गुरुग्राम। रविवार की सुबह द्वारका एक्सप्रेस वे पर बड़ा हादसा हो गया। दौलताबाद गांव चौक के पास द्वारका एक्सप्रेस वे निर्माणाधीन फ्लाईओवर के दो स्लैब रविवार सुबह 7.30 बजे के करीब ढह गए। टूटा हुआ हिस्सा 29 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य खेरकी दौला को दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस्वे पर महिपालपुर के पास शिव मूर्ति से जोड़ना है।
पुलिस के अनुसार, विशाल कंक्रीट के स्लैब गिरने से तीन व्यक्ति घायल हो गए। घायल मजदूरों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में इलाके की घेराबंदी कर दी गई। दीपक शरण, डीसीपी (पश्चिम) के साथ एक पुलिस टीम स्थिति का जायजा लेने के लिए घटनास्थल पर पहुंची। एक सिविल डिफेंस टीम भी वहां पहुंची। लार्सन एंड टुब्रो के इंजीनियर भी मौके पर मौजूद थे। बाद में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों ने भी घटनास्थल का दौरा किया और जांच शुरू की।
प्राधिकरण के एक अधिकारी ने कहा, हम अभी भी फ्लाईओवर के ढहने के पीछे का कारण पता करने की कोशिश कर रहे हैं। एक्सप्रेसवे का निर्माण एनएचएआई द्वारा किया जा रहा है। डीसीपी ने कहा, मलबे को हटाने का काम शुरू होने के दौरान हमने पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी। घटना में तीन मजदूर घायल हो गए थे। उन्हें इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फ्लाईओवर का निर्माण सड़क के बीच में किया जा रहा है, इसलिए सड़के के दोनों तरफ यातायात प्रभावित नहीं हुआ। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल और सिविल डिफेंस टीमों को मौके पर तैनात किया गया है।
इस बीच, एक चश्मदीद ने पुलिस को बताया कि सड़क पर कंक्रीट स्लैब गिरने पर उन्हें तेज आवाज सुनाई दी। उन्होंने कहा कि एक बड़ा हादसा टल गया क्योंकि होली के त्योहार के कारण घटना स्थल पर बहुत अधिक लोग नहीं थे।
घटनास्थल पर मौजूद एक स्थानीय शख्स ने कहा, इस हिस्से में, लगभग 60 से 70 श्रमिक काम करते थे, लेकिन होली के त्योहार के कारण उनमें से केवल कुछ ही लोग घटना स्थल पर मौजूद थे और उनमें से तीन घायल हो गए।
जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर का अनुरोध करते हुए कहा, प्रारंभिक रिपोर्टों ने दर्शाया कि दो पिलर के बीच लगे कुछ गर्डर अचानक गिर गए, जिसके कारण हादसा हुआ और इसके पीछे का कारण कुछ मैकेनिकल समस्या हो सकती है।
हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने परियोजना की स्थिति का आकलन करने के लिए द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य की समीक्षा की थी और एनएचएआई अधिकारियों को सुधार के उपाय सुझाए थे।
एनएचएआई 2008 से इस परियोजना पर काम कर रहा है। परियोजना की अनुमानित लागत 7,000 करोड़ रुपये है। राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए द्वारका एक्सप्रेसवे परियोजना पर काम मूल रूप से 2014 में पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण, इस परियोजना को 2016 में एनएचएआई को ट्रांसफर कर दिया गया था।
एक बार परियोजना पूरी होने के बाद दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में यातायात की भीड़ और वाहनों के प्रदूषण की समस्याओं का समाधान होगा। द्वारका एक्सप्रेसवे परियोजना दिल्ली-गुरुग्राम से दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेसवे (एनएच-48) के लिए बाईपास है।