जनमानस का भरोसा जीतने में गरियाबंद पुलिस हो रहीं हैं सफल।
जिले में अबैधानिक कार्यो व हीरा व गांजा तस्करों पर कर कर रहीं हैं ताबड़तोड़ कार्यवाही
जिले में हीरा तस्कर व गांजा तस्करों पर कर रही हैं ताबड़तोड़ कार्यवाही
गरियाबंद। पुलिस ये शब्द सुनते ही दिमाग अपने अपने ढंग से सोचना शुरू करता है। कोई बुरा आदमी होगा तो डरेगा, कोई किसी मुसीबत में होगा तो उसमें होंसला जगेगा, अगर हमारी माँ-बहन किसी सुनसान सड़क पर सुनेगी तो उसमें हिम्मत जुटेगी। ये सिर्फ एक शब्द का कमाल है जिसे हम “पुलिस” कहते हैं।समाज में पुलिस की छवि को इस प्रकार से पेश किया जाता रहा है जैसे उनके अंदर प्रेम भाव न हो और न ही समाज मे उपयोगिता जबकि सच ये है कि कई बार अपने फर्ज की कीमत अपने खून से चुकाने वाले गुमनाम योद्धा बने रहते हैं पुलिस के सैनिक। समाज में पुलिस एक रक्षक और एक पहरेदार के समान है।आज हम अपने घरों में इसलिए आराम से सो जाते हैं क्योंकि आपको भरोसा है कि पुलिस है। देश की सीमाओं की रक्षा करने के लिए जिस प्रकार हमारे सैनिक दिन रात खड़े हैं वैसे ही घर के अंदर किसी प्रकार की अनहोनी न हो उसके लिए पुलिस के सैनिक खड़े हैं। सीमाओं पर तो फिर भी लड़ाई बाहर वालो से होती है जबकि घर के अंदर अपनो से जूझना किसी चुनोती से कम नही होता। इसलिए समाज का सशक्त पहरेदार है पुलिस का सिपाही।
जनमानस का भरोसा जीतने और कानून की जानकारी देने गरियाबंद के विभिन्न थानों अन्तर्गत पुलिस ने लगाई जनचौपाल
गरियाबंद पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल निर्देशन पर जिले के वासियों की शिकायतों व सुझावों को सुनने जनचौपाल कार्यक्रम जिला के विभिन्न थानों अन्तर्गत किया गया जिससे पुलिस और जनमानस का सीधा सीधा संबंध स्थापित हो सके।जिसमे जिला के विभिन्न थाना अन्तर्गत अपने-अपने क्षेत्रों में जानकारी दी गई थी जिससे काफी संख्या में क्षेत्र के सरपंच, पंच महिला-पुरूष अपने शिकायतों एवं सुझाव लेकर उपस्थित होते रहे पुलिस चौपाल लगाने की आवश्यकता पड़ी,वह इसलिये कि मामलों का जल्द निराकरण हो सके और पुलिस के प्रति लोगों में विश्वास बढ़े,जो व्यक्ति थाना,चौकी जाने से संकोच करते हैं या फिर उनका काम समय पर वहां नहीं हुआ,वे पुलिस चौपाल में अपनी बात रखते हैं, जिसका काफी अच्छा परिणाम सामने आया है सामुदायिक पुलिसिंग के जरिये आज गरियाबंद जिला में आमजन और पुलिस के बीच बेहतर संबंध स्थापित हुआ हैं जिससे आज जिला में अपराध नियंत्रण,शांति व्यवस्था बनाने में आमजन पुलिस का सहयोग भी कर रहें हैं गरियाबंद पुलिस को आमजन का बेहतर सहयोग मिला रहा है, पूरी गरियाबंद पुलिस एक टीम की तरह कार्य कर रही है,थाने में पंजीबद्ध अपराधों का शीघ्र निकाल हो रहा है।
लोगों की समस्याएं जानने और दूरी मिटाने गरियाबंद पुलिस का जनचौपाल
