राजनांदगांव.
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर पहले चरण में 7 नवंबर को 20 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण जिला राजनांदगांव है, जहां से कुल 90 सीटों में से 4 विधानसभा और एक लोकसभा सीट आती हैं। इनमें राजनांदगांव, डोंगरगढ़, डोंगरगांव और खुज्जी विधानसभा शामिल हैं। राजनांदगांव छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला है। शुरू से ही वीआईपी जिले के रूप में प्रसिद्ध राजनांदगांव इसलिए और प्रमुख हो जाता है क्योंकि छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक बीजेपी सरकार में सीएम रहे डॉ. रमन सिंह का यह विधानसभा क्षेत्र है।
यह जिला संस्कारधानी होने के साथ ही पत्रकाकरिता जगत में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। अविभाजित मध्य प्रदेश में भी राजनांदगांव जिला महत्वपूर्ण सियासी स्थान रखता था। राजनांदगांव जिले का क्षेत्रफल 8022.55 वर्ग किलोमीटर है। इसके साथ ही जिले का साक्षरता प्रतिशत 78.46 है। जिले में 4 ब्लॉक राजनांदगांव, डोंगरगांव, छुरिया और डोंगरगढ़ आते हैं।
क्या कहता है राजनांदगांव जिले का जातीय समीकरण?
इस जिले में पिछड़ा वर्ग में साहू समाज की अच्छी खासी आबादी है। यही मतदाता हार जीत का आंकड़ा तय में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक आबादी पिछड़ा वर्ग की है, जिसमें साहू, लोधी, यादव और अन्य शामिल हैं। इसके साथ ही सामान्य वर्ग की भी आबादी अच्छी खासी है। इसी वजह से राजनीतिक पार्टियां ओबीसी फैक्टर को ध्यान में रखकर चुनाव लड़ती हैं। समाज से जुड़े लोगों को देखते हुए रणनीति तैयार करती हैं, जिसका सीधा फायदा प्रत्याशी को मिलता है। राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में अधिकतर आबादी शहरी है। इस कारण शहरी क्षेत्र में पार्टियों का फोकस रहता है। इस विधानसभा सीट में एक बड़ी आबादी ओबीसी की है इसलिए ओबीसी वोटर्स को साधने का काम राजनीतिक पार्टियां करने में लगी हैं। राजनांदगांव विधानसभा सीट में जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सामान्य,ओबीसी फैक्टर हावी है। यही जीत तय करते हैं।
राजनांदगांव जिले में स्थानीय मुद्दे
स्थानीय मुद्दों की बात करें तो शिक्षा, रोजगार और मूलभूत सुविधाओं को लेकर मतदान मतदाता इस बार भी मतदान करेंगे। विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे भी यहां प्रमुख रहेंगे। जिसमें राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में भाजपा शासनकाल में हुए कई निर्माण कार्य जो कि अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं। जिले में युवाओं को रोजगार देने के लिए एक भी बड़ा उद्योग नहीं है। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में उद्योगों की स्थापना और युवाओं को रोजगार के मुद्दे को लेकर सरकार में आई थी। राजनांदगांव विधानसभा में भी रोजगार और उद्योगों की स्थापना सहित अधूरे पड़े निर्माण कार्य को पूर्ण करना ही इस विधानसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दा रहेगा, जिसको लेकर जनता वोट करेगी। इस बार भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर नजर आएगी।
राजनांदगांव जिले की 4 विधानसभा सीटों का सियासी समीकरण ———–
राजनांदगांव: इस सीट से इस बार बीजेपी प्रत्याशी रमन सिंह के सामने कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश देवांगन चुनाव लड़ रहे हैं। राजनांदगांव विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं की संख्या 211407 है, जिसमें पुरुष 103705, महिला 107700 और थर्ड जेंडर 2 मतदाता 2 हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह इस विधानसभा सीट से लगातार तीन बार से विधायक हैं। 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सीट पर कब्जा किया। इस कारण इस सीट में बीजेपी की मजबूत पकड़ है। कांग्रेस भी इस को जीतने लगातार प्रयास कर रही है। 2018 के विधानसभा चुनाव में पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी की भांजी करुणा शुक्ला कांग्रेस से राजनांदगांव विधानसभा सीट से प्रत्याशी थीं और रमन सिंह को कड़ी टक्कर दी थीं। पूर्व मुख्यमंत्री महज 17000 वोटों के अंतर से ही जीत पाए थे। इस बार भी कांग्रेस पूरी तैयारी के साथ चुनावी रण में है। राजनांदगांव विधानसभा सीट बीजेपी का अभेद किला माना जाता है। कांग्रेस प्रत्याशी और किसान नेता गिरीश देवांगन नए चेहरे हैं। वो एक रणनीति के तहत चुनाव लड़ रहे हैं। यहां बीजेपी मजबूत स्थिति में है। वहीं कांग्रेस मजबूती के साथ लड़ती हुई दिख रही है।
