जगदलपुर
भूस्खलन से बाधित केके लाइन बीती रात 9 बजे बहाल हो गई है, पहली मालगाड़ी रात 9 बजे गुजरी, लेकिन मालगाड़ी की रफ्तार 20 किलोमीटर प्रति घंटे की थी। आज से इस मार्ग पर मालगाडिया लौह अयस्क लेकर दौडने लगी हैं, किंतु यात्रियों को अभी यात्रा करने के लिए दो दिन और इंतजार करना पड़ेगा। ज्ञात हो कि पैसेंजर सहित सभी एक्सप्रेस ट्रेनों को 12 अक्टूबर तक स्थगित कर दिया गया है। रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार परिस्थितियों को देखते हुए इस लाइन की सभी यात्री ट्रेनों को रेलवे प्रशासन ने पहले ही 12 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। परिस्थितियां सामान्य रहीं तो 13 अक्टूबर से पैसेंजर सहित सभी ट्रेने अपने निर्धारित समय पर दौडने लगेंगीं।
उल्लेखनिय है कि 24 सितंबर को मानबार-जड़ती स्टेशन के बीच बड़े पैमाने पर भूस्खलन हो गया था, जिससे पहाड़ के मलबे और बड़े-बड़े पत्थर ट्रैक के ऊपर गिर गए थे। वहीं इस दौरान लगातार हो रही बारिश की वजह से मलबा हटाने में परेशानी हो रही थी। विगत 17 दिनों में 25 जेसीबी और 450 मजदूर एवं रेलवे के कर्मचारी मिलकर रेल लाइन को बहाल करने में सफल रहे। बीते 10 वर्षों में पहली बार इतना बड़ा भूस्खलन हुआ जिससे केके रेल मार्ग 17 दिनों तक बंद रहा।
इस रूट पर सबसे अधिक रेलवे को कमाई लौह अयस्क के परिवहन से होता है। हर दिन इस रूट से किरंदूल से विशाखापटनम तक 15 मालगाडियों का संचालन होता है, आने जाने में इनके 30 फेरे लगते हैं। इस तरह प्रति मालगाड़ी से रेलवे को 60 से 70 लाख रुपए की कमाई होती है। इस हिसाब से प्रतिदिन रेलवे को 7 से 8 करोड़ रुपए की आमदनरी रेलवे को होती है। इतना ही नहीं पूरे देश में सबसे अधिक कमाई देने वाला रेलवे का रूट भी यही है। ऐसे में पिछले 17 दिन इस रूट में यात्री ट्रेनों के साथ मालगाडियों का संचालन भी बंद था। इस तरह रेलवे को करीब 112 करोड़ का नुकसान हुआ। बैलाडीला से विशाखापट्टनम जाने वाले आयरन ओर से रेलवे प्रशासन को एक दिन में 7 करोड़ मिलत किराया मिलता है। अब तक 119 करोड़ रुपये का नुकसान रेलवे प्रशासन को होने का अनुमान है।