पुलिस के प्रति लोगों में व्याप्त खौफ को कम करने के लिए गरियाबंद पुलिस ने जिले भर में ग्रामीण क्षेत्रों में जन चौपाल लगाकर लोगों की समस्याएं पूछते रही और मौके पर उन समस्याओं का निराकरण भी किया जा रहा गया जन चैपाल में आम लोगों को अपराधों से बचने एवं अपराधों की रोकथाम के महत्वपूर्ण सुझाव भी गरियाबंद पुलिस द्वारा दिया गया और गरियाबंद पुलिस का यह अभियान लगातार जारी हैं हालांकि इससे पहले भी आम जनता से दोस्ताना व्यवहार बनाने के लिए कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत डीयर जिंदगी, गुलाबी गैंग आदि नाम से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है
पुलिस के प्रति बढ़ रहा हैं विश्वास
आम लोगों में पुलिस के प्रति विश्वसनीयता बढ़ाने के साथ उनकी समस्याओं के त्वरित निराकरण के उद्देश्य से जन चौपाल लगाई जा रही है। इसमें आम जनता को बैंक या अन्य स्थानों से रुपये लेकर आते-जाते समय सावधान रहने के साथ-साथ बैंक एवं एटीएम संबंधी ठगी की वारदातों से बचने सुझाव दिए जा रहे हैं। डॉयल 112 के बारे में जानकारी देकर लोगों से डॉयल 112 की सेवाएं लेने प्रेरित किया जा रहा है।
झांसे में आने से बचने की दी जाती रही सलाह
आम लोगों को चिटफंड कंपनियों में रुपये जमा नहीं करने एवं इस तरह की फर्जी कंपनियों की सूचना तत्काल पुलिस को देने की अपील की जा रही है। जन चौपाल में यह बताया जाता रहा कि अज्ञात व्यक्ति द्वारा कॉल कर लॉटरी, इनाम, लोन एवं नौकरी के नाम पर रुपये मांगने पर झांसे में आने से बचें। दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट का उपयोग करने तथा दोपहिया वाहनों में तीन सवारी नहीं चलने के निर्देश दिए जा रहे हैं। लोगों को नशीली एवं मादक पदार्थों की बिक्री, जुआ, सट्टा तथा अन्य प्रकार के अपराधों पर अंकुश लगाने पुलिस को सूचना देने की अपील की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को अनिवार्य रूप से स्कूल भेजने परिजनों को समझाइश दी गई। आम जनता पुलिस को अपना मित्र समझें। किया जा चुका है। जन चैपाल में आम लोगों को अपराधों से बचने एवं अपराधों की रोकथाम के महत्वपूर्ण सुझाव दिए जा रहे हैं।
गरियाबंद पुलिस की अपराध पर अंकुश लगाना प्राथमिकता
गरियाबंद अपराधिक वारदातों व गाँजा तस्करी एवम हीरा तस्करी के कारण चर्चा में बना रहता था इसमें भी ओड़िसा प्रदेश की सीमा से सटा क्षेत्र काफी चर्चित रहता था जिस पर अंकुश लगाना गरियाबंद पुलिस के लिए चुनौती भरा काम था। हत्या,लूट जैसी घटनाओं के साथ ही सड़क दुर्घनाएं भी लगातार बढ़ रही थी। जिन पर लगाम लगाने के लिए पुलिस को एक विशेष रणनीति के तहत कार्य कर रही हैं अपराधिक वारदात पर अंकुश लगाने के साथ ही गरियाबंद पुलिस को सड़क हादसों में कमी लाने के लिए भी ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त कर ठोस उपाय भी कर रहीं हैं अपराध पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस के साथ-साथ पब्लिक को भी सजग हैं। इसके लिए पुलिस कप्तान भोजराम पटेल के निर्देश पर गरियाबंद पुलिस पब्लिक के साथ दोस्ताना संबंध बना चुकी तो दूसरी तरफ आम जनता को भी अपराधिक छवि के लोगों को उजागर कर रही हैं, और पुलिस उन पर शिकंजा भी कस रही हैं।