डोंगरगढ़: इस सीट से इस बार बीजेपी प्रत्याशी विनोद खांडेकर के सामने कांग्रेस प्रत्याशी हर्षिता स्वामी बघेल चुनाव लड़ रही हैं। खांडेकर 2003 में पहली बार विधायक बने थे। वहीं हर्षिता वर्तमान में राजनांदगांव जिला पंचायत सदस्य हैं। यहां कुल मतदाता 209648 हैं, जिसमें पुरुष 105600 , महिला 104044 और ट्रांस जेंडर 4 हैं। यह सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। साल 2018 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के भुनेश्वर बघेल ने बाजी मारी थी। उनके मुकाबले में भाजपा की तरफ से सरोजनी बंजारे को टिकट दिया गया था। कांग्रेस चुनावी लड़ाई को एकतरफा बनाते हुए 35 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीती थी। भाजपा को महज 51 हजार वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस को 86 हजार से अधिक वोट मिले थे।
डोंगरगांव: इस सीट से इस बार बीजेपी प्रत्याशी भरतलाल वर्मा के सामने कांग्रेस प्रत्याशी दिलेश्वर साहू चुनाव लड़ रहे हैं। भरतलाल पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। वे वर्तमान में बीजेपी ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। वहीं दिलेश्वर साहू दूसरी बार के विधायक हैं। यहां कुल मतदाता 202631 हैं, जिसमें पुरुष मतदाता 101976 महिला 100655 और ट्रांस जेंडर 0 हैं। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों का पर वर्चस्व रहा है। पिछले दो विधानसभा चुनावों से कांग्रेस प्रत्याशी जीतते आ रहे हैं। बीजेपी ने इस बार कमर कस ली है और इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर देखी जा रही है। साल 2018 में कांग्रेस के दिलेश्वर साहू को 84,581 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी के मधुसूदन यादव को 65498 ही मत मिल थे।
खुज्जी: इस सीट से इस बार बीजेपी प्रत्याशी गीता घासी साहू के सामने कांग्रेस प्रत्याशी भोलाराम साहू चुनाव लड़ रहे हैं। गीता साहू पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। वह जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। वहीं भोलाराम 2008 में विधायक रह चुके हैं और 2019 में सांसदी का चुनाव लड़े थे पर हार गए। खुज्जी विधानसभा में कुल मतदाता 191267 हैं, जिसमें पुरुष 95042, महिला मतदाता 96228 है। खुज्जी विधानसभा सीट कांग्रेस की गढ़ मानी जाती है। पिछले तीन चुनाव कांग्रेस के प्रत्याशी ही जीतते आ रहे हैं। इस वजह से ये कांग्रेस की महत्वपूर्ण सीट है। वर्तमान में इस सीट से कांग्रेस की छन्नी साहू विधायक हैं।
राजनांदगांव जिले में 4 विधानसभा सीटें-
राजनांदगांव
डोगरगढ़
डोगरगांव
खुज्जी
राजनांदगांव की वीआईपी सीट पर इन प्रत्याशियों में कड़ा मुकाबला
बीजेपी प्रत्याशी रमन सिंह के सामने कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश देवांगन
जानें राजनांदगांव जिले की 4 सीटों पर कौन मजबूत, कौन कमजोर
फिलहाल, बीजेपी 2 सीटों पर मजबूत दिखाई दे रही है। यानी इन सीटों पर वह आगे है जबकि कांग्रेस 2 सीट पर मजबूत स्थिति में दिख रही है। बाकी अन्य राजनीतिक पार्टियां भी चुनावी मैदान में हैं, लेकिन वो वोटकटवा मात्र साबित होती दिख रही हैं।
ये है चुनावी कार्यक्रम
इस साल छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे। 7 नवंबर को पहला चरण और 17 नवंबर को दूसरे चरण में चुनाव कराए जाएंगे। वहीं 3 दिसंबर को मतगणना होगी।