नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सार्वजनिक जीवन में मूल्यों को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया है और संसद के कामकाज में बार-बार रूकावट डाले जाने और चर्चा के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त की है। जाने-माने शिक्षाविद् और राज्यसभा के पूर्व सदस्य एन. नरोत्तम रेड्डी की जयंती के शताब्दी समारोहों के सिलसिले में हैदराबाद में आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद और विधानसभाओं में रुकावट का मतलब है – चर्चा, लोकतंत्र और देश को रोकना। श्री रेड्डी ने संसद में नरोत्तम रेड्डी की चर्चाओं का उदाहरण देते हुए सुझाव दिया कि जन प्रतिनिधियों के कार्यों में जनता की अपेक्षाएं प्रतिबिंबित होनी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने नैतिक मूल्यों, राष्ट्रीयता और सावर्जनिक जीवन में सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देने में शिक्षा की भूमिका पर जोर दिया और कहा कि चहुंमुखी विकास तथा व्यक्ति के समग्र विकास में शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के संदर्भ में संस्थानों को अपने को पुनर्गठित करने और शिक्षा के प्रति समग्र तथा बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने को कहा।