अगर हम बात करे पुलिस कप्तान भोजराम पटेल के अब तक के गरियाबंद जिला के कार्यकाल की तो छत्तीसगढ़ के डीजी डी.एम.अवस्थी के निर्देशन व आई जी डॉक्टर आनन्द छावड़ा के मार्ग दर्शन पर गरियाबंद पुलिस के युवा व कर्तव्य निष्ठ पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने गरियाबंद जिला अन्तर्गत ताबड़तोड़ कार्यवाही को अंजाम दिया है जिसमे जिले के विभिन्न थानों पर की गई कार्यवाहीयों पर नजर डालें तो एनडीपीसी के तहत 18 प्रकरण दर्ज कर 27 आरोपियों से 585.412 किलो ग्राम गांजा जिसकी कुल कीमत 56 लाख 25 हजार चार सौ साठ रुपये हैं जिसमे 4नग कार,2 पिकअप वाहन व 9नग मोटर साईकिल जप्ती की कार्यवाही करते हुए आरोपियों को जेल का रास्ता दिखाया गया हैं, वंही माइनिंग एक्ट के तहत कुल सात से अधिक प्रकरण दर्ज कर 15 से अधिक आरोपियों से 672नग हीरा नुमा पत्थर जिसकी कुल कीमत एक करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का हीरा जप्ती सहित 3नग मोटरसाइकिल व एक कार जप्ती की कार्यवाही की गई तो वही दूसरी ओर अबैध शराब के कुल प्रकरण 269 में 302 आरोपियों पर कार्यवाही की गई जिनसे 2196.056 लीटर शराब जिसकी कीमत 4लाख 21 हजार 145 रुपये 54 नग मोटरसाइकिल व चार नग साइकल जप्त किया गया तो एक ओर वन्य जीव अधिनियम के तहत ताबड़तोड़ कारवाही करते हुये कुल पांच प्रकरण में सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया जिनके पास से 3नग तेंदुआ की खाल 2 जीवित पेंगुलीन(साल खपरी)सहित 1नग मोटरसाइकिल जप्त कर आरोपियों को जेल भेजा गया इसी तरह हत्या के 19 प्रकरण व हत्या के प्रयास के 11प्रकरण व बलात्कारी के 47 प्रकरण व सील भंग के35 प्रकरणों में त्वरित कार्यवाही करते हुए 139 लोगों विभिन्न धाराओं के तहत जेल दाखिल किया गया हैं।सांथ ही अभी बीते सप्ताह छुरा थाना अन्तर्गत अभी हाल ही में 9 लाख रूप का जरदा युक्त गुटखा की खदय विभाग के सांथ दो अन्य प्रकरण में सामूहिक कार्यवाही करते हुये दो लाख एवम 7 लाख रुपये का जरदा युक्त गुटखा बरामद किया है।
अपराध पर अंकुश के लिए गरियाबंद पुलिस निरंतर प्रयास जारी
गरियाबंद पुलिस की अपराध पर अंकुश लगाना पहली प्राथमिकता है। पुलिस अपराध पर अंकुश के लिए पूरी तरह से सतर्क है। क्षेत्र में अपराध रोकने व अपराधिक वारदात होने पर उसे सुलझाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है। पुराने अपराधियों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है,पुलिस की गश्त रात को बढ़ाई गई है। दिन में भी पीसीआर राइडर लगातार गश्त पर रहते है। इसके साथ ही सादे कपड़ों में भी पुलिस को तैनात किया गया है। बैंक व माल आदि की निगरानी बढ़ाई गई है।अगर हम बात करें हत्या जैसे अपराध का होना तो पुलिस की नाकामी नहीं कहा जा सकता। आधुनिकता के दौर में छोटी-छोटी बातों पर लोग खून बहाने से पीछे नहीं हटते, लेकिन गरियाबंद पुलिस इस तरह की वारदातों का खुलासा करने में काफी आगे है। गरियाबंद जिला में हुये हत्त्या जैसे अपराधों गरियाबंद पुलिस ने लगभग सभी प्रकरण से पर्दा उठाया दिया हैं।