हैं कि इस पूजा में कोई गलती हो तो तुरंत क्षमा याचना करनी चाहिए वरना तुरंत सजा भी मिल जाती है। सबसे बड़ी बात है कि यह पर्व सबको एक सूत्र में पिरोने का काम करता है। इस पर्व में अमीर-गरीब, बड़े-छोटे का भेद मिट जाता है। सब एक समान एक ही विधि से भगवान की पूजा करते हैं। अमीर हो वो भी मट्टिी के चूल्हे पर ही प्रसाद बनाता है और गरीब भी, सब एक साथ गंगा तट पर एक जैसे दिखते हैं।बांस के बने सूप में ही अर्घ्य दिया जाता है। प्रसाद भी एक जैसा ही और गंगा और भगवान भास्कर सबके लिए एक जैसे हैं।