सांथ ही पुलिस चोरी व अन्य सामाजिक बुराई पर अंकुश के लिए पुलिस विशेष रणनीति के तहत कार्य कर रही है। वाहन चोरों पर लगाम के लिए थानों में एंटी व्हीकल थेफ्ट टीम बनाई गई है, जिसका फायदा भी हुआ है। चोरी की अधिकता वाले क्षेत्र में यह टीम विशेष निगरानी रख रही है।सड़क हादसे रोकने के लिए जीटी रोड पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। पुलिस कर्मियों की उपलब्धता के आधार पर पेट्रोलिंग व गश्त भी बढ़ाई गई है।
साइबर क्राइम पर रोक के लिए प्रयास कर रहे हैं
साइबर क्राइम पर रोक के लिए जिला स्तर पर अलग से एक टीम बनाई गई है। साइबर से जुड़े अपराधों पर अंकुश के मामले में भी गरियाबंद पुलिस काफी सजग है। इसके परिणाम भी बेहतर आए हैं। साथ ही गरियाबंद पुलिस साइबर क्राइम पर रोक के लिए लगातार जागरूकता कार्यक्रम भी चला रही है।
सांथ ही महिला अपराध रोकने के लिए गरियाबंद पुलिस पूरी तरह से सजग है।
पुलिस व पब्लिक के बीच संबंध बेहतर बनाने के लिए किया जा हैं प्रयास
पुलिस-पब्लिक के बेहतर संबंध बनाने से ही अपराध रोका जा सकता है। पब्लिक पुलिस के कान व आंखे हैं।गरियाबंद पुलिस ने पब्लिक से बेहतर संबंध बनाए हैं। पुलिस पब्लिक के बीच जाकर उन्हें जागरूक करने के साथ ही अपराधियों के बारे में सूचना देने के लिए भी लगातार प्रेरित कर रही है। गांवों में 20-20 लोगों की कमेटी बनाई जा रही है, जिनसे मदद ली जा सके।
लॉक डाउन में गरियाबंद पुलिस का सामने आया था मानवीय चेहरा
लॉक डाउन के दौरान गरियाबंद जिला पुलिस का मानवीय चेहरा भी देखने को मिला था,जो पुलिस अपने हाथों में बंदूक, मुंह में गालियां और हाथ में डंडा लेकर असामाजिक तत्वों व अपराधियों के पीछे भागती थी वंही गरियाबंद कि पुलिस पूरी तरह पुलिसिंग का अलग ही रोल अदा कर रही थी। पुलिस के इस चेहरे को लेकर लोगों में चर्चा भी रहती थी।
कोरोना काल में एक साल पहले गली, कूचों, थानों, चौराहों, हाईवे, संपर्क मार्गों पर पुलिस की टीमें हर समय तैनात रहती थीं। तब पुलिस का मानवीय चेहरा भी देखने को लोगों को मिलता रहता था।
जान बचाने को लोगों को बनाती थी मुर्गा नही चलाती थी डंडा
गरियाबंद जिला पुलिस लॉक डाउन के समय पुलिस चौराहों पर देखती रहती थी कि लोग मास्क का प्रयोग नहीं कर रहे। बेवजह घरों से निकलकर घूमते रहते थे। तब पुलिस ने डंडा चलाने की बजाए मुर्गा बनाने और शर्ट को मुंह पर बांधकर गंतव्य के लिए भेजना आम बात हो गई थी।
कोरोना का डंक गरियाबंद जिला में उन दिनों तेजी पकड़ रहा था। लॉक डाउन में हालत यह थी कि एक दिन में 50 से 70 मरीज तक आने शुरू हो गए थे। तब पुलिस को सख्ती करने का आदेश मिला था नियमों को तोड़ने वालों पर सख्ती भी इस तरह करनी थी कि वे सबक भी ले लें और पुलिस का चेहरा भी दागदार नहीं हो। इसके लिए गरियाबंद पुलिस पैदल चलने वालों, साइकिल और बाइक सवारों को रोक लेती थी। उनको मास्क नहीं लगाने पर मुर्गा बना देती थी। शर्ट को उतरवाया जाता था। इसके बाद उस शर्ट को ही मास्क की तरह मुंह पर लपेटने के लिए कहा जाता था और तब उसे आगे जाने को कहा जाता था।
पुलिस फिर सख्ती करने की तैयारी में
पुलिस की इस सख्ती का असर यह रहा कि लोगों ने कोरोना के नियमों का पालन भी पूरी तरह करना शुरू कर दिया था। हालांकि अब पुलिस फिर से मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर कार्रवाई के मूड में पहले की तरह आने की तैयारी में है।
चौराहों पर ही कामों को निपटाती रहती थी पुलिस
कोरोना को लेकर लॉक डाउन के नियमों का सख्ती से पालन कराने के लिए पुलिस पर दवाब था। इसलिए चौराहों पर हर समय वह तैनात रहती थी। इस दौरान कार्यालयों में काम ज्यादा बढ़ने पर पुलिस सारी फाइलों को साथ लेकर चलती थी और गाड़ियों के बोनटों पर ही रखकर काम को निपटाती रहती थी।
थाना प्रभारी, सीओ, एसपी सिटी तक को उस कोरोना काल में अपने कामों को तैनाती के लिए चौराहों पर ही निपटाना होता था। पुलिसकर्मी कोरोना के नियमों को तोड़ने वालों को सबक सिखाने में जुटी रहती थी और अधिकारी अपनी फाइलों में हस्ताक्षर करने में। इतना ही नहीं कई बार तो सुबह और शाम को इसी तरह अधिकारियों को अपने काम को पूरा करते हुए देखा जाता था।
न करें तो बढ़ जाते कागजी काम
पुलिस अधिकारियों का कहना था कि अगर वे अपने कामों को इस तरह चौराहों पर नहीं निपटाते तो कागजी काम इतने हो जाते जो समेटने में नहीं आते। तमाम आदेश, परमीशन, लोगों की जमानत संबंधी कागजों को समय से ही न्यायालय, विभागों में पहुंचाना जरूरी था।
प्रवासियों को वाहनों में बिठाने में निभाई भूमिका
प्रवासी मजदूर जब सैकड़ों किमी की दूरी पैदल चलकर अपने गंतव्य को जा रहे थे तब कोरोना काल में गरियाबंद पुलिस इन्हें रुकवाकर भोजन करवाती और वाहनों को रोककर उनमें बिठाकर गंतव्य तक पहुंचवाती थी।सुबह से पुलिस चौराहों पर तैनात हो जाती थी। हाईवे पर तैनात पुलिस चौराहों पर इन प्रवासियों को रोक लेती थी। इनके लिए संस्थाओं से भोजन दिलवाया जाता था। पुलिस वाले उन बंद वाहनों के दरवाजे खुलवाकर चैक करती थी जिसमें प्रवासियों को छिपाकर यात्रा कराई जाती थी। उनको भी रुकवाकर भोजन, पानी दिलवाया जाता था। इतना ही नहीं यही पुलिस पैदल चलने वालों को उचित दूरी पर बैठने के निर्देश देकर वाहनों में बिठाकर भिजवाती थी।
बैंकों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग को दौड़ती थी
गरियाबंद पुलिस अगर सख्ती नहीं करती तो कोरोना काल में एक साल पहले जब लॉक डाउन लगाया गया था तब शायद ही लोग नियमों का पालन करते। पुलिस को देखकर भीड़ में उचित दूरी बन जाती थी।कोरोना काल में बैंकों को खोलने की छूट थी। इसमें केवल एक ही शर्त थी कि बाहर और अंदर सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का प्रयोग हर हाल में किया जाए। अंदर के हालातों को लेकर गरियाबंद पुलिस कम हस्तक्षेप कर पाती थी क्योंकि वह भीड़ में घुसना नहीं चाहती थी। बैंकों के बाहर हालत यह हो जाती थी कि जनमानस सटकर खड़ी रहती थे। जब पुलिस पहुंचती तो हड़कंप मच जाता था। वही जनमानस जो नियमों का पालन नहीं करती थे तत्काल मुंह पर मास्क लगाकर और उचित दूरी पर बने लोगों में खड़ी हो जाते थे कई बार पुलिस के हाथों में डंडे देखकर ही नियमों का पालन दूर से हो जाता था। हालांकि गरियाबंद पुलिस ने किसी बैंक के आगे डंडे नहीं चलाए क्योंकि भय के चलते ही सारे काम हो जाते थे।
न धूप की चिंता थी न खाने के लिए जाते थे
कोरोना काल में गरियाबंद पुलिस को जब उच्चाधिकारी धूप में चौराहों पर तैनात रहने के लिए कह देती थी तो वह उसी स्थान पर खड़े रहते थे। न वे खाने के लिए अपने थानों में जाते थे।
चौराहों पर तैनात गरियाबंद जिला की पुलिस का जज्बा कोरोना काल में ही देखने को मिला। चौराहों पर पुलिस घंटों पसीना बहाती रहती थी। पुलिस करीब एक महीने तक तो इसी तरह ड्यूटी को करती रही लेकिन जब अप्रैल की गर्मी सिर पर आई तो अधिकारियों की समझ में भी आया कि इस तरह लॉक डाउन का समय आगे बढ़ता रहेगा और पुलिसकर्मियों को हीट स्ट्रोक से बचाने के उपाय जरूरी हैं। इसके बाद टैंट कारोबारियों से बात की गई और चौराहों पर टैंट लगाए गए। तब जाकर अप्रैल, मई, जून की गर्मी को इन टैंटों में बैठकर सिपाहियों ने काटा तो ग्रामीण इलाके में दिन भर पुलिस कर्मी भूखे प्यासे ही अपनी डिवटी करते रहें और लोगो को समझाइश देते रहें।
संक्रमित हुये थे कई पुलिस अधिकारी और सिपाही
कोरोना काल में मुल्जिमों को पकड़ने का काम भी पुलिस के जिम्मे था। कई मुल्जिम जब पकड़े गए तो पुलिस उनको बिठाकर थाने, गाड़ियों में घूमते रहे। जब जेल भेजने की बारी आई तो उनका कोरोना का टेस्ट हुआ और संक्रमित निकलने पर थानों की पुलिस भी संक्रमित हो गई थी।सबसे पहले थानों में संक्रमण गरियाबंद सिटी कोतवाली में पहुंचा था। यहां पर लॉक डाउन के उल्लंघन के एक मुल्जिम को पकड़ा गया था। जब उसे जेल भेजने की तैयारी हुई तो संक्रमित आ गया। पूरा थाना उसके संपर्क में आ गया था तो महिला, पुरुष कांस्टेबलों के साथ ही तत्कालीन थाना प्रभारी को आईसोलेट किया गया था। तब जांच के बाद कई पुलिसकर्मी संक्रमित आने पर क्वारंटाइन से आईसोलेशन में भेजे गए थे।
कभी पुचकारा तो कभी डांटा भी
जब गरियाबंद जिला में कोरोना संक्रमण तेजी से पैर पसार रहा था उस समय प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही पुलिसकर्मी भी कोरोना की चैन को तोड़ने के लिए दिन रात लगे हुए थे। सभी लोग मिलकर संक्रमण को फैलने से रोकना चाहते थे। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए हम सभी लोगों ने कई बार लोगों को समझाया तो उन पर सख्ती भी करनी पड़ी। न दिन में सो पा रहे थे न रात में। दिन रात बाजार में ही हो जाता था। खाने का कोई समय नही था। अपने परिवार से भी नही मिल पा रहे थे बस एक उम्मीद थी कि अगर लोगों को काबू कर लिया तो जल्द ही कोरोना को काबू कर लिया जाएगा। उसके लिए बाजार में दिन भर घूमते थे जब कोई सड़क पर दिखा तो उसे डांटा तो कभी पुचकारा। जरूरत पड़ी तो सख्ती दिखाई। आज दोबारा से संक्रमण बढ़ रहा है। लेकिन जनता को सचेत रहने की जरूरत है। जिससे जब तक वैक्सीनेशन नही हो जाता कोरोना गाइड लाइन का पालन करते रहे।